नरसिंहकवचम्(Narasimha Kavacham) भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है। यह कवच भक्तों के लिए रक्षात्मक कवच के रूप में कार्य करता है। नरसिंह भगवान, जो आधे शेर और आधे मानव के रूप में प्रकट हुए थे, ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए दुष्ट असुर हिरण्यकशिपु का अंत किया। यह कवच विशेष रूप से भय, रोग, शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करने के लिए माना जाता है। नरसिंहकवचम् का मूल उद्देश्य भक्त को मानसिक और शारीरिक शत्रुओं से सुरक्षित रखना है। यह कवच पवित्रता और समर्पण के साथ पाठ करने पर अद्भुत लाभ प्रदान करता है। इस स्तोत्र का जप करने से व्यक्ति के भीतर साहस, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
नरसिंहकवचम् की संरचना
यह कवच वेदों और पुराणों से लिया गया है और संस्कृत में रचित है। इसमें भगवान नरसिंह के विभिन्न रूपों की स्तुति की गई है और उनसे भक्त की रक्षा के लिए प्रार्थना की गई है। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित बिंदु शामिल होते हैं:
- ध्यान: भगवान नरसिंह का ध्यान और उनका वर्णन।
- स्तुति: भगवान की महिमा और उनकी शक्ति का बखान।
- रक्षा मंत्र: शरीर के विभिन्न अंगों की सुरक्षा के लिए मंत्र।
- प्रार्थना: सभी प्रकार की आपदाओं और कष्टों से मुक्ति के लिए प्रार्थना।
नरसिंहकवचम् के श्लोक Narasimha Kavacham Sloka in Sanskrit
नृसिंहकवचं वक्ष्ये प्रह्लादेनोदितं पुरा ।
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वोपद्रवनाशनम् ॥
सर्वसम्पत्करं चैव स्वर्गमोक्षप्रदायकम् ।
ध्यात्वा नृसिंहं देवेशं हेमसिंहासनस्थितम् ॥
विवृतास्यं त्रिनयनं शरदिन्दुसमप्रभम् ।
लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं विभूतिभिरुपाश्रितम् ॥
चतुर्भुजं कोमलाङ्गं स्वर्णकुण्डलशोभितम् ।
सरोजशोभितोरस्कं रत्नकेयूरमुद्रितम् ॥
तप्तकाञ्चनसङ्काशं पीतनिर्मलवाससम् ।
इन्द्रादिसुरमौलिस्थस्फुरन्माणिक्यदीप्तिभिः ॥
विराजितपदद्वन्द्वं शङ्खचक्रादिहेतिभिः ।
गरुत्मता च विनयात् स्तूयमानं मुदान्वितम् ॥
स्वहृत्कमलसंवासं कृत्वा तु कवचं पठेत् ।
नृसिंहो मे शिरः पातु लोकरक्षार्थसम्भवः ॥
सर्वगोऽपि स्तम्भवासः भालं मे रक्षतु ध्वनिम् ।
नृसिंहो मे दृशौ पातु सोमसूर्याग्निलोचनः ॥
स्मृतिं मे पातु नृहरिर्मुनिवर्यस्तुतिप्रियः ।
नासं मे सिंहनासस्तु मुखं लक्ष्मीमुखप्रियः ॥
सर्वविद्याधिपः पातु नृसिंहो रसनां मम ।
वक्त्रं पात्विन्दुवदनं सदा प्रह्लादवन्दितः ॥
नृसिंहः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ भूभरान्तकृत् ।
दिव्यास्त्रशोभितभुजो नृसिंहः पातु मे भुजौ ॥
करौ मे देववरदो नृसिंहः पातु सर्वतः ।
हृदयं योगिसाध्यश्च निवासं पातु मे हरिः ॥
मध्यं पातु हिरण्याक्षवक्षःकुक्षिविदारणः ।
नाभिं मे पातु नृहरिः स्वनाभि ब्रह्मसंस्तुतः ॥
ब्रह्माण्डकोटयः कट्यां यस्यासौ पातु मे कटिम् ।
गुह्यं मे पातु गुह्यानां मन्त्राणां गुह्यरूपदृक् ॥
ऊरू मनोभवः पातु जानुनी नररूपधृक् ।
जङ्घे पातु धराभारहर्ता योऽसौ नृकेसरी ॥
सुरराज्यप्रदः पातु पादौ मे नृहरीश्वरः ।
सहस्रशीर्षा पुरुषः पातु मे सर्वशस्तनुम् ॥
महोग्रः पूर्वतः पातु महावीराग्रजोऽग्नितः ।
महाविष्णुर्दक्षिणे तु महाज्वालस्तु नैरृतौ ॥
पश्चिमे पातु सर्वेशो दिशि मे सर्वतोमुखः ।
नृसिंहः पातु वायव्यां सौम्यां भूषणविग्रहः ॥
ईशान्यां पातु भद्रो मे सर्वमङ्गलदायकः ।
संसारभयतः पातु मृत्योर्मृत्युर्नृकेसरी ॥
इदं नृसिंहकवचं प्रह्लादमुखमण्डितम् ।
भक्तिमान् यः पठेन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥
पुत्रवान् धनवान् लोके दीर्घायुरुपजायते ।
यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोत्यसंशयम् ॥
