कृष्ण स्तुति(Krishna Stuti), भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और गुणों का गान है। यह भक्तों द्वारा उनकी कृपा, लीला, और दिव्यता का स्मरण करने के लिए की जाती है। कृष्ण स्तुति मुख्य रूप से वैष्णव धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जहां भगवान कृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है।
कृष्ण स्तुति का अर्थ और उद्देश्य Meaning of Krishna Stuti
कृष्ण स्तुति का उद्देश्य भगवान की अनुकंपा प्राप्त करना, उनके प्रति समर्पण व्यक्त करना, और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाना है। इसमें भगवान की बाललीलाओं, युवावस्था की रासलीलाओं और कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध में दिए गए उनके उपदेशों का वर्णन किया जाता है।
कृष्ण स्तुति का महत्व Importance of Krishna Stuti
- भक्ति का माध्यम: कृष्ण स्तुति भक्ति मार्ग का एक सरल और प्रभावी साधन है।
- मनोबल बढ़ाने वाली: यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- कर्मयोग की प्रेरणा: गीता के सिद्धांतों पर आधारित कृष्ण स्तुति व्यक्ति को अपने कर्मों में निष्काम भाव से समर्पित रहने की प्रेरणा देती है।
कृष्ण स्तुति के प्रकार
- वैदिक मंत्र: कृष्ण से जुड़ी स्तुतियां ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में मिलती हैं।
- भागवत स्तुतियां: श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान की स्तुति के अनेक श्लोक दिए गए हैं।
- लोकगीत और भजन: विभिन्न भाषाओं में रचित भजनों और गीतों के माध्यम से भगवान कृष्ण की महिमा का गान किया जाता है
- रासलीला स्तुतियां: गोपियों और राधा द्वारा गाई गई स्तुतियां, जो रासलीला की महिमा का वर्णन करती हैं।
प्रमुख कृष्ण स्तुतियां
- गोविंद दामोदर स्तोत्र: भगवान की लीलाओं और गुणों का वर्णन।
- श्रीकृष्णाष्टक: यह आठ श्लोकों का संग्रह है जो भगवान की महिमा का गान करता है।
- मधुराष्टकम: भगवान की मधुरता को दर्शाने वाली स्तुति।
- विष्णु सहस्रनाम: इसमें भगवान विष्णु और उनके अवतारों के 1000 नामों का वर्णन है, जिनमें कृष्ण भी शामिल हैं।
- भागवत गीता: अर्जुन द्वारा भगवान की महिमा का वर्णन और उनकी शिक्षाएं।
कृष्ण स्तुति का आध्यात्मिक प्रभाव
- चिंता का नाश: कृष्ण स्तुति करने से मन की शांति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह व्यक्ति को नकारात्मकता से बचाती है और जीवन में ऊर्जा का संचार करती है।
- धार्मिक जागरूकता: भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
कृष्ण स्तुति करने का समय और विधि
- सुबह और शाम के समय कृष्ण स्तुति करना शुभ माना जाता है।
- शुद्ध मन और शांत वातावरण में भगवान की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठकर स्तुति करें।
- तुलसी के पत्ते और दीपक के साथ भगवान की आरती करें।
कृष्ण स्तुति Krishna Stuti
श्रियाश्लिष्टो विष्णुः स्थिरचरगुरुर्वेदविषयो
धियां साक्षी शुद्धो हरिरसुरहन्ताब्जनयनः।
गदी शङ्खी चक्री विमलवनमाली स्थिररुचिः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
यतः सर्वं जातं वियदनिलमुख्यं जगदिदं
स्थितौ निःशेषं योऽवति निजसुखांशेन मधुहा।
लये सर्वं स्वस्मिन् हरति कलया यस्तु स विभुः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
असूनायाम्यादौ यमनियममुख्यैः सुकरणै-
र्निरुद्ध्येदं चित्तं हृदि विमलमानीय सकलम्।
यमीड्यं पश्यन्ति प्रवरमतयो मायिनमसौ
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
पृथिव्यां तिष्ठन् यो यमयति महीं वेद न धरा
