27 C
Gujarat
मंगलवार, मार्च 25, 2025

Narasimha Bhujanga Stotram In Sanskrit

Post Date:

नरसिंह भुजंग स्तोत्रम् (Narasimha Bhujanga Stotram) भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की स्तुति में लिखा गया एक अत्यंत प्रभावशाली एवं भक्तिपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भुजंगप्रयात छंद में लिखा गया है, जिससे इसका पाठ करने पर एक लयबद्ध प्रवाह उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को भय, संकट और शत्रुओं से रक्षा मिलती है।

नरसिंह भुजंग स्तोत्रम् के पाठ की विधि

  1. इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर किया जाना चाहिए।
  2. पाठ के दौरान भगवान नरसिंह का ध्यान करें और उनकी स्तुति करें।
  3. स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।
  4. नृसिंह मंत्र “ऊँ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
    नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥”
    का जाप भी लाभकारी होता है।

Narasimha Bhujanga Stotram In Sanskrit नरसिम्हा भुजंगा स्तोत्रम्

ऋतं कर्तुमेवाशु नम्रस्य वाक्यं सभास्तम्भमध्याद्य आविर्बभूव।
तमानम्रलोकेष्टदानप्रचण्डं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
इनान्तर्दृगन्तश्च गाङ्गेयदेहं सदोपासते यं नराः शुद्धचित्ताः।
तमस्ताघमेनोनिवृत्त्यै नितान्तं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
शिवं शैववर्या हरिं वैष्णवाग्र्याः पराशक्तिमाहुस्तथा शक्तिभक्ताः।
यमेवाभिधाभिः परं तं विभिन्नं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
कृपासागरं क्लिष्टरक्षाधुरीणं कृपाणं महापापवृक्षौघभेदे।
नतालीष्टवाराशिराकाशशाङ्कं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
जगन्नेति नेतीति वाक्यैर्निषिद्‍ध्यावशिष्टं परब्रह्मरूपं महान्तः।
स्वरूपेण विज्ञाय मुक्ता हि यं तं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
नतान्भोगसक्तानपीहाशु भक्तिं विरक्तिं च दत्वा दृढां मुक्तिकामान्।
विधातुं करे कङ्कणं धारयन्तं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
नरो यन्मनोर्जापतो भक्तिभावाच्छरीरेण तेनैव पश्यत्यमोघाम्।
तनुं नारसिंहस्य वक्तीति वेदो नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
यदङ्घ्र्यब्जसेवापराणां नराणां विरक्तिर्दृढा जायतेऽर्थेषु शीघ्रम्।
तमङ्गप्रभाधूतपूर्णेन्दुकोटिं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
रथाङ्गं पिनाकं वरं चाभयं यो विधत्ते कराब्जैः कृपावारिराशिः।
तमिन्द्वच्छदेहं प्रसन्नास्यपद्मं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
पिनाकं रथाङ्गं वरं चाभयं च प्रफुल्लाम्बुजाकारहस्तैर्दधानम्।
फणीन्द्रातपत्रं शुचीनेन्दुनेत्रं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
विवेकं विरक्तिं शमादेश्च षट्कं मुमुक्षां च सम्प्राप्य वेदान्तजालैः।
यतन्ते विबोधाय यस्यानिशं तं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
सदा नन्दिनीतीरवासैकलोलं मुदा भक्तलोकं दृशा पालयन्तम्।
विदामग्रगण्या नताः स्युर्यदङ्घ्रौ नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंहम्।
यदीयस्वरूपं शिखा वेदराशेरजस्रं मुदा सम्यगुद्घोषयन्ति।
नलिन्यास्तटे स्वैरसञ्चारशीलं चिदानन्दरूपं तमीडे नृसिंहम्।
यमाहुर्हि देहं हृषीकाणि केचित्परेऽसूंस्तथा बुद्धिशून्ये तथान्ये।
यदज्ञानमुग्धा जना नास्तिकाग्र्याः सदानन्दरूपं तमीडे नृसिंहम्।
सदानन्दचिद्रूपमाम्नायशीर्षैर्विचार्यार्यवक्त्राद्यतीन्द्रा यदीयम्।
सुखेनासते चित्तकञ्जे दधानाः सदानन्दचिद्रूपमीडे नृसिंहम्।
पुरा स्तम्भमध्याद्य आविर्बभूव स्वभक्तस्य कर्तुं वचस्तथ्यमाशु।
तमानन्दकारुण्यपूर्णान्तरङ्गं बुधा भावयुक्ता भजध्वं नृसिंहम्।
पुरा शङ्करार्या धराधीशभृत्यैर्विनिक्षिप्तवह्निप्रतप्तस्वदेहाः।
स्तुवन्ति स्म यं दाहशान्त्यै जवात्तं बुधा भावयुक्ता भजध्वं नृसिंहम्।
सदेमानि भक्त्याख्यसूत्रेण दृब्धान्यमोघानि रत्नानि कण्ठे जना ये।
धरिष्यन्ति तान्मुक्तिकान्ता वृणीते सखीभिर्वृता शान्तिदान्त्यदिमाभिः।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

मार्कण्डेयपुराण

Markandey Puranमार्कण्डेय पुराण(Markandey Puran) हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों...

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam In Hindi and Sanskrit

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam (श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम)श्री...

श्री गङ्गाष्टकम्

Ganga Ashtakam In Hindiश्री गङ्गाष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र...

गोविन्दाष्टकम

https://youtu.be/YEiOXNodAEQ?si=Wn_JC_oWNZ3v7TvEगोविन्दाष्टकमश्री गोविन्दाष्टकम(Govindashtakam) एक प्रसिद्ध वैष्णव स्तोत्र है, जिसमें भगवान...