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शुक्रवार, जनवरी 10, 2025

Kali Kavach – काली कवच

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काली कवच(Kali Kavach) हिंदू धर्म के तांत्रिक और आध्यात्मिक ग्रंथों में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र या मंत्र है। यह मां काली की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को उनके अद्भुत स्वरूप और शक्तियों का अनुभव कराता है। काली कवच मुख्य रूप से भक्तों की सुरक्षा, साहस, और जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा या बाधाओं से बचाव के लिए पढ़ा जाता है।

काली कवच का अर्थ – Meaning of Kali Kavach

‘कवच’ का शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा कवच। यह कवच किसी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्तर पर सुरक्षा प्रदान करता है। काली कवच मां काली की शक्ति और कृपा का प्रतीक है, जिसमें उनके अद्वितीय और भयंकर रूप की महिमा का वर्णन होता है।

मां काली को आद्याशक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनका रूप रौद्र और अजेय है। चार भुजाओं वाली मां काली के एक हाथ में खड्ग और दूसरे में कटे हुए राक्षस का सिर होता है। वे त्रिनेत्री हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला सुशोभित होती है। उनका यह स्वरूप बुराई के नाश और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। काली कवच में इन्हीं गुणों का विस्तार से वर्णन होता है।

काली कवच का उद्देश्य

काली कवच का मुख्य उद्देश्य है:

  1. सुरक्षा: यह कवच नकारात्मक ऊर्जा, बुरी दृष्टि, और बाधाओं से रक्षा करता है।
  2. साहस का संचार: इसे पढ़ने से मन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह भक्त को मां काली के दिव्य स्वरूप से जोड़ता है और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
  4. दुश्मनों से रक्षा: यह कवच शत्रुओं और अदृश्य बुराई से बचाने में सहायक है।

काली कवच का पाठ और महत्व Importance of Kali Kavach

काली कवच का पाठ करने के लिए श्रद्धा और समर्पण जरूरी है। इसे प्रातःकाल या संध्या समय पढ़ा जाता है। इसे पढ़ते समय भक्त को मां काली के स्वरूप का ध्यान करना चाहिए। मान्यता है कि नियमित रूप से काली कवच का पाठ करने से:

  • व्यक्ति को भयमुक्ति मिलती है।
  • जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • मां काली की कृपा से इच्छाएं पूरी होती हैं।