सर्वत्र जयमाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ।
भूम्यन्तरीक्षदिव्यानां ग्रहाणां विनिवारणम् ॥
वृश्चिकोरगसम्भूतविषापहरणं परम् ।
ब्रह्मराक्षसयक्षाणां दूरोत्सारणकारणम् ॥
भूर्जे वा तालपत्रे वा कवचं लिखितं शुभम् ।
करमूले धृतं येन सिध्येयुः कर्मसिद्धयः ॥
देवासुरमनुष्येषु स्वं स्वमेव जयं लभेत् ।
एकसन्ध्यं त्रिसन्ध्यं वा यः पठेन्नियतो नरः ॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।
द्वात्रिंशतिसहस्राणि पठेत् शुद्धात्मनां नृणाम् ॥
कवचस्यास्य मन्त्रस्य मन्त्रसिद्धिः प्रजायते ।
अनेन मन्त्रराजेन कृत्वा भस्माभिमन्त्रणम् ॥
तिलकं विन्यसेद्यस्तु तस्य ग्रहभयं हरेत् ।
त्रिवारं जपमानस्तु दत्तं वार्यभिमन्त्र्य च ॥
प्राशयेद्यो नरो मन्त्रं नृसिंहध्यानमाचरेत् ।
तस्य रोगाः प्रणश्यन्ति ये च स्युः कुक्षिसम्भवाः ॥
किमत्र बहुनोक्तेन नृसिंहसदृशो भवेत् ।
मनसा चिन्तितं यत्तु स तच्चाप्नोत्यसंशयम् ॥
नरसिंहकवचम् का पाठ करने के नियम Rules of Narasimha Kavacham Paath
- कवच का पाठ सूर्योदय के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध हो जाएं।
- भगवान विष्णु या नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाकर पाठ करें।
- पाठ के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना को मन में स्थान न दें।
- सप्ताह में मंगलवार और शनिवार को पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
नरसिंहकवचम् के लाभ Benifits of Narasimha Kavacham
- भय से मुक्ति: यह कवच मनुष्य को हर प्रकार के भय से मुक्त करता है।
- शत्रुओं पर विजय: यह शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा करता है।
- रोगों से सुरक्षा: यह कवच शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इसके नियमित पाठ से आत्मा की शुद्धि और ध्यान में गहराई प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: यह कवच किसी भी नकारात्मक या तामसिक ऊर्जा से बचाव करता है।
नरसिंहकवचम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs for Narasimha Kavacham)
नरसिंहकवचम् क्या है?
उत्तर: नरसिंहकवचम् एक वैदिक स्तोत्र है, जो भगवान नरसिंह को समर्पित है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के उग्र और रक्षक स्वरूप की स्तुति करता है। इसे भगवान नरसिंह की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
नरसिंहकवचम् का पाठ क्यों किया जाता है?
उत्तर: नरसिंहकवचम् का पाठ जीवन में आने वाले भय, नकारात्मक ऊर्जा, और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह कवच आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है और भक्त को भगवान नरसिंह की सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।
नरसिंहकवचम् का पाठ करने का सही समय क्या है?
उत्तर: नरसिंहकवचम् का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय शुद्ध मन और शुद्ध वातावरण में करना उत्तम माना जाता है। विशेषकर, नरसिंह जयंती और एकादशी के दिन इसका पाठ करना अत्यधिक फलदायी होता है।
नरसिंहकवचम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: नरसिंहकवचम् के पाठ से भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यह भक्त को आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है। साथ ही, आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह पाठ विशेष लाभकारी है।
नरसिंहकवचम् का पाठ कैसे किया जाता है?
उत्तर: नरसिंहकवचम् का पाठ शुद्ध जल से स्नान करने के बाद, भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करके करना चाहिए। पाठ के दौरान शांत मन और श्रद्धा का होना आवश्यक है। संस्कृत में पाठ करना सबसे प्रभावी होता है, लेकिन इसे समझने के लिए अनुवाद का उपयोग भी किया जा सकता है।