25.1 C
Gujarat
गुरूवार, अक्टूबर 30, 2025

किरातमूर्तिस्तोत्रम्

Post Date:

किरातमूर्तिस्तोत्रम् Kiratmurti Stotram

नमः शिवाय भर्गाय लीलाशबररूपिणे ।
प्रपन्नार्तपरित्राणकरुणामसृणात्मने ॥१॥
पिञ्छोत्तंसं समानीलश्मश्रुविद्योतिताननम् ।
उदग्रारक्तनयनं गौरकौशेयवाससम् ॥२॥
कैलासशिखरोत्तुङ्गं छुरिकाचापधारिणम् ।
किरातमूर्तिं ध्यायामि परमं कुलदैवतम् ॥३॥
दुर्जनैर्बहुधाऽऽक्रान्तं भयसंभ्रान्तमानसम् ।
त्वदेकशरणं दीनं परिपालय नाथ, माम् ॥४॥
मह्यं द्रुह्यन्ति रिपवो बाह्याश्चाभ्यन्तराश्च ये ।
विद्रावय दयासिन्धो चापज्यानिस्वनेन तान् ॥५॥
कूटकर्मप्रसक्तानां शत्रूणां शातनाय भोः ।
चालय छुरिकां घोरां शतकोटिसमुज्ज्वलाम् ॥६॥
विपद्दावानलज्वालासन्तप्तं रोगपीडितम् ।
कर्तव्यताविमूढं मां त्रायस्व गिरिशात्मज ॥७॥
नमः किरातवपुषे नमः क्षेमङ्कराय च ।
नमः पापविघाताय नमस्ते धर्मसेतवे ॥८॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!