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शुक्रवार, मई 23, 2025

सूर्य आरती

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Surya Dev Aarti 

सूर्य आरती हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सूर्य को जीवन, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य को एक प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है, और सूर्य आरती उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है। यह आरती प्रायः सूर्योदय के समय की जाती है, जब सूर्य की पहली किरणें धरती पर पड़ती हैं। यह न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य की ऊर्जा को आत्मसात करने में सहायक है।

सूर्य आरती

जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन।
द्दिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ जय…

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ जय…

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ जय…

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ जय…

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ जय…

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ जय…

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ जय…

Om Jai Kashyap Nandan Aarti

सूर्य आरती का महत्व

सूर्य आरती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। निम्नलिखित बिंदु इसके महत्व को स्पष्ट करते हैं:

  1. आध्यात्मिक महत्व: सूर्य को आत्मा का प्रतीक माना जाता है। सूर्य आरती करने से व्यक्ति की आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  2. स्वास्थ्य लाभ: सूर्योदय के समय आरती करने से सूर्य की किरणों का लाभ मिलता है, जो विटामिन डी का प्रमुख स्रोत हैं। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  3. ज्योतिषीय प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य आरती करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।
  4. प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: सूर्य आरती प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक माध्यम है, क्योंकि सूर्य जीवन का आधार है।

सूर्य आरती का समय और विधि

सूर्य आरती प्रायः सूर्योदय के समय की जाती है। इसे करने की विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें।
  2. पूजा सामग्री: एक तांबे का लोटा जल से भरा हुआ, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, और मिठाई आदि तैयार करें।
  3. सूर्य को जल अर्पण: सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  4. आरती की तैयारी: एक थाली में दीपक जलाएं, धूपबत्ती प्रज्वलित करें और सूर्य की मूर्ति या चित्र के समक्ष रखें।
  5. आरती गायन: सूर्य आरती के भजन या मंत्रों का गायन करें। नीचे दी गई सूर्य आरती का पाठ करें।
  6. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में मिठाई या फल का प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में बांटें।

सूर्य पूजा से जुड़े त्योहार

सूर्य आरती और पूजा का विशेष महत्व कुछ त्योहारों पर और भी बढ़ जाता है:

  1. मकर संक्रांति: इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, और सूर्य पूजा का विशेष महत्व होता है।
  2. छठ पूजा: यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देव और छठी माता की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देना और आरती करना प्रमुख है।
  3. रथ सप्तमी: यह सूर्य देव का प्रमुख पर्व है, जिसमें सूर्य की विशेष पूजा और आरती की जाती है।

सूर्य आरती के लाभ

सूर्य आरती करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • मानसिक शांति: सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा से मन शांत और प्रसन्न रहता है।
  • करियर में उन्नति: सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, अतः सूर्य आरती से करियर में सफलता मिलती है।
  • स्वास्थ्य में सुधार: सूर्य की किरणें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं।
  • पारिवारिक सुख: सूर्य की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

सूर्य पूजा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सूर्य पूजा का वैज्ञानिक आधार भी है। सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। प्रातःकाल सूर्य के सामने खड़े होने और आरती करने से शरीर में विटामिन डी की पूर्ति होती है, जो हड्डियों, प्रतिरक्षा प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, सूर्य की किरणें त्वचा रोगों को ठीक करने और तनाव को कम करने में भी सहायक हैं।

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