काली कवच के श्लोक Kali Kavach Sloka

अथ वैरिनाशनं कालीकवचम्।
कैलास शिखरारूढं शङ्करं वरदं शिवम्।
देवी पप्रच्छ सर्वज्ञं सर्वदेव महेश्वरम्।
श्रीदेव्युवाच-
भगवन् देवदेवेश देवानां भोगद प्रभो।
प्रब्रूहि मे महादेव गोप्यमद्यापि यत् प्रभो।
शत्रूणां येन नाशः स्यादात्मनो रक्षणं भवेत्।
परमैश्वर्यमतुलं लभेद्येन हि तद् वद।
वक्ष्यामि ते महादेवि सर्वधर्मविदाम्वरे।
अद्भुतं कवचं देव्याः सर्वकामप्रसाधकम्।
विशेषतः शत्रुनाशं सर्वरक्षाकरं नृणाम्।
सर्वारिष्टप्रशमनंअभिचारविनाशनम्।
सुखदं भोगदं चैव वशीकरणमुत्तमम्।
शत्रुसङ्घाः क्षयं यान्ति भवन्ति व्याधिपीडिताः।
दुःखिनो ज्वरिणश्चैव स्वानिष्टपतितास्तथा।
ॐ अस्य श्रीकालिकाकवचस्य भैरवर्षये नमः शिरसि।
गायत्री छन्दसे नमो मुखे। श्रीकालिकादेवतायै नमो हृदि।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। ह्रूं शक्तये नमः पादयोः।
क्लीं कीलकाय नमः सर्वाङ्गे।
शत्रुसङ्घनाशनार्थे पाठे विनियोगः।
ध्यायेत् कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीम्।
चतुर्भुजां ललज्जिह्वां पूर्णचन्द्रनिभाननाम्।
नीलोत्पलदलश्यामां शत्रुसङ्घविदारिणीम्।
नरमुण्डं तथा खड्गं कमलं वरदं तथा।
विभ्राणां रक्तवदनां दंष्ट्रालीं घोररूपिणीम्।
अट्टाट्टहासनिरतां सर्वदा च दिगम्बराम्।
शवासनस्थितां देवीं मुण्डमालाविभूषणाम्।
इति ध्यात्वा महादेवीं ततस्तु कवचं पठेत्।
कालिका घोररूपाद्या सर्वकामफलप्रदा।
सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे।
ॐ ह्रीं स्वरूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रूं रूपिणी तथा।
ह्रां ह्रीं ह्रैं ह्रौं स्वरूपा च सदा शत्रून् प्रणश्यतु।
श्रीं ह्रीं ऐं रूपिणी देवी भवबन्धविमोचिनी।
ह्रीं सकलां ह्रीं रिपुश्च सा हन्तु सर्वदा मम।
यथा शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः।
वैरिनाशाय वन्दे तां कालिकां शङ्करप्रियाम्।
ब्राह्मी शैवी वैष्णवी च वाराही नारसिंहिका।
कौमार्यैन्द्री च चामुण्डा खादन्तु मम विद्विषः।
सुरेश्वरी घोररूपा चण्डमुण्डविनाशिनी।
मुण्डमाला धृताङ्गी च सर्वतः पातु मा सदा।
ह्रां ह्रीं कालिके घोरदंष्ट्रे च रुधिरप्रिये‌ रूधिरापूर्णवक्त्रे च रूधिरेणावृतस्तनि।
मम सर्वशत्रून् खादय खादय हिंस हिंस मारय मारय भिन्धि भिन्धि
छिन्धि छिन्धि उच्चाटय उच्चाटय विद्रावय विद्रावय शोषय शोषय
स्वाहा।
ह्रां ह्रीं कालिकायै मदीयशत्रून् समर्पय स्वाहा।
ॐ जय जय किरि किरि किट किट मर्द मर्द मोहय मोहय हर हर मम
रिपून् ध्वंसय ध्वंसय भक्षय भक्षय त्रोटय त्रोटय यातुधानान्
चामुण्डे सर्वजनान् राजपुरुषान् स्त्रियो मम वश्याः कुरु कुरु अश्वान् गजान्
दिव्यकामिनीः पुत्रान् राजश्रियं देहि देहि तनु तनु धान्यं धनं यक्षं
क्षां क्षूं क्षैं क्षौं क्षं क्षः स्वाहा।
इत्येतत् कवचं पुण्यं कथितं शम्भुना पुरा।
ये पठन्ति सदा तेषां ध्रुवं नश्यन्ति वैरिणः।
वैरिणः प्रलयं यान्ति व्याधिताश्च भवन्ति हि।
बलहीनाः पुत्रहीनाः शत्रुवस्तस्य सर्वदा।
सहस्रपठनात् सिद्धिः कवचस्य भवेत्तथा।
ततः कार्याणि सिध्यन्ति यथाशङ्करभाषितम्।
श्मशानाङ्गारमादाय चूर्णं कृत्वा प्रयत्नतः।
पादोदकेन पिष्टा च लिखेल्लोहशलाकया।
भूमौ शत्रून् हीनरूपानुत्तराशिरसस्तथा।
हस्तं दत्त्वा तु हृदये कवचं तु स्वयं पठेत्।
प्राणप्रतिष्ठां कृत्वा वै तथा मन्त्रेण मन्त्रवित्।
हन्यादस्त्रप्रहारेण शत्रो गच्छ यमक्षयम्।
ज्वलदङ्गारलेपेन भवन्ति ज्वरिता भृशम्।
प्रोङ्क्षयेद्वामपादेन दरिद्रो भवति ध्रुवम्।
वैरिनाशकरं प्रोक्तं कवचं वश्यकारकम्।
परमैश्वर्यदं चैव पुत्र पौत्रादि वृद्धिदम्।
प्रभातसमये चैव पूजाकाले प्रयत्नतः।
सायङ्काले तथा पाठात् सर्वसिद्धिर्भवेद् ध्रुवम्।
शत्रुरुच्चाटनं याति देशाद् वा विच्युतो भवेत्।
पश्चात् किङ्करतामेति सत्यं सत्यं न संशयः।
शत्रुनाशकरं देवि सर्वसम्पत्करं शुभम्।
सर्वदेवस्तुते देवि कालिके त्वां नमाम्यहम्।

काली कवच का प्रभाव

  1. यह कवच मानसिक शांति प्रदान करता है।
  2. यह नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने में मदद करता है।
  3. यह आत्मा को दिव्यता की ओर ले जाता है।
  4. यह भक्त को मां काली की असीम कृपा का अनुभव कराता है।

काली कवच पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. काली कवच क्या है?

    काली कवच एक विशेष प्रकार का आध्यात्मिक और तांत्रिक सुरक्षा कवच है जो नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और अशुभ प्रभावों से बचाव के लिए उपयोग किया जाता है। इसे तांत्रिक प्रक्रिया द्वारा सिद्ध किया जाता है और व्यक्ति को मानसिक व आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

  2. काली कवच कैसे काम करता है?

    काली कवच में विशेष मंत्रों और तांत्रिक प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है जो इसे शक्तिशाली बनाते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाता है। यह आत्मविश्वास बढ़ाने और मानसिक शक्ति प्रदान करने में भी मदद करता है।

  3. काली कवच का उपयोग कौन कर सकता है?

    काली कवच का उपयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो जीवन में नकारात्मकता, बुरी नजर, या अशुभ प्रभावों का सामना कर रहा हो। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो मानसिक तनाव, भय, या असुरक्षा महसूस करते हैं।

  4. काली कवच को प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है?

    काली कवच को प्राप्त करने के लिए किसी विशेषज्ञ तांत्रिक या साधक की सहायता लेनी चाहिए। यह प्रक्रिया आमतौर पर मंत्र जाप, यज्ञ, और अन्य तांत्रिक अनुष्ठानों के माध्यम से होती है। इसे खरीदने से पहले उसकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए।

  5. काली कवच का प्रभाव कब तक रहता है?

    काली कवच का प्रभाव व्यक्ति के उपयोग और इसे रखने के तरीके पर निर्भर करता है। यदि इसे नियमित रूप से शुद्ध किया जाए और इसकी सिद्धि को बनाए रखा जाए, तो इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।

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