35.9 C
Gujarat
शुक्रवार, मई 16, 2025

सुदर्शन अष्टकम्

Post Date:

Sudarshana Ashtakam In Hindi

सुदर्शन अष्टकम् (Sudarshana Ashtakam)वेदान्ताचार्य श्रीवेदान्त देशिक द्वारा रचित एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के चक्र, जिसे सुदर्शन चक्र कहा जाता है, की महिमा का वर्णन करता है। सुदर्शन चक्र विष्णु भगवान का एक दिव्य आयुध है, जिसे सभी प्रकार के विघ्नों, बाधाओं और अधर्म का नाश करने वाला माना जाता है। इस स्तोत्र की रचना श्रीवेदान्त देशिक ने भक्तिपूर्ण हृदय से भगवान विष्णु की स्तुति के लिए की थी।

Sudarshana Ashtakam

प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तोमभूषण
जनिभयस्थानतारण जगदवस्थानकारण ।
निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ १ ॥

शुभजगद्रूपमण्डन सुरजनत्रासखण्डन
शतमखब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित ।
प्रथितविद्वत्सपक्षित भजदहिर्बुध्न्यलक्षित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ २ ॥

निजपदप्रीतसद्गण निरुपथिस्फीतषड्गुण
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव ।
हरिहयद्वेषिदारण हरपुरप्लोषकारण
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ३ ॥

स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह ।
प्रहरणग्राममण्डित परिजनत्राणपण्डित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ४ ॥

भुवननेतस्त्रयीमय सवनतेजस्त्रयीमय
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्तेजगन्मय ।
अमितविश्वक्रियामय शमितविश्वग्भयामय
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ५ ॥

महितसम्पत्सदक्षर विहितसम्पत्षडक्षर
षडरचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्त्वप्रतिष्ठित ।
विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ६ ॥

प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहेतिदन्तुर
विकटमालापरिष्कृत विविधमायाबहिष्कृत ।
स्थिरमहायन्त्रयन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ७ ॥

दनुजविस्तारकर्तन दनुजविद्याविकर्तन
जनितमिस्राविकर्तन भजदविद्यानिकर्तन ।
अमरदृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ ८ ॥

द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं
पठतां वेङ्कटनायकप्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन्
न विहन्येत रथाङ्गधुर्यगुप्तः ॥ ९ ॥

इति श्री वेदान्ताचार्यस्य कृतिषु सुदर्शनाष्टकम् ।

सुदर्शन अष्टकम् रचना और स्वरूप

सुदर्शन अष्टकम् आठ श्लोकों का एक संग्रह है। प्रत्येक श्लोक में सुदर्शन चक्र की दिव्यता, शक्ति और इसके कल्याणकारी प्रभावों का वर्णन किया गया है। “सुदर्शन” का अर्थ है “सुंदर दृष्टि” या “जो सभी दृष्टियों से शुभ हो।” यह भगवान विष्णु के उस स्वरूप को दर्शाता है जो धर्म की रक्षा के लिए अधर्म का नाश करते हैं।

सुदर्शन अष्टकम् का महत्व और भावार्थ Sudarshana Ashtakam Meaning and Importance

सुदर्शन अष्टकम् में सुदर्शन चक्र को न केवल एक अस्त्र के रूप में, बल्कि एक दिव्य ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह चक्र भक्तों की रक्षा करता है, उनके पापों को दूर करता है और जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है, और वह भगवान विष्णु के आशीर्वाद का पात्र बनता है।

सुदर्शन चक्र की विशेषताएँ

सुदर्शन चक्र को तेजस्वी, अनंत और अत्यंत शक्तिशाली माना गया है। यह चक्र भगवान विष्णु के हाथों में सदैव रहता है और उनकी इच्छानुसार कार्य करता है। यह सत्य और धर्म का रक्षक है। इस चक्र का वर्णन करते हुए, सुदर्शन अष्टकम् में इसे संसार की बुराइयों को नष्ट करने वाला और भक्तों के जीवन में प्रकाश लाने वाला बताया गया है।

स्तोत्र का पाठ करने के लाभ Sudarshana Ashtakam Benifits

  1. आध्यात्मिक शांति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
  2. सुरक्षा और रक्षा: सुदर्शन चक्र को सभी प्रकार की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का नाशक माना गया है।
  3. पापों से मुक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति के कर्मों के पापों को समाप्त कर उसे जीवन में नया आरंभ करने का अवसर देता है।
  4. संकटों का नाश: जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।

सुदर्शन अष्टकम् (वेदान्ताचार्य कृतम्) पर आधारित 5 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

  1. सुदर्शन अष्टकम् क्या है, और इसे किसने रचा है?

    सुदर्शन अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे वेदान्ताचार्य ने रचा है। यह भगवान विष्णु के दिव्य चक्र, सुदर्शन चक्र, की महिमा का वर्णन करता है।

  2. सुदर्शन अष्टकम् में किसकी स्तुति की गई है?

    इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की स्तुति की गई है, जो उनकी शक्ति, प्रकाश और रक्षा के प्रतीक के रूप में वर्णित है।

  3. सुदर्शन अष्टकम् का पाठ क्यों किया जाता है?

    सुदर्शन अष्टकम् का पाठ भय, रोग, और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा पाने के लिए किया जाता है। यह आत्मिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

  4. सुदर्शन अष्टकम् में कितनी श्लोक शामिल हैं?

    सुदर्शन अष्टकम् में कुल आठ श्लोक (अष्टक) शामिल हैं, जिनमें सुदर्शन चक्र की शक्ति और महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।

  5. सुदर्शन अष्टकम् का पाठ किस समय करना उपयुक्त है?

    सुदर्शन अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल या विष्णु पूजा के समय करना शुभ माना जाता है। इसे शांत मन और श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए।

सुदर्शन अष्टकम् केवल एक स्तोत्र नहीं है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समर्पण का एक माध्यम है। यह स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि भगवान के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति के माध्यम से हम अपने जीवन की सभी बाधाओं को पार कर सकते हैं। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को आंतरिक शांति, निडरता और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

रश्मिरथी – द्वितीय सर्ग – भाग 2 | Rashmirathi Second Sarg Bhaag 2

रश्मिरथी द्वितीय सर्ग का भाग 2 दिनकर की विलक्षण...

रश्मिरथी – द्वितीय सर्ग – भाग 1 | Rashmirathi Second Sarg Bhaag 1

रश्मिरथी के द्वितीय सर्ग के प्रथम भाग में रामधारी...

रश्मिरथी – प्रथम सर्ग – भाग 6 | Rashmirathee Pratham Sarg Bhaag 6

रश्मिरथी" प्रथम सर्ग, भाग 6 रामधारी सिंह 'दिनकर' की...

रश्मिरथी – प्रथम सर्ग – भाग 7 | Rashmirathee Pratham Sarg Bhaag 7

"रश्मिरथी" के प्रथम सर्ग के भाग 7 में रामधारी...
error: Content is protected !!