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बुधवार, अक्टूबर 8, 2025

करत नहिं क्यों प्रभुपर विस्वास | Karat Nahin Kyon Prabhupar Visvaas

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करत नहिं क्यों प्रभुपर विस्वास

Karat Nahin Kyon Prabhupar Visvaas

 

करत नहिं क्यों प्रभुपर विस्वास ।

विस्वंभर, सब जगके पालक, पूरै तेरी आस ॥

सुख लगि ठोकर खात इतहिं-उत, डोलत सदा उदास ।

मिलत न कबहू सुख विषयनमें दुखमय यह अभिलास ।।

प्रभु-पद-पदम सदा चिंतन कर, छूटै जमकी त्रास ।

मन अनंत आनंदमगन नित, प्रमुदित परम हुलास ||

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