श्री पार्वती चालीसा Parvati Chalisa Lyrics in Hindi
श्री पार्वती चालीसा एक लोकप्रिय हिन्दू स्तुति है, जो माँ पार्वती की महिमा का वर्णन करती है। इसे भक्तगण देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ते हैं। माँ पार्वती को शिवजी की पत्नी और शक्ति के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में उन्हें स्त्री शक्ति और देवी स्वरूप की प्रतीक माना जाता है। श्री पार्वती चालीसा उनके 40 छंदों में लिखे गए गुणगान को प्रस्तुत करती है, जिससे भक्त उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
श्री पार्वती चालीसा का महत्व: Importance of Shri Parvati Chalisa
- आध्यात्मिक शांति: यह चालीसा माँ पार्वती की शक्ति और सौम्यता का गुणगान करती है। इसे पढ़ने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- परिवारिक सौहार्द: पार्वती माँ का आशीर्वाद सदैव परिवार की सुरक्षा और खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। श्री पार्वती चालीसा पढ़ने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- विवाह में बाधा दूर करना: पार्वती माँ को सौभाग्य और विवाह की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति विवाह में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, यदि वे श्रद्धा से यह चालीसा पढ़ते हैं तो उनकी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
- शक्ति और साहस प्राप्त करना: देवी पार्वती को देवी दुर्गा का रूप भी माना जाता है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों में आत्मविश्वास और धैर्य का संचार होता है।
पार्वती चालीसा का पाठ कैसे करें: How to recite Parvati Chalisa
पार्वती चालीसा का पाठ प्रातःकाल या संध्या समय किया जाता है। विशेषकर सोमवार और शुक्रवार को इसका पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इसे मंदिर या घर में स्वच्छ स्थान पर बैठकर श्रद्धा और ध्यानपूर्वक पढ़ा जाता है।
पार्वती चालीसा के लाभ: Benefits of Parvati Chalisa
1.भय, कष्ट और दु:ख दूर होते हैं।
2.माँ पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
3.मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
4.विवाह संबंधी समस्याओं का निवारण होता है।
5.पारिवारिक जीवन में सौहार्द और प्रेम बना रहता है।
श्री पार्वती चालीसा Parvati Chalisa
॥ दोहा॥
जय गिरि तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि ।
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि ।।
॥ चौपाई॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे । पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो । सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।
तेऊ पार न पावत माता । स्थित रक्षा लय हित सजाता ।।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे । अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित ललाट विलेपित केशर । कुंकुम अक्षत शोभा मनहर ।।
कनक बसन कंचुकी सजाए । कटि मेखला दिव्य लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा । जाहि देखि सहजहि मन लोभा ।।
बालारुण अनंत छबि धारी । आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना जड़ित सिंहासन । तापर राजति हरि चतुरानन ।।
इंद्रादिक परिवार पूजित । जग मृग नाग रक्ष रव कूजित ।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय । कोटिक प्रभा विकासिन जय जय ।।
त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी । अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।।
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे । त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब । सुकृत पुरातन उदित भए तब ।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी । महिमा का गावै कोउ तिनकी ।।
सदा श्मशान बिहारी शंकर । आभूषण है भुजंग भयंकर ।।
कण्ठ हलाहल को छबि छाई । नीलकंठ की पदवी पाई ।।
देव मगन के हित अस कीन्हों । विष लै आरपु तिनहि अमि दीन्हों ।।
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणि । दूरित विदारिणि मंगल कारिणि ।।
देखि परम सौंदर्य तिहारो । त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।।
भय भीता सो माता गंगा । लज्जा मय है सलिल तरंगा ।।
सौत समान शम्भु पहआयी । विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।।
तेहिकों कमल बदन मुरझायो । लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो ।।
नित्यानंद करी बरदायिनी । अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनि । माहेश्वरी हिमालय नंदिनि ।।
काशी पुरी सदा मन भायी । सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री । कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।।
रिपुक्षय कारिणि जय जय अम्बे । वाचा सिद्ध करि अवलम्बे ।।
गौरी उमा शंकरी काली । अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।।
सब जन की ईश्वरी भगवती । प्रतिप्राणा परमेश्वरी सती ।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी । नारद सों जब शिक्षा लीनी ।।
अन्न न नीर न वायु अहारा । अस्थि मात्रतन भयौ तुम्हारा ।।
पत्र गहस को खाद्य न भायउ । उमा नाम तब तुमने पायउ ।।
तप बिलोकि रिषि सात पधारे । लगे डिगावन डिगी न हारे ।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ । सप्तरिषी निज गेह सिधारेउ ।।
सुर विधि विष्णु पास तब आए । वर देने के वचन सुनाए ।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों । चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ।।
एवमस्तु कहि ते दोऊ गए । सुफल मनोरथ तुमने लए ।।
करि विवाह शिव सों हे भामा । पुन: कहाई हर की बामा ।।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा । धन जन सुख देइहै तेहि ईसा ।।
॥ दोहा ॥
कूट चंद्रिका सुभग शिर जयति जयति सुख खानि ।
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानि ।।
श्री पार्वती चालीसा पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Parvati Chalisa
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श्री पार्वती चालीसा क्या है?
श्री पार्वती चालीसा एक धार्मिक भजन है जो देवी पार्वती को समर्पित है। इसे 40 छंदों में लिखा गया है, जिनमें माता पार्वती की महिमा और उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। भक्तजन इसे श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं ताकि माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
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श्री पार्वती चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
श्री पार्वती चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से यह मंगलवार और शुक्रवार को किया जाता है। नवरात्रि और महाशिवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों पर इसका पाठ करना और भी शुभ माना जाता है।
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श्री पार्वती चालीसा के क्या लाभ हैं?
श्री पार्वती चालीसा के पाठ से मानसिक शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है। माना जाता है कि इससे पारिवारिक जीवन में सुख और शांति आती है, और जीवन की कठिनाइयाँ कम होती हैं। साथ ही, यह देवी पार्वती के आशीर्वाद से विवाह और संतान प्राप्ति में सहायक होता है।
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क्या श्री पार्वती चालीसा का पाठ घर पर किया जा सकता है?
हाँ, श्री पार्वती चालीसा का पाठ घर पर किया जा सकता है। इसे करने के लिए किसी विशेष पूजा विधि या अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती। घर पर शुद्ध मन से इसका पाठ करने से भी देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
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क्या श्री पार्वती चालीसा का पाठ किसी विशेष पूजा विधि के साथ करना आवश्यक है?
श्री पार्वती चालीसा का पाठ किसी विशेष पूजा विधि के बिना भी किया जा सकता है। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति इसे विशेष पूजा या हवन के साथ करता है, तो इसका प्रभाव और अधिक शुभ माना जाता है।