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शनिवार, अप्रैल 26, 2025

कामाक्षा माँ की आरती 

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कामाक्षा माँ को हिन्दू धर्म में देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें माँ शक्ति के रूप में जाना जाता है। उनका मुख्य मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है, जिसे कामाक्षी अम्मन मंदिर के नाम से जाना जाता है। देवी कामाक्षा को शक्ति की एक प्रमुख देवी माना जाता है, जो आदि शक्ति, पार्वती या दुर्गा का एक रूप हैं।

कामाक्षा का अर्थ है “वह जो प्रेम की देवी हैं”। उनका स्वरूप सौम्य और करुणामयी है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में पाश, एक में अंकुश, एक में पुष्पमाला और एक में वरमुद्रा होती है। उनका वाहन सिंह होता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

कामाक्षा देवी की पूजा मुख्यतः तांत्रिक परंपरा में होती है। उन्हें त्रिपुरा सुंदरी का अवतार भी माना जाता है, जो कि दस महाविद्याओं में से एक हैं। कांचीपुरम का मंदिर देवी की सबसे पवित्र स्थली मानी जाती है, जहाँ हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में देवी की मूर्ति ध्यान मुद्रा में स्थित है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और आशीर्वाद का प्रतीक है।

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माँ कामाख्या आरती  Maa Kamakhya Aarti 

आरती कामाक्षा देवी की।
जगत् उधारक सुर सेवी की॥ आरती…


गावत वेद पुरान कहानी।
योनिरुप तुम हो महारानी॥
सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी।
लहे दरस सब सुख लेवी की॥ आरती…


दक्ष सुता जगदम्ब भवानी।
सदा शंभु अर्धंग विराजिनी।
सकल जगत् को तारन करनी।
जै हो मातु सिद्धि देवी की॥ आरती…

तीन नयन कर डमरु विराजे।
टीको गोरोचन को साजे।
तीनों लोक रुप से लाजे।
जै हो मातु ! लोक सेवी की॥ आरती…

रक्त पुष्प कंठन वनमाला।
केहरि वाहन खंग विशाला।
मातु करे भक्तन प्रतिपाला।
सकल असुर जीवन लेवी की॥ आरती…


कहैं गोपाल मातु बलिहारी
जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी।
सब सत होय जो कह्यो विचारी।
जै जै सबहिं करत देवी की॥ आरती…

प्रदक्षिणा
नमस्ते देवि देवेशि नमस्ते ईप्सितप्रदे।
नमस्ते जगतां धात्रि नमस्ते भक्त वत्सले॥

दण्डवत् प्रणाम्
नमः सर्वाहितार्थायै जगदाधार हेतवे।
साष्टांगोऽयं प्रणामस्तु प्रयत्नेन मया कृतः॥

वर-याचना
पुत्रान्देहि धनं देहि सौभाग्यं देहि मंगले।
अन्यांश्च सर्व कामांश्च देहि देवि नमोऽस्तु ते॥

क्षमा प्रार्थना
ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदिच्छित्।
पूर्ण भवतु तत्सर्व त्वत्प्रसादात् महेश्वरीम्॥

a Kamakhya Aarti | Maa Kamakhya Bhajan | ANUP JALOTA – GITALI 

Maa Kamakhya Aarti Devi Bhajan By Madhusmita

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