Saraswati Stuti In Hindi
सरस्वती स्तुति(Saraswati Stuti) का भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यधिक महत्व है। देवी सरस्वती विद्या, ज्ञान, संगीत, कला और वाणी की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनकी स्तुति से न केवल बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है, बल्कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सही दिशा भी मिलती है। सरस्वती स्तुति वैदिक युग से ही भारतीय धर्म और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है।
सरस्वती देवी का स्वरूप
सरस्वती देवी को श्वेत वस्त्र पहने हुए, वीणा बजाते हुए और हंस पर सवार दिखाया जाता है। श्वेत रंग पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वीणा संगीत और कला का प्रतीक है, पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है, माला ध्यान और तप का प्रतीक है, और अभय मुद्रा से वे भक्तों को निर्भयता प्रदान करती हैं।
सरस्वती स्तुति का महत्व
सरस्वती स्तुति का उद्देश्य माता सरस्वती से बुद्धि, विवेक और सच्चे ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह स्तुति विद्यार्थियों, कलाकारों, संगीतकारों और विद्वानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से सरस्वती स्तुति का पाठ करता है, उसकी वाणी में प्रभाव, बुद्धि में तेज और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
सरस्वती स्तुति का पाठ
या कुन्देन्दुतुषार- हारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्ड- मण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशङ्कर- प्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिः स्फटिकमणिमयीमक्षमालां दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपि च शुकं पुस्तकं चापरेण।
भासा कुन्देन्दुशङ्ख- स्फटिकमणिनिभा भासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना।
आशासु राशी भवदङ्गवल्लि-
भासेव दासीकृतदुग्धसिन्धुम्।
मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं
वन्देऽरविन्दासनसुन्दरि त्वाम्।
शारदा शारदाम्बोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदाऽस्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्।
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जनाः।
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्नः सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या।
शुद्धां ब्रह्मविचारसार- परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।
वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्।
श्वेताब्जपूर्ण- विमलासनसंस्थिते हे
श्वेताम्बरावृत- मनोहरमञ्जुगात्रे।
उद्यन्मनोज्ञ- सितपङ्कजमञ्जुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्।
मातस्त्वदीयपद- पङ्कजभक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण
भूवह्निवायुगगना- म्बुविनिर्मितेन।
मोहान्धकारभरिते हृदये मदीये
मातः सदैव कुरु वासमुदारभावे।
स्वीयाखिलावयव- निर्मलसुप्रभाभिः
शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्।
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेशः
शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावैः।
न स्यात् कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे
न स्युः कथञ्चिदपि ते निजकार्यदक्षाः।
लक्ष्मिर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तृष्टिः प्रभा धृतिः।
एताभिः पाहि तनुभिरष्टभिर्मां सरस्वति।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।
यदक्षरपदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि।
सरस्वती स्तुति से होने वाले लाभ
- बुद्धि और विवेक का विकास: सरस्वती स्तुति से व्यक्ति की मानसिक क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।
- विद्या में वृद्धि: विद्यार्थियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इससे अध्ययन में एकाग्रता और सफलता मिलती है।
- संगीत और कला में प्रगति: संगीतकारों और कलाकारों के लिए सरस्वती स्तुति प्रेरणा और सृजनशीलता का स्रोत है।
- वाणी में मधुरता: सरस्वती स्तुति से वाणी में मधुरता और प्रभाव बढ़ता है, जिससे व्यक्ति अपने विचारों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर पाता है।
सरस्वती पूजन और स्तुति का समय
बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती की पूजा और स्तुति के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन विद्यार्थी, शिक्षक और कलाकार विशेष रूप से सरस्वती पूजा करते हैं और स्तुति पाठ करते हैं। इसके अलावा, प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद शुद्ध मन से सरस्वती स्तुति का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
सरस्वती स्तुति पर पूछे जाने वाले प्रश्न
सरस्वती स्तुति क्या है?
सरस्वती स्तुति, माँ सरस्वती की पूजा और आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्तुति माँ सरस्वती की महिमा, ज्ञान, कला, और संगीत में उनकी विद्वत्ता को सम्मानित करती है। इसे विशेष रूप से शास्त्रों, साहित्य, और संगीत में रुचि रखने वाले लोग पढ़ते और गाते हैं। यह स्तुति व्यक्ति के जीवन में बुद्धि, ज्ञान, और सफलता की प्राप्ति के लिए एक प्रभावी साधन मानी जाती है।
सरस्वती स्तुति का महत्व क्या है?
सरस्वती स्तुति का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह मनुष्य को मानसिक शांति, ज्ञान, और बुद्धिमत्ता की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह स्तुति छात्रों, विद्वानों, और कलाकारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है क्योंकि माँ सरस्वती के आशीर्वाद से व्यक्ति की रचनात्मकता और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
सरस्वती स्तुति का पाठ कब किया जाता है?
सरस्वती स्तुति का पाठ विशेष रूप से वसंत पंचमी के दिन किया जाता है, जो माँ सरस्वती का पर्व होता है। इसके अलावा, जब भी व्यक्ति को ज्ञान की आवश्यकता महसूस हो, या विशेष रूप से शैक्षिक या कला संबंधित परीक्षा के पहले, तब भी सरस्वती स्तुति का पाठ किया जाता है। यह पूजा एवं स्तुति को शुभ और लाभकारी माना जाता है।
सरस्वती स्तुति के कौन से मुख्य श्लोक हैं?
सरस्वती स्तुति में कई प्रमुख श्लोक होते हैं, जिनमें से एक प्रसिद्ध श्लोक है: “या कुन्देन्दु तुषारहार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा, या श्वेतपद्मासना॥”
यह श्लोक माँ सरस्वती के रूप का वर्णन करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उच्च स्तरीय आदर और सम्मान व्यक्त करता है।सरस्वती स्तुति का नियमित पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
सरस्वती स्तुति का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और बौद्धिक विकास होता है। यह शास्त्रों, साहित्य, और संगीत में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। इसके द्वारा व्यक्ति की रचनात्मकता, तार्किक क्षमता, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, यह व्यक्ति को परीक्षा में सफलता, जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है।