Prajna Samvardhana Saraswati Stotram
प्रज्ञा संवर्धन सरस्वती स्तोत्रम् एक विशेष स्तोत्र है जो देवी सरस्वती की स्तुति करता है और बुद्धि, ज्ञान तथा विवेक की वृद्धि के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से विद्यार्थियों, विद्वानों और उन सभी के लिए लाभकारी है जो अपनी मानसिक क्षमता और ज्ञान में वृद्धि करना चाहते हैं।
स्तोत्र का महत्व
देवी सरस्वती को हिंदू धर्म में ज्ञान, संगीत, कला और वाणी की देवी माना जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को विद्या, बुद्धि और सृजनशीलता की प्राप्ति होती है। प्रज्ञा संवर्धन सरस्वती स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, क्योंकि यह उनकी अध्ययन क्षमता को बढ़ाता है और परीक्षा में सफलता दिलाने में सहायक होता है।
पाठ करने की विधि
- समय: सुबह के समय, स्नान आदि के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण करके शांत मन से इस स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना जाता है।
- स्थान: पवित्र स्थान, जैसे पूजा कक्ष या अध्ययन कक्ष में बैठकर पाठ करें।
- आवृत्ति: नियमित रूप से, विशेषकर परीक्षा के समय या नए ज्ञान की प्राप्ति के समय, इस स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है।
Prajna Samvardhana Saraswati Stotram
या प्रज्ञा मोहरात्रिप्रबलरिपुचयध्वंसिनी मुक्तिदात्री
सानन्दाशाविधात्री मधुमयरुचिरा पावनी पातु भव्या।
सौजन्याम्भोजशोभा विलसतु विमला सर्वदा सर्वथाऽत्र
साम्यस्निग्धा विशुद्धा भवतु च वसुधा पुण्यवार्ताविमुग्धा।
या प्रज्ञा विश्वकाव्यामृतरसलहरीसारतत्त्वानुसन्धा
सद्भावानन्दकन्दा ह्यभयविभवदा साम्यधर्मानुबद्धा।
शुद्धाचारप्रदात्री निरुपमरुचिरा सत्यपूताऽनवद्या
कल्याणं सन्ततं सा वितरतु विमला शान्तिदा वेदविद्या।
या ज्ञानामृतमिष्टदं प्रददते या लोकरक्षाकरी ।
या चोदारसुशीलशान्तविमला या भक्तिसञ्चारिणी।
या गोवृन्दनियन्त्रणातिकुशला सा शारदा पातु नः।
गीतावद् गरकण्ठवद् गगनवद् गौराङ्गवद् गोपवत्।
प्रज्ञा संवर्धन सरस्वती स्तोत्रम् का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि, ज्ञान और सृजनशीलता में वृद्धि होती है। यह स्तोत्र देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है, जो जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है।