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बुधवार, दिसम्बर 24, 2025

तू भाइ म्हारो रे म्हारो Too Bhai Mhaaro Re Mhaaro

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तू भाइ म्हारो रे म्हारो

Too Bhai Mhaaro Re Mhaaro

तू भाइ म्हारो रे म्हारो । तूं म्हारो, तेरो सब म्हारो, जग सारो ही म्हारो ।।

मनमैं सदा दूसरो समझै ऊपरसें कह थारो । म्हारो होता साँता भी सो रहे म्हारैसैं न्यारो ।।

एक बार जो कपट छोड़कर कहै ‘नाथ मैं थारो’ । सो म्हारे सगळाँ पुतराँमें अधिक लाडलो म्हारो ।।

सदा पातकी, सदा कुकरमी, विषयाँमै मतवारो । ‘मैं यारो’ यूँ साचें मनसैं, कहताँ ही हो म्हारो ।।

झटपट पुन्यवान सो होवै, पापाँसें छुटकारो । म्हारो म्हारी गोद बिराजै, कदे न म्हाँयूँ न्यारो ।।

तन-मन-बाणीसैं जो म्हारो, सो निस्वे ही म्हारो । कदे न लाज्यो, कदे न लाजे, नाँव-बिडद-जस म्हारो ।।

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