Parvati Pranati Stotram
पार्वती प्रणति स्तोत्र एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो देवी पार्वती को समर्पित है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से श्रद्धालु भक्तों द्वारा देवी की कृपा, करुणा, और सौंदर्य की स्तुति के रूप में पाठ किया जाता है। “प्रणति” का अर्थ होता है “नमन” या “प्रणाम”, अतः यह स्तोत्र देवी पार्वती को बार-बार प्रणाम करते हुए उनकी महिमा का गान करता है।
यह स्तोत्र संस्कृत में रचा गया है और इसकी भाषा में भक्ति, भाव, और काव्यात्मक सौंदर्य तीनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसमें माता पार्वती के विभिन्न रूपों, गुणों और लीलाओं का वर्णन करते हुए उनकी कृपा की प्रार्थना की जाती है।
पार्वती प्रणति स्तोत्र
भुवनकेलिकलारसिके शिवे
झटिति झञ्झणझङ्कृतनूपूरे।
ध्वनिमयं भवबीजमनश्वरं
जगदिदं तव शब्दमयं वपुः।
विविधचित्रविचित्रितमद्भुतं
सदसदात्मकमस्ति चिदात्मकम्।
भवति बोधमयं भजतां हृदि
शिव शिवेति शिवेति वचोऽनिशम्।
जननि मञ्जुलमङ्गलमन्दिरं
जगदिदं जगदम्ब तवेप्सितम्।
शिवशिवात्मकतत्त्वमिदं परं
ह्यहमहो नु नतोऽस्मि नतोऽस्म्यहम्।
स्तुतिमहो किल किं तव कुर्महे
सुरगुरोरपि वाक्पटुता कुतः।
इति विचार्य परे परमेश्वरि
ह्यहमहो नु नतोऽस्मि नतोऽस्म्यहम्।
चिति चमत्कृतिचिन्तनमस्तु मे
निजपरं भवभेदनिकृन्तनम्।
प्रतिपलं शिवशक्तिमयं शिवे
ह्यहमहो नु नतोऽस्मि नतोऽस्म्यहम्।
पार्वती प्रणति स्तोत्र के पाठ के लाभ:
- मनोवांछित फल की प्राप्ति:
देवी पार्वती की कृपा से जीवन में सुख, शांति और वैवाहिक समृद्धि प्राप्त होती है। - कुण्डलिनी जागरण और आध्यात्मिक प्रगति:
चूँकि देवी पार्वती को कुण्डलिनी शक्ति का प्रतीक माना गया है, उनका स्तवन साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। - परिवारिक कल्याण:
स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में प्रेम, सौहार्द्र और समृद्धि बनी रहती है। - स्त्रियों के लिए विशेष फलदायक:
विवाह, संतान सुख, सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह स्तोत्र विशेष रूप से फलदायक माना गया है।
पार्वती स्तोत्र पाठ की विधि:
- प्रातःकाल या संध्या समय, स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण कर देवी पार्वती के चित्र या प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- पुष्प, अक्षत, दुर्वा, सफेद चंदन आदि से पूजा करें।
- फिर श्रद्धा भाव से स्तोत्र का पाठ करें।
- संभव हो तो सोमवार या नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से पाठ करें।