Skanda Purana Table of Contents
स्कन्द पुराण का परिचय Introduction to Skanda Purana
स्कन्द पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है। स्कन्दपुराण पुराणों में सबसे बड़ा है, क्योंकि इसमें विभिन्न विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भगवान स्कन्द द्वारा कथित होने के कारण इसे स्कन्दपुराण कहा जाता है। यह दो स्वरूपों में उपलब्ध है: खण्डात्मक और संहितात्मक। दोनों खण्डों में ८१-८१ हजार श्लोक हैं। खण्डात्मक स्कन्दपुराण में माहेश्वर, वैष्णव, ब्राह्म, काशी, अवन्ती (ताप्ती और रेवाखण्ड), नागर और प्रभास – ये सात खण्ड हैं। संहितात्मक स्कन्दपुराण में सनत्कुमार, शंकर, ब्राह्म, सौर, वैष्णव और सूत – ये छः संहिताएँ हैं। इसमें बदरिकाश्रम, अयोध्या, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, कन्याकुमारी, प्रभास, द्वारका, काशी, कांची आदि तीर्थों की महिमा, गंगा, नर्मदा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों के उद्गम की मनोरम कथाएँ, रामायण, भागवत आदि ग्रंथों का माहात्म्य, विभिन्न महीनों के व्रत-पर्व का माहात्म्य तथा शिवरात्रि, सत्यनारायण आदि व्रत कथाएँ अत्यंत रोचक शैली में प्रस्तुत की गई हैं। विचित्र कथाओं के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान और प्राचीन इतिहास की ललित प्रस्तुति इस पुराण की विशेषता है। आज भी इसमें वर्णित विभिन्न व्रत-त्योहारों का पालन भारत के घर-घर में किया जाता है। इसे भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) के नाम पर नामित किया गया है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। यह पुराण धार्मिक और पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और इसमें देवताओं, ऋषियों, और पवित्र स्थानों का विस्तार से वर्णन मिलता है।
स्कन्द पुराण का महत्व Importance of Skanda Purana
स्कन्द पुराण में धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई है। इसमें कई कथाएं और शिक्षाएं हैं जो मानव जीवन को सही दिशा देने में सहायक होती हैं। यह पुराण भारतीय संस्कृति और धर्म के मूल्यों को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्कन्द पुराण का रचना काल Composition period of Skanda Purana
स्कन्द पुराण की रचना का समय स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन विद्वानों का मानना है कि इसका संकलन गुप्त काल (चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) में हुआ था। यह पुराण कई संस्करणों में उपलब्ध है और इसकी विभिन्न प्रतिलिपियों में भिन्नताएं पाई जाती हैं।
स्कन्द पुराण का स्वरूप और संरचना Nature and structure of Skanda Purana
स्कन्द पुराण की संरचना में संहिता (मुख्य भाग) और खण्ड (उपभाग) शामिल हैं। यह पुराण कुल 81,000 श्लोकों में विभाजित है और इसमें निम्नलिखित खण्ड शामिल हैं:
- महेश्वर खण्ड: इसमें भगवान शिव और उनकी उपासना का वर्णन है।
- वैष्णव खण्ड: इसमें भगवान विष्णु और उनकी लीलाओं का वर्णन है।
- ब्रह्म खण्ड: इसमें ब्रह्मा और सृष्टि की रचना का वर्णन है।
- काशी खण्ड: इसमें काशी (वाराणसी) की महिमा और धार्मिक महत्व का वर्णन है।
स्कन्द पुराण की प्रमुख कथाएं Major stories of Skanda Purana
कुमार कथा
कुमार कार्तिकेय, जिन्हें स्कन्द के नाम से भी जाना जाता है, की कथा स्कन्द पुराण का मुख्य अंश है। इस कथा में उनके जन्म, युद्ध कौशल, और तारकासुर के वध की कहानी वर्णित है। यह कथा वीरता और धर्म की जीत का प्रतीक है।
काशी की महिमा
स्कन्द पुराण में काशी खण्ड में वाराणसी (काशी) की महिमा का वर्णन किया गया है। काशी को मोक्ष नगरी कहा गया है और इसमें गंगा नदी के महत्व और धार्मिक अनुष्ठानों का विस्तार से वर्णन है। यहां पर किए गए दान, तपस्या, और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
व्रत और त्यौहार
स्कन्द पुराण में विभिन्न व्रतों और त्यौहारों का भी वर्णन है। इसमें एकादशी व्रत, महाशिवरात्रि, और नवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण व्रतों के पालन और उनके फल का वर्णन मिलता है। यह व्रत और त्यौहार धार्मिक जीवन को समृद्ध और शुद्ध बनाने में सहायक होते हैं।
स्कन्द पुराण का नैतिक और सामाजिक शिक्षा
स्कन्द पुराण में नैतिक और सामाजिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी गई हैं। इसमें सत्य, अहिंसा, दान, और धर्म के पालन पर जोर दिया गया है। यह पुराण समाज को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता है और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
स्कन्द पुराण का साहित्यिक महत्व
स्कन्द पुराण भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें संस्कृत भाषा की उत्कृष्टता और श्लोकों की समृद्धि देखने को मिलती है। इस पुराण की शैली और भाषा साहित्यिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।