28.8 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

श्री वैष्णो देवी चालीसा

Post Date:

Vaishno Devi Chalisa

श्री वैष्णो देवी चालीसा माँ वैष्णो देवी की महिमा और भक्ति को समर्पित एक पवित्र भक्ति रचना है। यह चालीसा हिंदू धर्म में माँ दुर्गा के नौ रूपों में से एक, माँ वैष्णवी की स्तुति में लिखी गई है। यह भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है, खासकर उन लोगों में जो जम्मू-कश्मीर के कटरा में स्थित माँ वैष्णो देवी के पवित्र मंदिर की यात्रा करते हैं। इस लेख में हम श्री वैष्णो देवी चालीसा के महत्व, इसके बोल, अर्थ, और इससे जुड़े धार्मिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वैष्णो देवी का अवतार

  • माता वैष्णो देवी का अवतार पिण्डी रूप में हुआ था।
  • उन्होंने भक्ति और तपस्या से भगवान विष्णु को प्राप्त किया था।
  • उन्होंने भैरव बाबा के साथ अपनी यात्रा की और अपने दिव्य दर्शन कराए।

वैष्णो देवी की महिमा

  • वैष्णो देवी की पूजा करने से भक्त को शुभ फल मिलता है।
  • उनके दर्शन करने से पापों का नाश होता है।
  • वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करने से भी शुभ फल मिलता है।
श्री वैष्णो देवी चालीसा
श्री वैष्णो देवी चालीसा

Vaishno Devi Chalisa

॥ दोहा ॥

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकूटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती शक्ति तुम्हें प्रणाम ॥

॥ चौपाई ॥

नमोः नमोः वैष्णो वरदानी, कलि काल में शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिंडी रूप में हो अवतारी ।

देवी देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ।

कहा राम मणि पर्वत जाओ, कलियुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्की बनकर, लूंगा शक्ति रूप बदलकर ।

तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ, गुफा अंधेरी जाकर पाओ ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ, करेंगी शोषण-पार्वती माँ।

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे, हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे ।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें, कलियुग-वासी पूजन आवें।

पान सुपारी ध्वजा नारियल, चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर माँ मुस्काई, करन तपस्या पर्वत आई।

कलि कालकी भड़की ज्वाला, इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई, योगी भैरों दिया दिखाई।

रूप देख सुन्दर ललचाया, पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली माँ, कौल-कंदौली तभी चली माँ।

देवा माई दर्शन दीना, पवन रूप हो गई नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर योगिन को भण्डारा दीना, सबने रुचिकर भोजन प्रवीणा ।

आई, कीना, मांस, मदिरा भैरों मांगी, रूप पवन कर इच्छा त्यागी।
बाण मारकर गंगा निकाली, पर्वत भागी हो मतवाली।

चरण रखे आ एक शिला जब, चरण पादुका नाम पड़ा तब।
पीछे भैरों था बलकारी, छोटी गुफा में जाय पधारी।

नौ माह तक किया निवासा, चली फोड़कर किया प्रकाशा।
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी, कहलाई माँ आद कुंवारी।

गुफा द्वार पहुंची मुस्काई, लांगुर वीर ने आज्ञा पाई।
भागा-भागा भैरों आया, रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।

पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर, किया क्षमा जा दिया उसे वर।
अपने संग में पुजवाऊंगी, भैरों घाटी बनवाऊंगी।

पहले मेरा दर्शन होगा, पीछे तेरा सुमरन होगा।
बैठ गई माँ पिण्डी होकर, चरणों में बहता जल झर-झर।

चौंसठ योगिनी-भैरों बरवन, सप्तऋषि आ करते सुमरन ।
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे, गुफा निराली सुन्दर लागे।

भक्त श्रीधर पूजन कीना, भक्ति सेवा का वर लीना।
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया, ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।

सिंह सदा दर पहरा देता, पंजा शेर का दुःख हर लेता।
जम्बू द्वीप महाराज मनाया, सर सोने का छत्र चढ़ाया।

हीरे की मूरत संग प्यारी, जगे अखंड इक जोत तुम्हारी।
आश्विन चैत्र नवराते आऊँ, पिण्डी रानी दर्शन पाऊँ।

सेवक ‘शर्मा’ शरण तिहारी, हरो वैष्णो विपत हमारी।

॥ दोहा ॥

कलियुग में महिमा तेरी, है माँ अपरम्पार ।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार।

चालीसा का अर्थ और महत्व

श्री वैष्णो देवी चालीसा के प्रत्येक छंद में माँ की महिमा, उनके चमत्कार और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो इसके अर्थ को स्पष्ट करते हैं:

  • भक्ति का मार्ग: चालीसा पढ़ने और माँ का ध्यान करने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख और समृद्धि मिलती है।
  • माँ का स्वरूप: चालीसा में माँ को सिंहवाहिनी (शेर पर सवार), शस्त्रधारी और पिंडी रूप में वर्णित किया गया है। यह उनके शक्ति और सौम्य दोनों रूपों को दर्शाता है।
  • संकट निवारण: माँ को संकट मोचन कहा गया है, जो भक्तों के दुख और कष्ट दूर करती हैं।
  • तीन रूप: माँ वैष्णो देवी के तीन पिंडियों (महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती) का उल्लेख उनकी त्रिगुणात्मक शक्ति का प्रतीक है।

चालीसा पढ़ने की विधि

  • पाठ: पूरी श्रद्धा के साथ चालीसा का पाठ करें और अंत में माँ को प्रणाम करें।
  • शुद्धता: पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • स्थान: माँ की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर बैठें।
  • संकल्प: मन में माँ से अपनी मनोकामना कहें।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!