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शनिवार, मई 31, 2025

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते

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Jyon Jyon Main Peche Hatata Hoon Tyon Tyon Tum Aage Aate

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते ।

छिपे हुए परदोंमें अपना मोहन मुखड़ा दिखलाते ।।

पर मैं अंधा ! नहीं देखता परदोंके अंदरकी चीज़ ।

मोह-मुग्ध मैं देखा करता परदे बहुरंगे नाचीज़ ॥ १ ॥

परदोंके अंदरसे तुम हँसते प्यारी मधुरी हाँसी ।

चित्त खींचनेको तुम तुरत बजा देते मीठी बाँसी ॥

सुनता हूँ, मोहित होता, दर्शनकी भी इच्छा करता ।

पाता नहीं देख, पर, जडमति ! इधर-उधर मारा फिरता ।। २ ।।

तरह तरहसे ध्यान खींचते करते विविध भाँति संकेत ।

चौकन्ना-सा रह जाता हूँ, नहीं समझता मूर्ख अचेत ॥

तो भी नहीं ऊबते हो तुम, परदा जरा उठाते हो।

धीरेसे संबोधन करके अपने निकट बुलाते हो ॥ ३ ॥

इतने पर भी नहीं देखता, सिंह गर्जना तब करते ।

तन-मन-प्राण काँप उठते हैं, नहीं धीर कोई घरते ।।

डरता, भाग छूटता, तब आश्वासन देकर समझाते ।

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते || ४ ||

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