33 C
Gujarat
रविवार, अक्टूबर 6, 2024

श्री शीतला चालीसा Shitala Chalisa Lyrics

Post Date:

शीतला माता

शीतला देवी, जिन्हें शीतला माता भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं। वे विभिन्न रूपों में पूजी जाती हैं और विभिन्न भाग्यशाली दिनों पर उनकी आराधना की जाती है। शीतला देवी की महत्वपूर्ण कथाएं और उनके विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

शीतला देवी का वाहन और आयुर्वेदिक चिकित्सा:

    • शीतला देवी का वाहन गाढव (डॉन्की) होता है।
    • उनके एक हाथ में चांदी की झाड़ू और दूसरे हाथ में शीतल जल वाले भांडे होते हैं।
    • इनकी पूजा से विभिन्न बीमारियों जैसे चिकन-पॉक्स, चेचक, खसरा और अन्य गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है।
    • शीतला देवी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

शीतला अष्टमी:

      • शीतला अष्टमी एक हिंदू त्योहार है जो होली के बाद आठवें दिन (अष्टमी) को मनाया जाता है।
      • इस दिन भक्त देवी दुर्गा के अवतार शीतला माता की पूजा करते हैं।
      • शीतला अष्टमी को विभिन्न रूपों में देवी की पूजा की जाती है, जो विभिन्न रोगों के लिए उपयोगी होती हैं।
श्री शीतला चालीसा
श्री शीतला चालीसा

श्री शीतला चालीसा  Shitala Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

जय-जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान।
होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धि बलज्ञान॥
घट-घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार।
शीतल छड्यां में झुलई, मइया पलना डार ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय शीतला भवानी, जय जग जननि सकल गुणखानी।
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित, पूरण शरदचंद्र समसाजित ।
विस्फोटक से जलत शरीरा, शीतल करत हरत सब पीरा।
मातु शीतला तव शुभनामा, सबके गाढ़े आवहिं कामा।

शोकहरी शंकरी भवानी, बाल-प्राणरक्षी सुख दानी।
शुचि मार्जनी कलश करराजै, मस्तक तेज सूर्य समराजै ।
चौसठ योगिन संग में गावैं, वीणा ताल मृदंग बजावैं।
नृत्य नाथ भैरो दिखरावैं, सहज शेष शिव पार न पावैं।

धन्य-धन्य धात्री महारानी, सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।
ज्वाला रूप महा बलकारी, दैत्य एक विस्फोटक भारी।
घर-घर प्रविशत कोई न रक्षत, रोग रूप धरि बालक भक्षत।
हाहाकार मच्यो जगभारी, सक्यो न जब संकट टारी।

तब मैया धरि अद्भुत रूपा, करमें लिये मार्जनी सूपा।
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्ह्यो, मुसल प्रहार बहुविधि कीन्ह्यो ।
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा, मैया नहीं भल मैं कछु चीन्हा।
अबनहिं मातु, काहुगृह जइहौं, जहँ अपवित्र सकल दुःख हरिहैं।

भभकत तन, शीतल है जइहैं, विस्फोटक भयघोर नसइहैं।
श्री शीतलहिं भजे कल्याना, वचन सत्य भाषे भगवाना।
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई, भजै देवि कहँ यही उपाई।
कलश शीतला का सजवावै, द्विज से विधिवत पाठ करावै।

तुम्हीं शीतला, जग की माता, तुम्हीं पिता जग की सुखदाता।
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी, नमो नमामि शीतले देवी।
नमो सुक्खकरणी दुःखहरणी, नमो नमो जगतारणि तरणी।
नमो नमो त्रलोक्य वन्दिनी, दुखदारिद्रादिक निकन्दनी।

श्री शीतला, शेढ़ला, महला, रुणलीह्यणनी मातु मंदला।
हो तुम दिगम्बर तनुधारी, शोभित पंचनाम असवारी।
रासभ, खर बैशाख सुनन्दन, गर्दभ दुर्वाकंद निकन्दन।
सुमिरत संग शीतला माई, जाहि सकल दुख दूर पराई।

गलका, गलगन्डादि जुहोई, ताकर मंत्र न औषधि कोई।
एक मातु जी का आराधन, और नहिं कोई है साधन।
निश्चय मातु शरण जो आवै, निर्भय मन इच्छित फल पावै।
कोढ़ी, निर्मल काया धारै, अन्धा, दृग-निज दृष्टि निहारै।

वन्ध्या नारि पुत्र को पावै, जन्म दरिद्र धनी होई जावै।
मातु शीतला के गुण गावत, लखा मूक को छन्द बनावत।
यामे कोई करै जनि शंका, जग में मैया का ही डंका।
भनत ‘रामसुन्दर’ प्रभुदासा, तट प्रयाग से पूरब पासा।

पुरी तिवारी मोर मोर निवासा, ककरा गंगा तट दुर्वासा।
अब विलम्ब मैं तोहि पुकारत, मातु कृपा कौ बाट निहारत।
पड़ा क्षर तव आस लगाई, रक्षा करहु शीतला माई।



कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राधा जी की आरती Radha Ji Ki Aarti

राधा जी की आरती (आरती श्री वृषभानुसुता की) Aarti...

शीतला माता की आरती Shitla Mata Ki Aarti

शीतला माता की आरती Shitla Mata Ki Aarti जय शीतला...

नरसिंह स्तोत्र Narasimha Stotram

नरसिंह स्तोत्र Narasimha Stotramउदयरवि सहस्रद्योतितं रूक्षवीक्षं प्रळय जलधिनादं कल्पकृद्वह्नि...

श्री राम भुजंग प्रयात स्तोत्रम्

श्री राम भुजंग प्रयात स्तोत्रम् श्री शंकराचार्यकृतम् Shriram Bhujangprayat...