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शुक्रवार, मई 23, 2025

श्री सत्यनारायण आरती 

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Satyanarayan Aarti

श्री सत्यनारायण भगवान की आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह आरती भक्तिभाव से भरी होती है और सत्यनारायण भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। इस लेख में हम श्री सत्यनारायण जी की आरती के बारे में विस्तार से जानेंगे।

श्री सत्यनारायण व्रत का महत्व

श्री सत्यनारायण व्रत हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत प्रत्येक माह की पूर्णिमा को किया जाता है। इसे करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। श्री सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन विशेष रूप से घर में शांति और सद्भाव के लिए किया जाता है।

श्री सत्यनारायण आरती 

जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन-पातक-हरणा।। जय…

रत्नजटित सिंहासन अद्भुत छबि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै।। जय…

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़े ब्राह्मण बनकर कंचन-महल कियो।।जय…

दुर्बल भील कठारो, जिनपर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा, जिनकी बिपति हरी।। जय…

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर अस्तुति कीन्हीं।। जय…

भाव-भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो।। जय…

ग्वाल-बाल सँग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयालु हरी।। जय…

चढ़त प्रसाद सवायो कदलीफल, मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से राजी सत्यदेवा।। जय…

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
तन-मन-सुख-सम्पत्ति मन-वांछित फल पावै।। जय…

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आरती का महत्व और लाभ

आरती का धार्मिक महत्व: श्री सत्यनारायण जी की आरती का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। इसे करने से मन को शांति मिलती है और भक्तजन भगवान की कृपा के पात्र बनते हैं।

आरती के लाभ: आरती करने से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान की आरती से घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है।

आरती के समय का महत्व

आरती का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसे प्रातःकाल और संध्या काल में किया जाना श्रेष्ठ माना जाता है। इन दोनों समयों में वातावरण शांत और पवित्र होता है जिससे आरती का प्रभाव अधिक होता है।

श्री सत्यनारायण जी की कथा का महत्व

श्री सत्यनारायण जी की कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। कथा के माध्यम से भक्तजन भगवान की महिमा और उनकी कृपा के विभिन्न प्रसंगों को सुनते हैं। इससे भक्तों का मनोबल बढ़ता है और उन्हें जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

आरती के नियम और विधि

आरती करने के कुछ विशेष नियम और विधियाँ होती हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है।

आरती के नियम:

  1. आरती से पहले स्नान करें।
  2. पवित्र वस्त्र धारण करें।
  3. शुद्ध आसन पर बैठें।

आरती की विधि:

  1. दीपक जलाएं।
  2. भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने रखें।
  3. शंखनाद के बाद आरती का प्रारंभ करें।

श्री सत्यनारायण जी के मंत्र

आरती के साथ-साथ श्री सत्यनारायण जी के मंत्रों का जाप भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह मंत्र भगवान की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।

कुछ प्रमुख मंत्र:

ॐ सत्यनारायणाय नमः।
ॐ लक्ष्मीरमणाय नमः।
ॐ जन पातक हरणाय नमः।

आरती के बाद की पूजा

आरती के पश्चात भगवान का प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद का महत्व धार्मिक दृष्टि से बहुत अधिक होता है। यह भगवान की कृपा का प्रतीक होता है और इसे ग्रहण करने से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।

सत्यनारायण व्रत की कथा

श्री सत्यनारायण व्रत की कथा का विशेष महत्व है। कथा के माध्यम से भक्तों को भगवान की महिमा का बोध होता है। यह कथा पुराणों में वर्णित है और इसमें भगवान की विभिन्न लीलाओं का वर्णन है।

आरती के साथ-साथ अन्य धार्मिक कृत्य

आरती के साथ-साथ अन्य धार्मिक कृत्यों का भी पालन करना चाहिए जैसे कि:

  1. भगवान का अभिषेक।
  2. शंखनाद और घंटानाद।
  3. भगवद्गीता का पाठ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती का सार

श्री सत्यनारायण जी की आरती का सार यह है कि यह भक्तों को भगवान के समीप लाती है और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनती है। यह आरती मन को शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि प्रदान करती है।

समापन

श्री सत्यनारायण जी की आरती का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। इसे करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। आइए, हम सभी मिलकर इस आरती का पाठ करें और भगवान की कृपा प्राप्त करें।

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