ऋषि पंचमी की आरती Rishi Panchami Aarti
श्री हरि हर गुरु गणपति , सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।
ॐ जय गौतम त्राता , स्वामी जी गौतम त्राता ।
ऋषिवर पूज्य हमारे ,मुद मंगल दाता।। ॐ जय।।
द्विज कुल कमल दिवाकर , परम् न्याय कारी।
जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।। ॐ जय।।
पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।।ॐ जय।।
गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये ।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।।ॐ जय।।
अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो ।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।।ॐ जय।।
पुत्र प्राप्ति हेतु , भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से , सुत को जन्म भयो।।ॐ जय।।
भूप मनोरथ पूर्ण करके , चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की , निर्मल देह करी।।ॐ जय।।
ऋषिवर अक्षपाद की आरती ,जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से , मनोवांछित फल पावे ।।ॐ जय।।
ऋषि पंचमी की आरती – २
ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय …
शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु……
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ….
लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु…..
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय …..
महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु…..
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय …..
शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु……
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय …..
सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु……
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ……
विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु….
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय …..
हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु…..
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय …..