30 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

भू सूक्तम्

Post Date:

Bhu Suktam In Hindi

भू सूक्तम्(Bhu Suktam)वेदों में सम्मिलित एक महत्वपूर्ण सूक्त है, जो ऋग्वेद के द्वितीय मंडल में वर्णित है। यह सूक्त पृथ्वी देवी के महत्त्व, गुण, और उनकी संरक्षक शक्ति की स्तुति करता है। इसे पृथ्वी सूक्त या भू सूक्त के नाम से भी जाना जाता है। इस सूक्त में प्रकृति, पर्यावरण, मानव जीवन और उनके परस्पर संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।

भू सूक्तम् का उद्देश्य

भू सूक्तम् का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी देवी को श्रद्धा अर्पित करना और उनकी महिमा का गान करना है। यह सूक्त हमें यह सिखाता है कि पृथ्वी केवल जीवन का आधार नहीं, बल्कि हमारी माता है। इसमें प्रकृति का संरक्षण, पृथ्वी की पवित्रता और उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने पर बल दिया गया है।

भू सूक्तम् की विशेषताएं

  1. पृथ्वी की महिमा: भू सूक्तम् में पृथ्वी को जीवनदायिनी, सहनशील और पवित्र माना गया है।
  2. पर्यावरण संरक्षण: इसमें वनों, नदियों, पर्वतों और पशुओं की सुरक्षा का संदेश दिया गया है।
  3. समानता का भाव: इस सूक्त में सभी जीवों को समान दृष्टि से देखने का संदेश है।
  4. संतुलन और शांति: पृथ्वी पर शांति और सामंजस्य बनाए रखने की प्रार्थना की गई है।

भू सूक्तम् Bhu Suktam

तैत्तिरीय संहिता – १.५.३
तैत्तिरीय ब्राह्मणम् – ३.१.२

ओम् ॥ ओ-म्भूमि॑र्भू॒म्ना द्यौर्व॑रि॒णा-ऽन्तरि॑क्ष-म्महि॒त्वा ।
उ॒पस्थे॑ ते देव्यदिते॒-ऽग्निम॑न्ना॒द-म॒न्नाद्या॒याद॑धे ॥

आ-ऽयङ्गौः पृश्ञि॑रक्रमी॒-दस॑नन्मा॒तर॒-म्पुनः॑ ।
पि॒तर॑-ञ्च प्र॒यन्-थ्सुवः॑ ॥

त्रि॒ग्ं॒शद्धाम॒ विरा॑जति॒ वाक्प॑त॒ङ्गाय॑ शिश्रिये ।
प्रत्य॑स्य वह॒द्युभिः॑ ॥

अ॒स्य प्रा॒णाद॑पान॒त्य॑न्तश्च॑रति रोच॒ना ।
व्य॑ख्य-न्महि॒ष-स्सुवः॑ ॥

यत्त्वा᳚ क्रु॒द्धः प॑रो॒वप॑म॒न्युना॒ यदव॑र्त्या ।
सु॒कल्प॑मग्ने॒ तत्तव॒ पुन॒स्त्वोद्दी॑पयामसि ॥

यत्ते॑ म॒न्युप॑रोप्तस्य पृथि॒वी-मनु॑दध्व॒से ।
आ॒दि॒त्या विश्वे॒ तद्दे॒वा वस॑वश्च स॒माभ॑रन्न् ॥

मे॒दिनी॑ दे॒वी व॒सुन्ध॑रा स्या॒द्वसु॑धा दे॒वी वा॒सवी᳚ ।
ब्र॒ह्म॒व॒र्च॒सः पि॑तृ॒णां श्रोत्र॒-ञ्चक्षु॒र्मनः॑ ॥

दे॒वी हि॑रण्यग॒र्भिणी॑ दे॒वी प्र॑सो॒दरी᳚ ।
सद॑ने स॒त्याय॑ने सीद ।

स॒मु॒द्रव॑ती सावि॒त्री आह॒नो दे॒वी म॒ह्य॑ङ्गी᳚ ।
म॒हो धर॑णी म॒हो-ऽत्य॑तिष्ठत् ॥

शृ॒ङ्गे शृ॑ङ्गे य॒ज्ञे य॑ज्ञे विभी॒षणी᳚ इन्द्र॑पत्नी व्या॒पिनी॒ सर॑सिज इ॒ह ।
वा॒यु॒मती॑ ज॒लशय॑नी स्व॒य-न्धा॒राजा॑ स॒त्यन्तो॒ परि॑मेदिनी
सो॒परि॑धत्तङ्गाय ॥

वि॒ष्णु॒प॒त्नी-म्म॑ही-न्दे॒वी᳚-म्मा॒ध॒वी-म्मा॑धव॒प्रियाम् ।
लक्ष्मी᳚-म्प्रियस॑खी-न्दे॒वी॒-न्न॒मा॒म्यच्यु॑तव॒ल्लभाम् ॥

ओ-न्ध॒नु॒र्ध॒रायै॑ वि॒द्महे॑ सर्वसि॒द्ध्यै च॑ धीमहि ।
तन्नो॑ धरा प्रचो॒दया᳚त् ।

शृ॒ण्वन्ति॑ श्रो॒णाममृत॑स्य गो॒पा-म्पुण्या॑मस्या॒ उप॑शृणोमि॒ वाच᳚म् ।
म॒हीन्दे॒वीं-विँष्णु॑पत्नी मजू॒र्या-म्प्रती॒ची॑मेनाग्ं ह॒विषा॑ यजामः ॥

त्रे॒धा विष्णु॑-रुरुगा॒यो विच॑क्रमे म॒ही-न्दिव॑-म्पृथि॒वी-म॒न्तरि॑क्षम् ।
तच्छ्रो॒णैत्रिशव॑ इ॒च्छमा॑ना पुण्य॒ग्ग्॒ श्लोकं॒-यँज॑मानाय कृण्व॒ती ॥

स्यो॒नापृ॑थिवि॒भवा॑नृक्ष॒रानि॒वेश॑नी यच्छा॑न॒श्शर्म॑ स॒प्रथाः᳚ ॥

अदि॑तिर्दे॒वा ग॑न्ध॒र्वा म॑नु॒ष्याः᳚ पि॒तरो सु॑रास्तेषाग्ं स॒र्व भू॒ता॒ना᳚-म्मा॒ता मे॒दिनी॑ महता म॒ही ।
सावि॒त्री गा॑य॒त्री जग॑त्यु॒र्वी पृ॒थ्वी ब॑हुला॒ विश्वा॑ भू॒ताक॒तमाकायासा स॒त्येत्य॒मृते॑ति वसि॒ष्ठः ॥

इक्षुशालियवसस्यफलाढ्ये पारिजात तरुशोभितमूले ।
स्वर्ण रत्न मणि मण्टप मध्ये चिन्तये-थ्सकल लोकधरित्रीम् ॥

श्यामां-विँचित्रा-न्नवरत्न भूषिता-ञ्चतुर्भुजा-न्तुङ्गपयोधरान्विताम् ।
इन्दीवराक्षी-न्नवशालि मञ्जरीं शुक-न्दधानां शरण-म्भजामहे ॥

सक्तु॑मिव॒ तित॑उना पुनन्तो॒ यत्र॒ धीरा॒ मन॑सा॒ वाच॒ मक्र॑त ।
अत्रा॒ सखा᳚स्स॒ख्यानि॑ जानते भ॒द्रैषां᳚-लँ॒क्ष्मीर्नि॑हि॒ताधि॑वा॒चि ॥

ॐ शान्ति॒-श्शान्ति॒-श्शान्तिः॑ ॥

भू सूक्तम् वेदों की वह अमूल्य शिक्षा है जो मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग दिखाती है। यह हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी केवल संसाधनों का स्रोत नहीं, बल्कि हमारी मां है, जिसका संरक्षण और सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!