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शुक्रवार, मई 16, 2025

श्री शबरिगिरीशाष्टकम्

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Sri Sabari Girisha Ashtakam In Hindi

श्री शबरीगिरीश अष्टकम् एक स्तुति है जो भगवान अय्यप्पा (शबरीगिरीश्वर) की महिमा का वर्णन करती है। भगवान अय्यप्पा, जिन्हें शबरीमाला के स्वामी भी कहा जाता है, दक्षिण भारत के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। यह स्तोत्र भक्तों द्वारा शबरीमाला यात्रा के दौरान अथवा भगवान अय्यप्पा की पूजा में श्रद्धापूर्वक गाया जाता है।

अष्टकम का महत्त्व

अष्टकम का अर्थ है “आठ छंदों वाला स्तोत्र”। इस स्तोत्र में भगवान शबरीगिरीश्वर की दिव्यता, उनका स्वरूप, उनकी लीलाओं तथा भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ने और श्रद्धापूर्वक गाने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, तथा कष्टों से मुक्ति मिलती है।

भगवान शबरीगिरीश्वर का स्वरूप

भगवान अय्यप्पा को धर्म, ज्ञान और भक्ति के प्रतीक रूप में देखा जाता है। वे हरिहरपुत्र (भगवान शिव और विष्णु के सम्मिलित स्वरूप से उत्पन्न) के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. शबरीगिरी पर्वत पर वास – वे केरल के शबरीमाला में स्थित हैं, जिसे लाखों भक्त हर वर्ष अपनी श्रद्धा के साथ दर्शन करने जाते हैं।
  2. मकरज्योति और मकरविलक्कु – यह भगवान की दिव्यता का प्रतीक माने जाते हैं, जो विशेष रूप से मकरसंक्रांति के समय भक्तों को दर्शन देते हैं।
  3. “स्वामी शरणम् अय्यप्पा” मंत्र – भगवान अय्यप्पा की आराधना में यह मंत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अष्टकम का पाठ करने के लाभ

  • मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  • भगवान अय्यप्पा की कृपा प्राप्त होती है।
  • भक्तों के भीतर श्रद्धा और भक्ति की वृद्धि होती है।
  • मानसिक और शारीरिक कष्टों का निवारण होता है।

श्री शबरिगिरीशाष्टकम् पाठ विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान अय्यप्पा के चित्र अथवा प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं।
  3. “स्वामी शरणम् अय्यप्पा” मंत्र का उच्चारण करें।
  4. श्री शबरीगिरीश अष्टकम का पाठ करें।
  5. भगवान की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

Sri Sabari Girisha Ashtakam श्री शबरिगिरीशाष्टकम्

शबरिगिरिपते भूतनाथ ते जयतु मङ्गलं मञ्जुलं महः।
मम हृदिस्थितं ध्वान्तरं तव नाशयद्विदं स्कन्दसोदर।
कान्तगिरिपते कामितार्थदं कान्तिमत्तव काङ्क्षितं मया।
दर्शयाऽद्भुतं शान्तिमन्महः पूरयार्थितं शबरिविग्रह।
पम्पयाञ्चिते परममङ्गले दुष्टदुर्गमे गहनकानने।
गिरिशिरोवरे तपसि लालसं ध्यायतां मनो हृष्यति स्वयम्।
त्वद्दिदृक्षय सञ्चितव्रतास्तुलसिमालिकः कम्रकन्धरा।
शरणभाषिण शङ्घसोजन कीर्तयन्ति ते दिव्यवैभवम्।
दुष्टशिक्षणे शिष्टरक्षणे भक्तकङ्कणे दिशति ते गणे।
धर्मशास्त्रे त्वयि च जाग्रति संस्मृते भयं नैव जायते।
पूर्णपुष्कला सेविताऽप्यहो योगिमानसाम्भोजभास्करः।
हरिगजादिभिः परिवृतो भवान् निर्भयः स्वयं भक्तभीहरः।
वाचि वर्ततां दिव्यनाम ते मनसि सन्ततं तावकं महः।
श्रवणयोर्भवद् गुणगणावलिर्नयनयोर्भवन्मूर्तिरद्भुता।
करयुगं मम त्वद्पदार्चने पदयुगं सदा त्वद्प्रदक्षिणे।
जीवितं भवन्मूर्तिपूजने प्रणतमस्तु ते पूर्णकरुणया।

Sri Sabari Girisha Ashtakam In English

shabarigiripate bhootanaatha te jayatu mangalam manjulam mahah’.
mama hri’disthitam dhvaantaram tava naashayadvidam skandasodara.
kaantagiripate kaamitaarthadam kaantimattava kaankshitam mayaa.
darshayaa’dbhutam shaantimanmahah’ poorayaarthitam shabarivigraha.
pampayaanchite paramamangale dusht’adurgame gahanakaanane.
girishirovare tapasi laalasam dhyaayataam mano hri’shyati svayam.
tvaddidri’kshaya sanchitavrataastulasimaalikah’ kamrakandharaa.
sharanabhaashina shanghasojana keertayanti te divyavaibhavam.
dusht’ashikshane shisht’arakshane bhaktakankane dishati te gane.
dharmashaastre tvayi cha jaagrati samsmri’te bhayam naiva jaayate.
poornapushkalaa sevitaa’pyaho yogimaanasaambhojabhaaskarah’.
harigajaadibhih’ parivri’to bhavaan nirbhayah’ svayam bhaktabheeharah’.
vaachi vartataam divyanaama te manasi santatam taavakam mahah’.
shravanayorbhavad gunaganaavalirnayanayorbhavanmoortiradbhutaa.
karayugam mama tvadpadaarchane padayugam sadaa tvadpradakshine.
jeevitam bhavanmoortipoojane pranatamastu te poornakarunayaa.

श्री शबरीगिरीश अष्टकम् भगवान अय्यप्पा की महिमा का अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह भक्तों को आध्यात्मिक शांति, सुरक्षा और भगवान की कृपा प्रदान करता है। जो भी श्रद्धालु इस अष्टकम का विधिपूर्वक पाठ करता है, उसे भगवान अय्यप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

स्वामी शरणम् अय्यप्पा! 🙏

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