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गुरूवार, जनवरी 30, 2025

नीला सूक्तम्

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नीला सूक्तम्(Neela Suktam) एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और उनकी दिव्य शक्तियों का वर्णन करता है। यह सूक्त विशेष रूप से शिव के नीलकंठ रूप को समर्पित है, जो उनके विषपान और संसार के कल्याण के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। नीला सूक्तम् का पाठ करने से भक्तों को शिव की कृपा, सुरक्षा और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

नीचे दिए गए मंत्रों का विस्तृत अर्थ और व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है:

मंत्र 1:

ओ-ङ्गृ॒णा॒हि॒ ।
घृ॒तव॑ती सवित॒राधि॑पत्यैः॒ पय॑स्वती॒रन्ति॒राशा॑नो अस्तु ।
ध्रु॒वा दि॒शां-विँष्णु॑प॒त्न्यघो॑रा॒-ऽस्येशा॑ना॒सह॑सो॒या म॒नोता᳚ ।

अर्थ:

  • “ओ-ङ्गृणाहि”: हे प्रभु, हमें अपनी कृपा से सुरक्षित रखें।
  • “घृतवती सवितराधिपत्यैः”: घी से परिपूर्ण (पवित्र) और प्रकाशमय सूर्य देवता के समान हमें प्रकाशित करें।
  • “पयस्वतीरन्तिराशानो अस्तु”: दूध (पवित्रता) से भरी हुई धाराएं हमारे लिए संरक्षण प्रदान करें।
  • “ध्रुवा दिशां विष्णुपत्न्यघोरा”: सभी दिशाओं की स्थिरता और विष्णु की पत्नी (लक्ष्मी) की कृपा हम पर बनी रहे।
  • “अस्येशानासहसोया मनोता”: हे ईशान (शिव), आपकी शक्ति और सहस्रों रूपों की हम स्तुति करते हैं।

मंत्र 2:

बृह॒स्पति॑-र्मात॒रिश्वो॒त वा॒युस्स॑न्धुवा॒नावाता॑ अ॒भि नो॑ गृणन्तु ।
वि॒ष्ट॒म्भो दि॒वोध॒रुणः॑ पृथि॒व्या अ॒स्येश्या॑ना॒ जग॑तो॒ विष्णु॑पत्नी ॥

अर्थ:

  • “बृहस्पति-र्मातरिश्वोत वायुस्सन्धुवानावाता अभि नो गृणन्तु”: हे बृहस्पति (देवताओं के गुरु), हे मातरिश्वन (वायु देव), और हे सन्धुवान (समुद्र के देवता), आप सभी हमारी रक्षा करें और हमें आशीर्वाद दें।
  • “विष्टम्भो दिवोधरुणः पृथिव्या”: आकाश और पृथ्वी के स्तंभ (धारण करने वाले) हमें स्थिरता प्रदान करें।
  • “अस्येश्याना जगतो विष्णुपत्नी”: हे ईशान (शिव), आप समस्त जगत के स्वामी हैं, और विष्णु की पत्नी (लक्ष्मी) की कृपा हम पर बनी रहे।

मंत्र 3:

ॐ शान्ति॒-श्शान्ति॒-श्शान्तिः॑ ॥

अर्थ:

  • “ॐ शान्ति-श्शान्ति-श्शान्तिः”: ॐ, हमारे मन, वचन और कर्म में पूर्ण शांति हो। यह मंत्र तीन प्रकार की शांति (आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक) की कामना करता है।

नीला सूक्तम्Neela Suktam

ओ-ङ्गृ॒णा॒हि॒ ।
घृ॒तव॑ती सवित॒राधि॑पत्यैः॒ पय॑स्वती॒रन्ति॒राशा॑नो अस्तु ।
ध्रु॒वा दि॒शां-विँष्णु॑प॒त्न्यघो॑रा॒-ऽस्येशा॑ना॒सह॑सो॒या म॒नोता᳚ ।

बृह॒स्पति॑-र्मात॒रिश्वो॒त वा॒युस्स॑न्धुवा॒नावाता॑ अ॒भि नो॑ गृणन्तु ।
वि॒ष्ट॒म्भो दि॒वोध॒रुणः॑ पृथि॒व्या अ॒स्येश्या॑ना॒ जग॑तो॒ विष्णु॑पत्नी ॥

ॐ शान्ति॒-श्शान्ति॒-श्शान्तिः॑ ॥

नीला सूक्तम् का महत्व

  1. शिव की कृपा: यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है।
  2. संकट निवारण: इसके पाठ से जीवन के विभिन्न संकटों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  3. आध्यात्मिक लाभ: यह मंत्र मन को शांत करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  4. शिवरात्रि और सोमवार: इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से शिवरात्रि और सोमवार को किया जाता है।

नीला सूक्तम् भगवान शिव की महिमा और उनकी दिव्य शक्तियों का वर्णन करने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से भक्तों को शिव की कृपा, सुरक्षा और आंतरिक शांति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र हमें जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करने में सहायक है।

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