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सोमवार, अक्टूबर 7, 2024

अगस्त्यकृतम् शिवस्तोत्रम्

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अगस्त्यकृतम् शिवस्तोत्रम् Agasthyakritam Shivastotram

अद्य मे सफलं जन्म चाद्य मे सफलं तपः ।
अद्य मे सफलं ज्ञानं शंभो त्वत्पाददर्शनात् ॥१॥

कृतार्थोऽहं कृतार्थोऽहं कृतार्थोऽहं महेश्वर ।
अद्य ते पादपद्मस्य दर्शनात् भक्तवत्सल ॥२॥

शिवः शंभुः शिवः शंभुः शिवः शंभुः शिवः शिवः ।
इति व्याहरतो नित्यं दिनान्यायान्तु यान्तु मे ॥३॥

शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्तिर्भिवे भवे ।
सदा भूयात् सदा भूयात् सदा भूयात् सुनिश्चला ॥४॥

वयं धन्या वयं धन्या वयं धन्या जगत्त्रये ।
आदिदेवो महादेवो यदस्मत् कुलदैवतम् ॥५॥

हर शंभो महादेव विश्वेशामरवत्सल ।
शिवशंकर सर्वात्मन् नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते ॥६॥

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