Durva Suktam in Hindi
दुर्वा सूक्तम्(Durva Suktam) महानारायण उपनिषद् का एक महत्वपूर्ण सूक्त है, जो वेदों के पौरोहित्य एवं आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। यह सूक्त दुर्वा (एक पवित्र घास) की महिमा का गुणगान करता है और इसे शास्त्रों में विशेष पूजनीय माना गया है।
दुर्वा का महत्व
दुर्वा एक ऐसी औषधीय एवं पवित्र घास है जिसे वैदिक काल से ही धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग किया जाता रहा है। इसे शुभता, समृद्धि और आयु वृद्धि के लिए उपयोगी माना गया है। दुर्वा गणेश पूजा, हवन, अभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
दुर्वा सूक्तम् का स्रोत
दुर्वा सूक्तम् का वर्णन महानारायण उपनिषद् में मिलता है। यह सूक्त पवित्रता, समृद्धि और जीवन के विभिन्न पक्षों में सुख-शांति की कामना के लिए पढ़ा जाता है।
दुर्वा सूक्तम् का मंत्र और उसका अर्थ
इस सूक्त में दुर्वा की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि दुर्वा अत्यंत पवित्र, दीर्घायु प्रदान करने वाली, समृद्धि कारक और कल्याणकारी है।
दुर्वा सूक्तम् (महानारायण उपनिषद्) – Durva Suktam
स॒ह॒स्र॒पर॑मा दे॒वी॒ श॒तमू॑ला श॒ताङ्कु॑रा । सर्वग्ं॑ हरतु॑ मे पा॒प॒-न्दू॒र्वा दुः॑स्वप्न॒ नाश॑नी । काण्डा᳚-त्काण्डा-त्प्र॒रोह॑न्ती॒ परु॑षः परुषः॒ परि॑ ।
ए॒वा नो॑ दूर्वे॒ प्रत॑नु स॒हस्रे॑ण श॒तेन॑ च । या श॒तेन॑ प्रत॒नोषि॑ स॒हस्रे॑ण वि॒रोह॑सि । तस्या᳚स्ते देवीष्टके वि॒धेम॑ ह॒विषा॑ व॒यम् । अश्व॑क्रा॒न्ते र॑थक्रा॒न्ते॒ वि॒ष्णुक्रा᳚न्ते व॒सुन्ध॑रा । शिरसा॑ धार॑यिष्या॒मि॒ र॒क्ष॒स्व मा᳚-म्पदे॒ पदे ॥ 1.37 (तै. अर. 6.1.8)
दुर्वा सूक्तम् के लाभ
- शुद्धि और पवित्रता: इस सूक्त का पाठ करने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- आयु और आरोग्य: यह मंत्र व्यक्ति की दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- समृद्धि एवं सुख-शांति: इस सूक्त के जाप से घर में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रहती है।
- गणेश पूजा में विशेष महत्व: भगवान गणेश को दुर्वा अर्पण करने से विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।