27.5 C
Gujarat
रविवार, जुलाई 6, 2025

श्री संणु जी की आरती

Post Date:

श्री सणु जी की आरती एक भक्ति गीत है जो श्री सणु जी महाराज की पूजा और स्तुति के लिए गाई जाती है। श्री सणु जी को भक्तगण विशेष रूप से उत्तर भारत में पूजते हैं, और उनकी महिमा का बखान विभिन्न भजन और आरती में किया जाता है। माना जाता है कि श्री सणु जी अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। उनके प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले लोग विशेष अवसरों पर, जैसे कि त्यौहारों, पूजाओं, या व्रत के दौरान उनकी आरती गाते हैं।

आरती का महत्व: आरती एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें दीप जलाकर भगवान की स्तुति की जाती है। आरती में गाए गए शब्द और धुनें भक्तों के मन में भक्तिभाव और श्रद्धा को जाग्रत करती हैं। श्री सणु जी की आरती गाने से भक्तों को शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।

श्री सणु जी की आरती के कुछ प्रमुख बोल इस प्रकार हो सकते हैं:

“जय सणु महाराज, जय सणु महाराज,
तुम हो दीनदयाल, कृपा करो महाराज।
तुम हो करुणामय, दीनों के रखवाले,
शरण में तेरे आ गए, अब हमको संभाले।
जय सणु महाराज, जय सणु महाराज।”

आरती के दौरान दीपक, धूप, और अन्य पूजन सामग्री का उपयोग होता है। भक्तगण आरती के अंत में भगवान से अपनी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

श्री सणु जी की आरती का नियमित रूप से पाठ करना घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

श्री संणु जी की आरती Shree Sannu Ji Ki Arati

धूप दीप घुत साजि आरती।
वारने जाउ कमलापति।

मंगलाहरि मंगला।
नित मंगल राजा राम राई को।
उत्तम दियरा निरमल बाती।
तुही निरंजन कमला पाती।
रामा भगति रामानंदु जानै।
पूरन परमानन्द बखानै।
मदन मूरति भै तारि गोबिन्दे।
सैणु भणै भजु परमानन्दे।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राहु कवच

राहु कवच : राहु ग्रह का असर खत्म करें...

Rahu Mantra

Rahu Mantraराहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में एक छाया ग्रह...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...
error: Content is protected !!