Hariharaputra Udaara Stotram
हरिहरपुत्र उदार स्तोत्रम् एक दुर्लभ और अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान अय्यप्पा को समर्पित है। भगवान अय्यप्पा को “हरिहरपुत्र” कहा जाता है क्योंकि वे भगवान शिव (हर) और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप (हरि) के पुत्र माने जाते हैं। यह स्तोत्र उनकी दिव्यता, करुणा और उदारता का गुणगान करता है।
हरिहरपुत्र उदार स्तोत्रम्
हरिकलभतुरङ्गतुङ्गवाहं हरिमणिमोहनहारचारुदेहम् ।
हरिदधीपनतं गिरीन्द्रगेहं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयामि ॥
निरुपमपरमात्मनित्यबोधं गुरुवरमद्भुतमादिभूतनाथम् ।
सुरुचिरतरदिव्यनृत्तगीतं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयामि ॥
अगणितफलदानलोलशीलं नगनिलयं निगमागमादिमूलम् ।
अखिलभुवनपालकं विशालं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयामि ॥
घनरसकलभाभिरम्यगात्रं कनककरोज्वलकमनीयवेत्रम् ।
अनघसनकतापसैकमित्रं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयामि ॥
सुकृतसुमनसां सतां शरण्यं सकृदुपसेवकसाधुलोकवर्ण्यम् ।
सकलभुवनपालकं वरेण्यं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयेऽहम् ॥
विजयकरविभूतिवेत्रहस्तं विजयकरं विविधायुधप्रशस्तम् ।
विजितमनसिजंचराचरस्थं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयेऽहम् ॥
सकलविषयमहारुजापहारं जगदुदयस्थितिनाशहेतुभूतम् ।
अगनगमृगयामहाविनोदं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयेऽहम् ॥
त्रिभुवनशरणं दयापयोधिं प्रभुममराभरणं रिपुप्रमाथिम् ।
अभयवरकरोज्ज्वलत्समाधिं हरिहरपुत्रमुदारमाश्रयेऽहम् ॥
जयजय मणिकण्ठ वेत्रदण्ड जय करुणाकर पूर्णचन्द्रतुण्ड ।
जयजय जगदीश शासिताण्ड जयरिपुखण्डवखण्ड चारुखण्ड ॥
हरिहरपुत्र उदार स्तोत्रम् का महत्व
भक्ति और समर्पण: यह स्तोत्र भक्तों को भगवान अय्यप्पा के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना से ओत-प्रोत करता है।
भगवान अय्यप्पा की स्तुति: यह स्तोत्र भगवान अय्यप्पा के विभिन्न रूपों, गुणों और लीलाओं का वर्णन करता है, जो भक्तों को उनकी महिमा का स्मरण कराता है।
आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान अय्यप्पा की कृपा प्राप्त होती है।
हरिहरपुत्र उदार स्तोत्रम् के लाभ
हरिहरपुत्र उदार स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से:
- मन की शुद्धि और शांति प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और भगवान अय्यप्पा की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।