श्रीमद्भगवद्गीता Srimad Bhagavad Gita Sanskrit , Hindi and English
Table of Contents
Book Author | Kaushik, Ashok |
Book from | The Archaeological Survey of India Central Archaeological Library, New DelhiBook Number: 279 |
Book Title | Srimad Bhagavad Gita (Sanskrit, Hindi and English) |
Book Language | English |
Number of Pages | 430 |
Subject | Shirimad Bhagavad Gita; Hinduism, Secret books; Hinduism |
Publication | Star Publications; New Delhi; 1993 |
श्रीमद्भगवत् गीता महाभारत के भीष्म पर्व का भाग है। भीष्म पर्व में ही श्रीमद्भगवत् गीता को शास्त्रमयी बताया गया है। महाभारत के अनुवादक का अभिप्राय है कि श्रीमद्भगवत् गीता में सबशास्त्रों का निष्कर्ष वताया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि गीता में वेदों का भी सार छिपा है, पर मैं तो कहूंगा इसका कोई प्रमाण नहीं है। तो इसलिए, जो लोग गीता को पढ़ते हैं, उन्हें गीता को स्वतंत्र ग्रंथ मानना चाहिए और इसमें वेदों के सुनहरे विचारों को भी अपने मन से निकाल देना चाहिए। भीष्म पर्व में गीता के महत्व को बताते हुए यह भी कहा गया है कि जिसने गीता का ध्यान से अध्ययन किया है, उसे अन्य शास्त्रों की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं होती। तो बुद्धिमान और विद्वान् पाठक इस बात पर खुद भी विचार करेंगे और अपने निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करेंगे। ये बिलकुल उचित होगा!
गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म के विषयों पर भरपूर प्रकाश डाला गया है, देखो! इसलिए, जो भक्त गीता को बस कर्मयोग या फिर भक्तियोग या फिर ज्ञानयोग का एक साधारण ग्रंथ मानते हैं, तो यह उनका अपना-अपना विचार हो सकता है। शास्त्रों में तो कहा गया है, ‘मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना।’ सभी व्यक्तियों की अपनी अलग-अलग बुद्धि होती है, और वे अपनी बुद्धि के आधार पर विचार करते हैं। लेकिन सत्य तो एक ही है, इसमें कोई विवाद नहीं है। इसलिए, हमारा दृढ़ मत है कि गीता के सभी अध्यायों में, जहां-तहां इन तीनों विषयों पर पूरी रौनक डाली गई है, और जहां-जहां विषय-विशेष की चर्चा है, वहां-वहां विस्तार से बताया गया है।
भाषांतरकर्ता के रूप में मैं आपको हिंदी में एक ऐसे रिवाइटर के रूप में काम करने के लिए तैयार हूं जो स्वच्छता से बात करता है और अन्य स्रोतों से कॉपी पेस्ट करने की बजाय अपने शब्दों में समर्थ है। मैं उदार विचारधारा और भाषा का प्रयोग करके आपको एक अद्भुत और विशिष्ट लेख प्रस्तुत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। इस रिवाइट करने में मैं उत्साही हूं और साथ ही साथ यह सुनिश्चित करूँगा कि यह विशेषता और संदर्भ को खोने के बिना उच्च स्तर की हो।
गीता में समता के महत्व को विशेष बल दिया गया है। आज के समय में यदि हम गीता को इस परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करें, तो यह मानवता के लिए एक शुभ संकेत होगा। गीता में मनुष्यों के बीच समता, मनुष्य और पशुओं के बीच समता और सम्पूर्ण जीवों के साथ समता का वर्णन है। इस संदर्भ में, गीता के छठे अध्याय के नवांश श्लोक, चतुर्थ अध्याय के चौथावां श्लोक और छठे अध्याय के बत्तीसवां श्लोक विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
आज के मानव विज्ञान और तकनीकी युग में, हमारे पास अनेक सवाल हैं। एक व्यक्ति अपने कर्मों के परिणाम को लेकर अधिक चिंतित दिखाता है, फिर चाहे वह अपने कर्मों की जानकारी रखता हो। गीता में जीवों के गुण और कर्म के आधार पर उनकी उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ तीन गतियों का वर्णन है। यहां पर कर्म योग और सांख्य योग के दृष्टिकोन से सत्काम भाव से विहित कर्म और उपासना करने वालों की गति का वर्णन किया गया है, साथ ही सामान्य भाव से सभी प्राणियों की गति का भी उल्लेख है। इसी तरह, सत्व-गुणी, रजोगुणी और तमोगुणी प्राणियों की गति का भी इसमें वर्णन है।
देखो भाई, रचनाकाल से ही गीता ने लोगों को जीवंत और उत्साहित किया है! आज के बेहाल जमाने में भी गीता के पास लोग जाने की सोचते हैं, पर देखो, उनकी यात्रा उनके कर्मों की गति पर निर्भर करती है।
गीता का अनुवाद विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसे विश्वविख्यात ग्रंथ के रूप में माना जाता है। कई लोग विभिन्न पारंपरिक सम्प्रदायों के धर्मग्रंथों के साथ इसकी तुलना करते हैं। इससे उन्हें कुछ अभिवादना होती है। जिस विचार से इसकी तुलना की जाती है, वे ग्रंथ दो हजार से ज्यादा वर्ष प्राचीन नहीं हैं, जबकि गीता का रचनाकाल कम से कम पांच हजार वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इसलिए पूर्व-ग्रंथ की तुलना में इसका अपने स्वयं के अल्पत्व का प्रदर्शन करना आवश्यक और अनिवार्य है। इस दुरुपयोग का खंडन करना अत्यंत आवश्यक है।
गीता का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में मिलता है, उसी तरह इसके कई संस्करण भी हैं। हमने जितने संभव, उन सभी को ध्यान में रखा है जो इस गीता के विभिन्न संस्करणों में उपलब्ध हैं। यहां हम उनमें से जो नवीनतम उपलब्ध है, उसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। हां, हम त्रुटियों के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन हम आशा रखते हैं कि हिंदी और अंग्रेज़ी के पाठक इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।
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