Sharada Dashaka Stotram
शारदा दशक स्तोत्रम् देवी सरस्वती की स्तुति में रचित एक महत्वपूर्ण संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें दस श्लोक शामिल हैं। यह स्तोत्र विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी माँ सरस्वती की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
शारदा दशक स्तोत्रम् के पाठ से होने वाले लाभ
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
- स्मरण शक्ति में सुधार: यह स्तोत्र स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है, विशेषकर छात्रों के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- वाणी में मधुरता: माँ सरस्वती की कृपा से वाणी में मधुरता आती है, जिससे संवाद कौशल में सुधार होता है।
- कलात्मक प्रतिभा का विकास: यह स्तोत्र कला, संगीत और साहित्य में रुचि रखने वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह उनकी प्रतिभा को निखारता है।
शारदा दशक स्तोत्रम् के पाठ करने की विधि
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
- शुद्ध मन और एकाग्रता के साथ शारदा दशक स्तोत्रम् का पाठ करें।
- पाठ के बाद माँ सरस्वती से प्रार्थना करें कि वे आपको ज्ञान, बुद्धि और सफलता प्रदान करें।
शारदा दशक स्तोत्रम्
करवाणि वाणि किं वा जगति प्रचयाय धर्ममार्गस्य।
कथयाशु तत्करोम्यहमहर्निशं तत्र मा कृथा विशयम्।
गणनां विधाय मत्कृतपापानां किं धृताक्षमालिकया।
तान्ताद्याप्यसमाप्तेर्निश्चलतां पाणिपङ्कजे धत्से।
विविधाशया मदीयं निकटं दूराज्जनाः समायान्ति।
तेषां तस्याः कथमिव पूरणमहमम्ब सत्वरं कुर्याम्।
गतिजितमरालगर्वां मतिदानधुरन्धरां प्रणम्रेभ्यः।
यतिनाथसेवितपदामतिभक्त्या नौमि शारदां सदयाम्।
जगदम्बां नगतनुजाधवसहजां जातरूपतनुवल्लीम्।
नीलेन्दीवरनयनां बालेन्दुकचां नमामि विधिजायाम्।
भारो भारति न स्याद्वसुधायास्तद्वदम्ब कुरु शीघ्रम्।
नास्तिकतानास्तिकताकरणात्कारुण्यदुग्धवाराशे।
निकटेवसन्तमनिशं पक्षिणमपि पालयामि करतोऽहम्।
किमु भक्तियुक्तलोकानिति बोधार्थं करे शुकं धत्से।
शृङ्गाद्रिस्थितजनतामनेकरोगैरुपद्रुतां वाणि।
विनिवार्य सकलरोगान्पालय करुणार्द्रदृष्टिपातेन।
मद्विरहादतिभीतान्मदेकशरणानतीव दुःखार्तान्।
मयि यदि करुणा तव भो पालय शृङ्गाद्रिवासिनो लोकान्।
सदनमहेतुकृपाया रदनविनिर्धूतकुन्दगर्वालिम्।
मदनान्तकसहजातां सरसिजभवभामिनीं हृदा कलये।