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शुक्रवार, मई 23, 2025

शब्द ब्रह्म

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Shabda Bramha

शब्द ब्रह्म एक ऐसा विषय है जिसका अध्ययन हमें शब्दों की महिमा और महत्व के प्रति जागरूकता प्रदान करता है। बिना किसी कारण जो उत्पन्न होता है उसे ही ‘शब्द ब्रह्म’ कहा जाता है,इसको अनाहत नाद भी कह सकते है,जेसे की ध्वनी की कोई ना कोई उत्पति होती ही है लेकिन शब्द ब्रह्म(अनाहत नाद) का कोई भी स्त्रोत नहीं होता है। यह शब्द बहोत उच्च ध्यान तपस्या और साधना करने के पश्चात ही इसका अनुभव होता है और सुनाईं देता है।

shivshakti
  • शब्द ब्रह्म क्या है।
  • शब्द ब्रह्म अनाहत ही उत्पन होता है उसका कोई स्त्रोत नहीं होता है।
  • बहोत तरह के शब्द ब्रह्म होते है।
  • शब्द ब्रह्म का अभ्यास बहोत तरह के लाभ प्रदान करता है।
  • यह किसी भी स्त्रोत और आघात के बिना ही अनायास प्रगट होता है।
  • शब्द ब्रह्म ॐ ध्वनी से बिलकुल अलग होते है।
  • विशेष तरीके से ही शब्द ब्रह्म का श्रवण किया जा सकता है।

भगवान शंकर ने माता पार्वतीजी को शब्द ब्रह्म का ज्ञान दिया था। यह अनाहाद नाद है जो बिना किसी स्त्रोत या आघात से उत्पन्न होता है।

इस लेख के माध्यम से शब्द ब्रह्म को प्रगट करने की विधि साजा कर रहा हु, रात्री में ध्वनीरहित, अंधकारयुक्त, सान्तिमय एकांत स्थान पर बैठ कर. तर्जनी उंगली से दोनों कानो को बंध कर के आंखे बंध कर के यह थोड़े अभ्यास के बाद अग्निप्रेरित शब्द सुनाई देगा इसे ही शब्द ब्रह्म कहते है। यह सुनने का निरंतर प्रयास ही शब्द ब्रह्म का ध्यान है। इसे ही शब्द ब्रह्म कहते है। शब्द ब्रह्म नौ (९) प्रकार के बताएं गए है।

(१) घोष नाद : आत्मशुद्धि करके सब रोगों का नास करता है मन को वशीभूत करके अपनी और खिचता है।

(२) श्रृंग नाद : यह अभिचार से सम्बन्ध रखने वाला है।

(३) वीणा नाद : इसके ध्यान से दूरदर्शन की सिद्धि प्राप्त होती है।

(४) दुन्दुभी नाद : इसके ध्यान से मृत्यु व जरा के कष्ट से छूट जाता है।

(५) शंख नाद : इसके ध्यान से इच्छानुसार से रूप धारण कर सकते है।

(६) घंट नाद : घंट नाद का उच्चारण साक्षात् महादेव करते हैं. यह संपूर्ण देवताओं को आकर्षित कर लेता है, सिद्धियाँ देता है और कामनाएं पूर्ण करता है।

(७) वंशी नाद : इसके ध्यान से तत्त्व की प्राप्ति हो जाती है।

(८) कांस्य नाद : यह प्राणी की गति को स्तंभित कर देता है और विष को भी बाधित करता है भुत, ग्रह को बांधता है।

(९) मेघ नाद : विपत्तियों को दूर करता है।

इन को छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है। तुंकार का ध्यान करने से साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है। अर्थात् मनुष्य स्वयं शिवरुप हो जाता है। यह स्थिति बेहद दुर्लभ है बहोत कम लोगो को यह सिद्धि प्राप्त हुई है।

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