29.5 C
Gujarat
गुरूवार, जून 5, 2025

श्री पितृ चालीसा

Post Date:

Shri Pitru Chalisa In Hindi

श्री पितृ चालीसा(Shri Pitru Chalisa) हिंदू धर्म में पितरों की पूजा एवं श्राद्ध कर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह चालीसा उन पूर्वजों (पितृगण) के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए गाई जाती है, जिन्होंने इस धरती पर जन्म लेकर अपने परिवार एवं समाज के कल्याण हेतु कार्य किया। यह चालीसा पितरों की आत्मा की शांति, मोक्ष प्राप्ति तथा कुल में सुख-शांति बनाए रखने हेतु अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

पितरों का महत्व

1. पितृ तर्पण एवं श्राद्ध:
हिंदू धर्म में पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध करना अति आवश्यक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने पितरों का सम्मान एवं तर्पण करता है, उसे कुल के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और वह जीवन में समृद्धि, सुख एवं शांति का अनुभव करता है।

2. पितृ दोष निवारण:
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके जीवन में कई प्रकार की परेशानियाँ आती हैं, जैसे संतान सुख में बाधा, धन हानि, विवाह में देरी आदि। श्री पितृ चालीसा का पाठ करने से पितृ दोष का निवारण होता है।

3. आत्मिक शांति:
चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

श्री पितृ चालीसा का पाठ करने की विधि

  1. स्नान एवं शुद्धता: प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान चयन: पूजा स्थल पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. दीप प्रज्ज्वलन: एक घी का दीप जलाएं और पितृ देवताओं को जल अर्पित करें।
  4. चालीसा पाठ: श्री पितृ चालीसा का श्रद्धा भाव से पाठ करें।
  5. तर्पण एवं भोग: पितरों के नाम से जल तर्पण करें और विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष में पितृ भोज अर्पित करें।

पितृ दोष निवारण में श्री पितृ चालीसा की भूमिका

जिन व्यक्तियों को पितृ दोष से संबंधित समस्याएँ होती हैं, उन्हें नियमित रूप से श्री पितृ चालीसा का पाठ करने से लाभ मिलता है। यह चालीसा पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सशक्त साधन है।

पितृ दोष निवारण हेतु विशेष उपाय:

  • प्रत्येक अमावस्या एवं पितृ पक्ष में श्री पितृ चालीसा का पाठ करें।
  • जल में काले तिल डालकर पितरों को तर्पण करें।
  • श्राद्ध पक्ष में जरूरतमंदों को भोजन कराएं।



श्री पितृ चालीसा Shri Pitar Chalisa ( Pitru Chalisa )

॥ दोहा ॥

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी, हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी ॥

॥ चौपाई ॥

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर।
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा।

मातृ-पितृ देव मनजो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे ।
जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा।
नारायण आधार सृष्टि का, पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का।

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते।
झंझुनू ने दरबार है साजे, सब देवो संग आप विराजे।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।
पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी।

तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे ।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते।
तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी।

भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे।
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी।
शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा।
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब पूजे पित्तर भाई।

हिन्दु वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा।
गंगा ये मरूप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की।

बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा।
चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते।

जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है।

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।
निशदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई।

तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई।
चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।

नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई।
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे।

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे।
तुमहिं देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।

सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई।

मैं अतिदीन मलीन दुखारी, करहु कौन विधि विनय तुम्हारी।
अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति, शक्ति कछु दीजै।

॥ दोहा ॥

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ॥

झुंझुनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान ॥

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान ॥

श्री पितृ चालीसा केवल एक धार्मिक पाठ ही नहीं, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति सम्मान एवं श्रद्धा व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह न केवल पितरों को प्रसन्न करता है, बल्कि संतान सुख, वैवाहिक जीवन की शांति एवं आर्थिक समृद्धि भी प्रदान करता है। यदि इसे सच्ची श्रद्धा और भक्ति से किया जाए, तो पितृ दोष समाप्त होकर जीवन में सकारात्मकता एवं सफलता का संचार होता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Hiranmayee Stotram

हिरण्मयी स्तोत्रम्हिरण्मयी स्तोत्रम् (Hiranmayee Stotram) एक अत्यंत प्रभावशाली एवं...

हरिप्रिया स्तोत्रम्

हरिप्रिया स्तोत्रम्हरिप्रिया स्तोत्रम् (Haripriya Stotram) एक अत्यंत दिव्य और...

Kamala Stotram

Kamala Stotramकमला स्तोत्रम् (Kamala Stotram) एक अत्यंत प्रभावशाली और...

Sri Lakshmi Mangalashtaka Stotram

Sri Lakshmi Mangalashtaka Stotramमङ्गलं करुणापूर्णे मङ्गलं भाग्यदायिनि।मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं...
error: Content is protected !!