नव दुर्गा स्तव(Nav Durga Stava) देवी दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति और पूजा के लिए किया जाने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तव नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से प्रचलित है, जब भक्त देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं। नव दुर्गा स्तव में माता के नौ स्वरूपों का गुणगान किया जाता है, जिनके नाम हैं:शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
नव दुर्गा स्तव का महत्व Importance of Nav Durga Stava
नव दुर्गा स्तव का पाठ न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल भी प्रदान करता है। यह स्तोत्र भक्तों को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। नव दुर्गा स्तव को पढ़ने से देवी की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में सहायता मिलती है।
नव दुर्गा स्तव के लाभ Benifits of Nav Durga Stava
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तव आत्मा को शुद्ध करता है और भक्त को ईश्वर के समीप लाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: इसका पाठ करने से जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का वास होता है।
- शक्ति और साहस की प्राप्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में सहनशक्ति और साहस प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: नियमित पाठ से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मनोकामना पूर्ण होना: नव दुर्गा स्तव के पाठ से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नव दुर्गा स्तव का पाठ करने की विधि
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर दीप जलाएं और नव दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- ध्यानमग्न होकर नव दुर्गा स्तव का पाठ करें।
- अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
नव दुर्गा स्तव Nav Durga Stava
सर्वोत्तुङ्गां सर्वविप्रप्रवन्द्यां
शैवां मेनाकन्यकाङ्गीं शिवाङ्गीम्।
कैलासस्थां ध्यानसाध्यां पराम्बां
शुभ्रां देवीं शैलपुत्रीं नमामि।
कौमारीं तां कोटिसूर्यप्रकाशां
तापावृत्तां देवदेवीमपर्णाम्।
वेदज्ञेयां वाद्यगीतप्रियां तां
ब्रह्मोद्गीथां ब्रह्मरूपां नमामि।
वृत्ताक्षीं तां वासरारम्भखर्व-
सूर्यातापां शौर्यशक्त्यैकदात्रीम्।
देवीं नम्यां नन्दिनीं नादरूपां
व्याघ्रासीनां चन्द्रघण्टां नमामि।
हृद्यां स्निग्धां शुद्धसत्त्वान्तरालां
सर्वां देवीं सिद्धिबुद्धिप्रदात्रीम्।
आर्यामम्बां सर्वमाङ्गल्ययुक्तां
कूष्माण्डां तां कामबीजां नमामि।
दिव्येशानीं सर्वदेवैरतुल्यां
सुब्रह्मण्यां सर्वसिद्धिप्रदात्रीम्।
सिंहासीनां मातरं स्कन्दसंज्ञां
धन्यां पुण्यां सर्वदा तां नमामि।
कालीं दोर्भ्यां खड्गचक्रे दधानां
शुद्धामम्बां भक्तकष्टादिनाशाम्।
सत्त्वां सर्वालङ्कृताशेषभूषां
देवीं दुर्गां कातवंशां नमामि।
रुद्रां तीक्ष्णां राजराजैर्विवन्द्यां
कालाकालां सर्वदुष्टप्रनाशाम्।
क्रूरां तुण्डां मुण्डमाल्याम्बरां तां
चण्डां घोरां कालरात्रिं नमामि।
शूलीकान्तां पारमार्थप्रदां तां
पुण्यापुण्यां पापनाशां परेशाम्।
कामेशानीं कामदानप्रवीणां
गौरीमम्बां गौरवर्णां नमामि।
निश्चाञ्चल्यां रक्तनालीकसंस्थां
हेमाभूषां दीनदैन्यादिनाशाम्।
साधुस्तुत्यां सर्ववेदैर्विवन्द्यां
सिद्धैर्वन्द्यां सिद्धिदात्रीं नमामि।
दुर्गास्तोत्रं सन्ततं यः पठेत् सः
प्राप्नोति स्वं प्रातरुत्थाय नित्यम्।
धैर्यं पुण्यं स्वर्गसंवासभाग्यं
दिव्यां बुद्धिं सौख्यमर्थं दयां च।
नव दुर्गा स्तव पर पूछे जाने वाले प्रश्न
नव दुर्गा स्तव क्या है?
नव दुर्गा स्तव देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की स्तुति और प्रार्थना है। यह प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है और इसे नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पढ़ा जाता है। यह स्तव शक्ति, ज्ञान, और भक्ति का प्रतीक है।
नव दुर्गा स्तव का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
नव दुर्गा स्तव का पाठ प्रातःकाल या सायंकाल में शुद्धता के साथ करना चाहिए। नवरात्रि के नौ दिनों में इसका पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। पूजा स्थल को साफ करके दीपक जलाएं और भक्ति भाव से स्तव का पाठ करें।
नव दुर्गा स्तव का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
नव दुर्गा स्तव का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मबल, और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। इसके साथ ही, भक्त को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
क्या नव दुर्गा स्तव केवल नवरात्रि में ही पढ़ा जा सकता है?
नव दुर्गा स्तव को नवरात्रि में पढ़ने का विशेष महत्व है, लेकिन इसे साल के किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। जब भी कोई व्यक्ति मानसिक शांति और देवी दुर्गा की कृपा की आवश्यकता महसूस करे, वह इसका पाठ कर सकता है।