यमित्यादौ वेदो वदति जगतामीशममलम्।
नियन्तारं ध्येयं मुनिसुरनृणां मोक्षदमसौ
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
महेन्द्रादिर्देवो जयति दितिजान् यस्य बलतो
न कस्य स्वातन्त्र्यं क्वचिदपि कृतौ यत्कृतिमृते।
बलारातेर्गर्वं परिहरति योऽसौ विजयिनः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
विना यस्य ध्यानं व्रजति पशुतां सूकरमुखा
विना यस्य ज्ञानं जनिमृतिभयं याति जनता।
विना यस्य स्मृत्या कृमिशतजनिं याति स विभुः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
नरातङ्कोट्टङ्कः शरणशरणो भ्रान्तिहरणो
घनश्यामो वामो व्रजशिशुवयस्योऽर्जुनसखः।
स्वयंभूर्भूतानां जनक उचिताचारसुखदः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
यदा धर्मग्लानिर्भवति जगतां क्षोभकरणी
तदा लोकस्वामी प्रकटितविभुः सेतुधृदजः।
सतां धाता स्वच्छो निगमगणगीतो व्रजपतिः
शरण्यो लोकेशो मम भवतु कृष्णोऽक्षिविषयः।
कृष्ण स्तुति के उल्लेखनीय तथ्य
- महाकवि सूरदास और मीराबाई ने भगवान कृष्ण की स्तुति में कई भजन और पद रचे हैं।
- वृंदावन, मथुरा, और द्वारका में कृष्ण स्तुति के अनेक त्योहारों और उत्सवों का आयोजन होता है।
- रासलीला के माध्यम से कृष्ण स्तुति को नृत्य और संगीत के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
कृष्ण स्तुति के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Krishna Stuti
कृष्ण स्तुति क्या है?
कृष्ण स्तुति भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और गुणों की प्रशंसा करने के लिए की जाने वाली प्रार्थना है। यह भक्ति का एक रूप है जिसमें भक्त भगवान कृष्ण को उनके दिव्य कार्यों, लीलाओं और उपदेशों के लिए नमन करते हैं। कृष्ण स्तुति में गीता के श्लोक, भजन, और मंत्र शामिल हो सकते हैं।
कृष्ण स्तुति का महत्व क्या है?
कृष्ण स्तुति का महत्व भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाने में है। इसे करने से भक्त भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करते हैं, मन को शुद्ध करते हैं और सांसारिक दुखों से मुक्ति पाते हैं। यह आत्मा को भगवान से जोड़ने का माध्यम है।
कृष्ण स्तुति कैसे की जाती है?
कृष्ण स्तुति का महत्व भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाने में है। इसे करने से भक्त भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करते हैं, मन को शुद्ध करते हैं और सांसारिक दुखों से मुक्ति पाते हैं। यह आत्मा को भगवान से जोड़ने का माध्यम है।
कृष्ण स्तुति कैसे की जाती है?
कृष्ण स्तुति करने के लिए प्रातःकाल या शाम का समय सर्वोत्तम माना जाता है। भक्त भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर धूप-दीप जलाते हैं और उनकी स्तुति में मंत्र या भजन गाते हैं। “ॐ श्रीकृष्णाय नमः” या “हरे कृष्ण हरे राम” का जाप भी किया जा सकता है।
क्या कृष्ण स्तुति के लिए कोई विशेष दिन होता है?
हालांकि कृष्ण स्तुति किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन विशेष रूप से जन्माष्टमी, गीता जयंती, और एकादशी के दिन इसका महत्व बढ़ जाता है। इन दिनों भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
क्या कृष्ण स्तुति करने से जीवन में परिवर्तन आता है?
हां, कृष्ण स्तुति करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। यह मन को शांत करता है, आत्मिक सुख प्रदान करता है, और भक्त को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, यह तनाव को कम करके जीवन में सुख और संतोष का अनुभव देता है।