मुरारी स्तुति
मुरारी स्तुति भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनके दिव्य गुणों की वंदना करने वाली एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। इस स्तुति में भगवान श्रीकृष्ण के उन अद्भुत कार्यों और लीलाओं का वर्णन होता है जो उन्होंने अपने अवतार के समय पृथ्वी पर किए। यह स्तुति विशेष रूप से वैष्णव भक्तों द्वारा गाई जाती है और इसे भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
मुरारी नाम का अर्थ
‘मुरारी’ शब्द दो भागों से बना है – ‘मुर’ और ‘अरी’। मुर एक दैत्य का नाम था जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पराजित किया था। ‘अरी’ का अर्थ होता है शत्रु। इसलिए मुरारी का अर्थ है “मुर दैत्य का शत्रु”। यह नाम भगवान श्रीकृष्ण की वीरता और उनकी अधर्म पर विजय को दर्शाता है।
मुरारी स्तुति
इन्दीवराखिल- समानविशालनेत्रो
हेमाद्रिशीर्षमुकुटः कलितैकदेवः।
आलेपितामल- मनोभवचन्दनाङ्गो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
सत्यप्रियः सुरवरः कविताप्रवीणः
शक्रादिवन्दितसुरः कमनीयकान्तिः।
पुण्याकृतिः सुवसुदेवसुतः कलिघ्नो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
नानाप्रकारकृत- भूषणकण्ठदेशो
लक्ष्मीपतिर्जन- मनोहरदानशीलः।
यज्ञस्वरूपपरमाक्षर- विग्रहाख्यो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
भीष्मस्तुतो भवभयापहकार्यकर्ता
प्रह्लादभक्तवरदः सुलभोऽप्रमेयः।
सद्विप्रभूमनुज- वन्द्यरमाकलत्रो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
नारायणो मधुरिपुर्जनचित्तसंस्थः
सर्वात्मगोचरबुधो जगदेकनाथः।
तृप्तिप्रदस्तरुण- मूर्तिरुदारचित्तो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
मुरारी स्तुति का महत्व
- भक्ति का संचार: मुरारी स्तुति गाने से भक्तों के हृदय में भगवान कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम उत्पन्न होता है।
- शांति और आशीर्वाद: ऐसा माना जाता है कि मुरारी स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा: यह स्तुति व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और उसे आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करती है।
- सांसारिक कष्टों का निवारण: जो भक्त नियमित रूप से इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
मुरारी स्तुति का पाठ कब और कैसे करें?
- मुरारी स्तुति का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय शांत और पवित्र वातावरण में करना उत्तम माना जाता है।
- इसे श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर गाया जा सकता है।
- पाठ करने से पहले मन को शांत करें और भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप का ध्यान करें।
- भक्त इसे धीमे स्वर में या संगीत के साथ भी गा सकते हैं।
प्रसिद्ध मुरारी स्तुतियाँ
मुरारी स्तुति कई प्रकार की हो सकती हैं, जिनमें से कुछ शास्त्रों और ग्रंथों में वर्णित हैं। जैसे:
- श्रीकृष्णाष्टकम्
- गोविंद स्तुति
- दशावतार स्तुति
मुरारी स्तुति पर पूछे जाने वाले प्रश्न
मुरारी स्तुति क्या है?
मुरारी स्तुति भगवान विष्णु के एक स्वरूप, श्रीकृष्ण, को समर्पित प्रार्थना है। इसमें उनकी लीलाओं, गुणों और दिव्यता का गुणगान किया गया है। भक्तजन इसे श्रद्धा से गाकर या पाठ करके भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मुरारी स्तुति का पाठ करने का क्या महत्व है?
मुरारी स्तुति का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और भक्त का ध्यान भगवान की ओर केंद्रित होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।
मुरारी स्तुति किस समय और कैसे की जानी चाहिए?
मुरारी स्तुति का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल और संध्या का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। पाठ करते समय स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और शांत मन से भगवान का ध्यान करना चाहिए।
मुरारी स्तुति को कौन-कौन से भक्त गा सकते हैं?
मुरारी स्तुति को सभी भक्त गा सकते हैं, चाहे वे किसी भी आयु, जाति, या लिंग के हों। यह स्तुति भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण और श्रद्धा प्रकट करने का माध्यम है, जो सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है।
मुरारी स्तुति से जुड़ी कौन-कौन सी कथाएं प्रचलित हैं?
मुरारी स्तुति से जुड़ी कई कथाएं हैं, जिनमें से प्रमुख है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से भक्तों को प्रसन्न किया और उनके जीवन को धन्य बनाया। यह भी कहा जाता है कि मुरारी स्तुति गाने से भक्तजन कंस जैसे कष्टों से मुक्त हो जाते हैं, जैसा कि श्रीमद्भागवत में वर्णित है।