40.6 C
Gujarat
शुक्रवार, मई 23, 2025

बृहस्पति कवचम् (गुरु कवचम्)

Post Date:

बृहस्पति कवचम्(Brihaspati Kavacham) एक धार्मिक स्तोत्र है, जो गुरु ग्रह (बृहस्पति) की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा पाठ किया जाता है। बृहस्पति को हिन्दू धर्म में ज्ञान, विद्या, और धर्म का कारक ग्रह माना जाता है। यह कवच गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मकता, ज्ञान, समृद्धि, और आध्यात्मिक विकास की दिशा में मदद करता है।

बृहस्पति ग्रह का महत्व:

बृहस्पति को नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। यह ग्रह व्यक्ति की बुद्धिमत्ता, विवेक, शिक्षा, वित्तीय स्थिति, और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है और इसका प्रभाव विशेषकर गुरु, शिक्षक, सलाहकार, और धार्मिक कार्यों में मुख्य रूप से देखा जाता है।

अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है, तो उसका जीवन में शिक्षा, संपत्ति, और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़े क्षेत्र में बाधाएँ आ सकती हैं। ऐसे में बृहस्पति कवच का पाठ करने से गुरु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को ज्ञान, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

बृहस्पति कवचम् का पाठ करने के लाभ:

  1. ज्ञान और विद्या में वृद्धि: यह स्तोत्र उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है जो शिक्षा और विद्या के क्षेत्र में उन्नति चाहते हैं।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: बृहस्पति कवच का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  3. धन और संपत्ति: जिन लोगों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह कवच धन और संपत्ति प्राप्ति में सहायक होता है।
  4. धार्मिक उन्नति: यह कवच आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होता है और व्यक्ति को धर्म और कर्म के मार्ग पर अग्रसर करता है।
  5. सामाजिक प्रतिष्ठा: बृहस्पति के आशीर्वाद से व्यक्ति समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

बृहस्पति कवचम् का पाठ कैसे करें:

  1. सप्ताह का दिन: बृहस्पति ग्रह का दिन गुरुवार होता है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से इसका पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
  2. स्नान और शुद्धता: पाठ से पहले स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान बृहस्पति या गुरु ग्रह की पूजा करनी चाहिए।
  3. ध्यान और आस्था: बृहस्पति कवच का पाठ ध्यानपूर्वक और आस्था के साथ किया जाना चाहिए, जिससे बृहस्पति देवता की कृपा शीघ्र प्राप्त हो सके।

बृहस्पति कवचम् का पाठ:

यहाँ बृहस्पति कवचम् का संक्षिप्त पाठ प्रस्तुत है:

अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्तोत्रमन्त्रस्य। ईश्वर ऋषिः।
अनुष्टुप् छन्दः। गुरुर्देवता। गं बीजम्। श्रीशक्तिः।

क्लीं कीलकम्। गुरुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुरपूजितम्।

अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम्।
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः।

कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मेऽभीष्टदायकः।
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः।

मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवतागुरुः।
भुजावाङ्गिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः।

स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः।
नाभिं देवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः।

कटिं पातु जगद्वन्द्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः।
जानुजङ्घे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा।

अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः।
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत्।

इस कवच का पाठ करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

बृहस्पति कवचम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Brihaspati Kavacham

  1. बृहस्पति कवचम् क्या है?

    बृहस्पति कवचम् एक शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है, जो गुरु ग्रह (बृहस्पति) के प्रभाव को संतुलित करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी माना जाता है जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर या पीड़ित हो। बृहस्पति को विद्या, ज्ञान, और धर्म का ग्रह माना जाता है, और इसका कवच पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

  2. बृहस्पति कवच का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

    बृहस्पति कवच का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:
    ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
    जीवन में धार्मिकता और सदाचार की भावना बढ़ती है।
    आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है और व्यापार में सफलता मिलती है।
    जिन व्यक्तियों की कुंडली में बृहस्पति पीड़ित हो, उन्हें गुरु दोष से मुक्ति मिलती है।
    यह कवच व्यक्ति को मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

  3. बृहस्पति कवच का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

    बृहस्पति कवच का पाठ गुरुवार के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन बृहस्पति ग्रह से संबंधित होता है। प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और बृहस्पति देवता का ध्यान करते हुए इस कवच का पाठ करें। पाठ के समय पीले वस्त्र धारण करना और पीली वस्तुओं का दान करना भी शुभ माना जाता है। एक शांत और पवित्र स्थान में बैठकर पूरे मन से इस कवच का पाठ करने से अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

  4. बृहस्पति कवच का पाठ कौन कर सकता है?

    बृहस्पति कवच का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, विशेष रूप से वे लोग जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो या जिनकी जिंदगी में आर्थिक, शैक्षिक, या धार्मिक समस्याएं आ रही हों। यह स्तोत्र पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से प्रभावी है। जिन विद्यार्थियों को पढ़ाई में कठिनाई हो या जो लोग अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, वे भी इस कवच का पाठ कर सकते हैं

  5. क्या बृहस्पति कवच का पाठ गुरु दोष को ठीक कर सकता है?

    हाँ, बृहस्पति कवच का पाठ गुरु दोष को कम करने या समाप्त करने में अत्यधिक सहायक माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह पीड़ित या नीचस्थ होता है, उन्हें जीवन में आर्थिक कठिनाइयों, शिक्षा में विघ्न, या धार्मिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में बृहस्पति कवच का नियमित रूप से पाठ करना गुरु दोष से मुक्ति दिलाने और बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने का एक प्रभावी उपाय है।

पिछला लेख
अगला लेख

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 13 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 13

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 13 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 12 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 12

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 12 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 11 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 11

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 11 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 9 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 9

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 9 | Rashmirathi...
error: Content is protected !!