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शुक्रवार, जून 20, 2025

कल्किकृत शिवस्तोत्रम्

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कल्किकृत शिवस्तोत्रम्: एक अद्वितीय स्तुति

परिचय: Information of KalikiKrut Shivstotram

धर्म और संस्कृति की अनंत धारा में प्रवाहित होते हुए, हिंदू धर्म में शिव उपासना का अत्यधिक महत्व है। महादेव शिव को त्रिलोक्य का स्वामी, कल्याणकारी और संहारक कहा गया है। शिव की उपासना विभिन्न रूपों और स्तोत्रों के माध्यम से की जाती है, जिनमें से एक विशिष्ट स्तोत्र है “कल्किकृत शिवस्तोत्रम्”। यह स्तोत्र महाकाल की अनुग्रह प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है।

शिवस्तोत्रम् का महत्त्व: Importance of ShivaStotram

कल्किकृत शिवस्तोत्रम्, शिव के विभिन्न गुणों और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव की महिमा और उनके अपार शक्ति का बखान किया गया है। शिवस्तोत्रम् के पाठ से न केवल साधक को मानसिक शांति मिलती है, बल्कि उसकी समस्त इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं। इस स्तोत्र में शिव के शाश्वत स्वरूप और उनकी करुणा को बड़े ही सुंदर और भावनात्मक शब्दों में व्यक्त किया गया है।

कल्कि अवतार और शिव स्तुति: Kaliki Avatara Shiv Stuti

“कल्कि” हिंदू धर्म में विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं। भविष्य पुराण में वर्णित है कि कलियुग के अंत में, कल्कि अवतार पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए अवतरित होंगे। ऐसा माना जाता है कि कल्कि अवतार ने शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस स्तोत्र का निर्माण किया। कल्कि अवतार ने अपने समय में भगवान शिव की उपासना कर उनसे असीम शक्ति और अनुग्रह प्राप्त किया। इस प्रकार, इस स्तोत्र को न केवल एक साधारण स्तुति के रूप में देखा जाता है, बल्कि इसे एक दिव्य वरदान के रूप में भी माना जाता है।

शिवस्तोत्रम् का पाठ और लाभ: Shiv Stotra Reading Benifits

कल्किकृत शिवस्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शिवस्तोत्रम् के मंत्र और श्लोक इतने प्रभावशाली होते हैं कि उनका उच्चारण ही मनुष्य के अंदर अद्वितीय शक्ति का संचार कर देता है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो अपने जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मबल प्राप्त करना चाहते हैं। शिव की कृपा से साधक के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और वह एक सुखमय और संतोषप्रद जीवन की प्राप्ति करता है।

स्त्रोत की विशेषताएँ: Importance of Stotra

कल्किकृत शिवस्तोत्रम् में भगवान शिव के विभिन्न नामों और गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें शिव की अद्वितीयता, उनकी दया, और उनके संरक्षण का उल्लेख है। इस स्तोत्र में शिव के तांडव नृत्य, उनके संहारक रूप, और उनकी महाकाल शक्ति की भी महिमा गाई गई है। इस स्तोत्र के माध्यम से शिव की अपरिमित शक्ति और उनके शाश्वत स्वरूप का गान किया जाता है, जो कि साधक के मन में शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को और अधिक गहन कर देता है।

शिवस्तोत्रम् का संदर्भ:

हिंदू धर्मग्रंथों में शिव के अनेक स्तोत्रों का उल्लेख मिलता है, लेकिन कल्किकृत शिवस्तोत्रम् को विशेष महत्व प्राप्त है। इसका पाठ करने से शिव के अनुग्रह की प्राप्ति होती है और साधक को संसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र जीवन की समस्याओं को हल करने, आत्मा की शुद्धि करने और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को सुगम बनाने में सहायता करता है। शिवस्तोत्रम् के हर श्लोक में शिव की महिमा का वर्णन है, जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर ले जाता है।

॥ अथ कल्किकृत शिवस्तोत्रम् ॥ Kalkikrut Shiv Stotram

गौरीनाथं विश्वनाथं शरण्यं
भूतावासं वासुकीकण्ठभूषम् ।
त्र्यक्षं पञ्चास्यादिदेवं पुराणं
वन्दे सान्द्रानन्दसन्दोहदक्षम् ॥१॥

योगाधीशं कामनाशं करालं
गङ्गासङ्गक्लिन्नमूर्धानमीशम् ।
जटाजूटाटोपरि (?) क्षिप्तभावं
महाकालं चन्द्रफालं नमामि ॥२॥

यो भूतादिः पञ्चभूतैः सिसृक्षुः
तन्मात्रात्मा कालकर्मस्वभावैः ।
प्रहृत्येदं प्राप्य जीवत्वमीशो
ब्रह्मानन्दे क्रीडते तं नमामि ॥३॥

स्थितौ विष्णुः सर्वजिष्णुः सुरात्मा
लोकान् साधून् धर्मसेतून् बिभर्ति ।
ब्रह्माद्यंशे योऽभिमानी गुणात्मा
शब्दाद्यङ्गैः तं परेशं नमामि ॥४॥

यस्याज्ञया वायवो वान्ति लोके
ज्वलत्यग्निः सविता याति तप्यन् ।
शीतांशुः खे तारकासंग्रहश्च
प्रवर्तन्ते तं परेशं प्रपद्ये ॥५॥

यस्य श्वासात् सर्वधात्री धरित्री
देवो वर्षत्यम्बु कालः प्रमाता ।
मेरुर्मध्ये भुवनानां च भर्ता
तमीशानं विश्वरूपं नमामि ॥६॥

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