38.9 C
Gujarat
शुक्रवार, मई 23, 2025

ऐकमत्य सूक्तम् (ऋग्वेद)

Post Date:

Aikamatya Suktam in Hindi

ऋग्वेद भारतीय वैदिक परंपरा का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें अनेक दार्शनिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विषयों पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए हैं। ऋग्वेद में समाविष्ट ऐकमत्य सूक्तम्(Aikamatya Suktam) (ऋग्वेद 10.191) एक अत्यंत महत्वपूर्ण सूक्त है, जो सामूहिक एकता, सहयोग और सामंजस्य की भावना को प्रकट करता है। यह सूक्त समाज में सामूहिकता, सौहार्द्र, समान विचारधारा और संगठन के महत्व को दर्शाता है।

ऐकमत्य सूक्तम् का अर्थ और महत्व

ऐकमत्य का अर्थ है “एकता” या “सामंजस्य।” यह सूक्त समाज के सभी लोगों को एक साथ मिलकर चलने, एक समान विचारधारा अपनाने और परस्पर सौहार्द्र बढ़ाने की प्रेरणा देता है। इसे समाज में सामूहिक भावना को विकसित करने वाला सूक्त माना जाता है।

ऐकमत्य सूक्तम् (ऋग्वेद)Aikamatya Suktam

(ऋग्वेदे अन्तिमं सूक्तं)

ॐ संस॒मिद्युवसे वृष॒न्नग्ने॒ विश्वा᳚न्य॒र्य आ ।
इ॒लस्प॒दे समि॑ध्यसे॒ स नो॒ वसू॒न्याभर ॥

सङ्ग॑च्छध्वं॒ सं​वँदध्वं॒ सं-वोँ॒ मनां᳚सि जानताम् ।
दे॒वा भा॒गं-यँथा॒ पूर्वे᳚ सञ्जाना॒ना उ॒पासते ॥

स॒मा॒नो मन्त्र॒-स्समिति-स्समा॒नी समा॒न-म्मन॑स्स॒ह चि॒त्तमे᳚षाम् ।
स॒मा॒न-म्मन्त्रम॒भिम᳚न्त्रये व-स्समा॒नेन वो ह॒विषा᳚ जुहोमि ॥

स॒मा॒नी व॒ आकू᳚ति-स्समा॒ना हृदयानि वः ।
स॒मा॒नम॑स्तु वो॒ मनो॒ यथा᳚ व॒-स्सुस॒हासति ॥

ॐ शान्ति॒-श्शन्ति॒-श्शान्तिः॑ ॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 13 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 13

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 13 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 12 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 12

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 12 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 11 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 11

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 11 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 9 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 9

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 9 | Rashmirathi...
error: Content is protected !!