Ratri Suktam In Hindi
रात्रि सूक्तम् (Ratri Suktam Hindi) ऋग्वेद में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण सूक्त है, जिसमें देवी रात्रि की स्तुति की गई है। इसे ऋग्वेद के दसवें मंडल में सम्मिलित किया गया है और यह हिमालय की पुत्री देवी रात्रि को समर्पित है। यह सूक्त वेदों में वर्णित देवियों के स्तोत्रों में से एक है और यह रात्रि के शांत, रहस्यमय तथा कल्याणकारी स्वरूप का गुणगान करता है।
सूक्त की रचना एवं स्वरूप
- यह ऋग्वेद (10.127) में स्थित है।
- इसमें 7 मंत्र (ऋचाएँ) हैं।
- इस सूक्त के ऋषि कुशिकों के वंशज ऋषि कुशिक माने जाते हैं।
- इसमें छंद त्रिष्टुप तथा जगती हैं।
रात्रि सूक्तम् की देवी – रात्रि
ऋग्वेद में देवी रात्रि को सर्वव्यापक, ज्ञानवती, ज्योतिर्मयी और कल्याणकारी बताया गया है। यह अंधकार और प्रकाश दोनों की नियंत्रक हैं और जगत के सभी प्राणियों को विश्राम देने वाली हैं।
रात्रि सूक्त के प्रमुख भावार्थ
- रात्रि का आगमन और उसका प्रभाव
- देवी रात्रि का वर्णन एक माता के रूप में किया गया है, जो संपूर्ण सृष्टि को अपनी गोद में विश्राम देती हैं।
- जैसे ही रात्रि का आगमन होता है, सारे प्राणी विश्राम की ओर बढ़ते हैं, और प्रकृति शांत हो जाती है।
- रात्रि का रक्षक स्वरूप
- यह सूक्त देवी रात्रि को केवल निद्रा की देवी ही नहीं, बल्कि संरक्षण करने वाली भी मानता है।
- वे सभी को भय से मुक्त रखती हैं, और दुष्ट शक्तियों को नष्ट करती हैं।
- प्रकाश और अंधकार का संतुलन
- इस सूक्त में अंधकार को केवल नकारात्मक नहीं माना गया, बल्कि इसे आवश्यक विश्राम और नवीनीकरण का स्रोत बताया गया है।
- जब रात्रि आती है, तो यह संसार को ठहराव देती है और प्राणियों को ऊर्जा संचित करने का अवसर प्रदान करती है।
- भय से मुक्ति और आत्मरक्षा की प्रार्थना
- सूक्त में देवी रात्रि से यह प्रार्थना की जाती है कि वे सोने वालों की रक्षा करें, और रात्रि के दौरान उत्पन्न होने वाले भय एवं संकटों को दूर करें।
- यह प्रार्थना दुष्ट शक्तियों से बचाव और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने की कामना के रूप में कही जाती है।
रात्रि सूक्तम् का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- यह सूक्त केवल एक धार्मिक स्तुति ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन की महिमा का बोध भी कराता है।
- यह हमें सिखाता है कि अंधकार केवल नकारात्मक नहीं होता, बल्कि यह आवश्यक विश्राम और पुनर्निर्माण का कारक भी है।
- मन एवं आत्मा की शांति के लिए रात्रि का महत्व दर्शाते हुए यह सूक्त हमें सतर्कता, आत्मरक्षा और आंतरिक शक्ति की भावना प्रदान करता है।
रात्रि सूक्तम् का पाठ करने के लाभ
- भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- शत्रु एवं नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- मन शांत और विचार सकारात्मक बनते हैं।
- रात्रि में अच्छी नींद आती है और तनाव कम होता है।
रात्रि सूक्तम् – Ratri Suktam
(ऋ.१०.१२७)
अस्य श्री रात्रीति सूक्तस्य कुशिक ऋषिः रात्रिर्देवता, गायत्रीच्छन्दः,
श्रीजगदम्बा प्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठादौ जपे विनियोगः ।
रात्री॒ व्य॑ख्यदाय॒ती पु॑रु॒त्रा दे॒व्य॒1॑क्षभिः॑ ।
विश्वा॒ अधि॒ श्रियो॑-ऽधित ॥ १
ओर्व॑प्रा॒ अम॑र्त्या नि॒वतो॑ दे॒व्यु॒1॑द्वतः॑ ।
ज्योति॑षा बाधते॒ तमः॑ ॥ २
निरु॒ स्वसा॑रमस्कृतो॒षस॑-न्दे॒व्या॑य॒ती ।
अपेदु॑ हासते॒ तमः॑ ॥ ३
सा नो॑ अ॒द्य यस्या॑ व॒य-न्नि ते॒ याम॒न्नवि॑क्ष्महि ।
वृ॒क्षे न व॑स॒तिं-वँयः॑ ॥ ४
नि ग्रामा॑सो अविक्षत॒ नि प॒द्वन्तो॒ नि प॒क्षिणः॑ ।
नि श्ये॒नास॑श्चिद॒र्थिनः॑ ॥ ५
या॒वया॑ वृ॒क्यं॒1॑ वृकं॑-यँ॒वय॑ स्ते॒नमू॑र्म्ये ।
अथा॑ न-स्सु॒तरा॑ भव ॥ ६
उप॑ मा॒ पेपि॑श॒त्तमः॑ कृ॒ष्णं-व्यँ॑क्तमस्थित ।
उष॑ ऋ॒णेव॑ यातय ॥ ७
उप॑ ते॒ गा इ॒वाक॑रं-वृँणी॒ष्व दु॑हितर्दिवः ।
रात्रि॒ स्तोम॒-न्न जि॒ग्युषे॑ ॥ ८