Damodara Ashtakam In Hindi
दामोदर अष्टकम(Damodara Ashtakam) भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति के लिए रचित एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसे भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक गाया जाता है। यह स्तोत्र श्री सत्यव्रत मुनि द्वारा रचित है और श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित भगवान श्रीकृष्ण के “दामोदर लीला” का वर्णन करता है। यह अष्टकम कार्तिक मास में विशेष रूप से प्रात: और संध्या के समय गाया जाता है और माना जाता है कि इसके पाठ से भगवान श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
दामोदर अष्टकम का संबंध भगवान कृष्ण की बाल लीला से है। जब श्रीकृष्ण ने यशोदा माता के घर माखन चोरी की और उसके बाद माता यशोदा ने उन्हें ऊखल (जोड़ने वाले लकड़ी के बड़े खंभे) से बांध दिया, तब उनका नाम “दामोदर” पड़ा। संस्कृत में “दाम” का अर्थ है रस्सी और “उदर” का अर्थ है पेट। इस प्रकार, “दामोदर” का अर्थ हुआ रस्सी से पेट में बंधे हुए भगवान।
यह स्तोत्र भगवान के बाल स्वरूप, उनकी करुणा, लीला और भक्ति के महत्व को दर्शाता है।
दामोदर अष्टकम का पाठ Damodara Ashtakam
नमामीश्वरं सच्चिदानन्दरूपं
लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्।
यशोदाभियोलूखलाद् धावमानं
परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या।
रुदन्तं मुहुर् नेत्रयुग्मं मृजन्तं
कराम्भोजयुग्मेन सातङ्कनेत्रम्।
मुहुः श्वासकम्पत्रिरेखाङ्ककण्ठ-
स्थितग्रैवदामोदरं भक्तिबद्धम्।
इतीदृक् स्वलीलाभिरानन्दकुण्डे
स्वघोषं निमज्जन्तमाख्यापयन्तम्।
तदीयेषितज्ञेषु भक्तैर्जितत्वं
पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे।
वरं देव मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चन्यं वृणेऽहं वरेषादपीह।
इदं ते वपुर्नाथ गोपालबालं
सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः।
इदं ते मुखाम्भोजमत्यन्तनीलै
र्वृतं कुन्तलैः स्निग्धरक्तैश् च गोप्या।
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे
मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः।
नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रसीद प्रभो दुःखजालाब्धिमग्नम्।
कृपादृष्टिवृष्ट्यातिदीनं बतानु
गृहाणेष मामज्ञमेध्याक्षिदृश्यः।
कुवेरात्मजौ बद्धमूर्त्यैव यद्वत्
त्वया मोचितौ भक्तिभाजौ कृतौ च।
तथा प्रेमभक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ
न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह।
नमस्तेऽस्तु दाम्ने स्फुरद्दीप्तिधाम्ने
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने।
नमो राधिकायै त्वदीयप्रियायै
नमोऽनन्तलीलाय देवाय तुभ्यम्।
दामोदर अष्टकम का महत्व Importance of Damodara Ashtakam
- भक्ति का प्रभाव: यह स्तोत्र भक्त और भगवान के बीच की आत्मीयता को दर्शाता है। इसमें भगवान की लीलाओं और करुणा का वर्णन है, जिससे भक्त का विश्वास बढ़ता है।
- कार्तिक मास का महत्व: कार्तिक मास में दामोदर अष्टकम का विशेष महत्व है। इसे गाने या सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण की कृपा मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: दामोदर अष्टकम का पाठ या गायन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मुक्ति और कृपा: यह माना जाता है कि दामोदर अष्टकम का पाठ करने वाले भक्त को भगवान की कृपा मिलती है और वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है।
दामोदर अष्टकम का उपयोग Usage of Damodara Ashtakam
- इसे मंदिरों में आरती के समय गाया जाता है।
- इसे घर में भक्ति के उद्देश्य से नियमित रूप से गाया जा सकता है।
- कार्तिक मास में दीपदान और तुलसी पूजन के साथ इसका विशेष महत्व है।
दामोदर अष्टकम न केवल भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करता है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच के प्रेम और समर्पण को भी प्रकट करता है। इसे पढ़ने और समझने से आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति का विकास होता है।
दामोदर अष्टकम पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Damodara Ashtakam
दामोदर अष्टकम क्या है?
दामोदर अष्टकम एक प्रसिद्ध भक्तिमय स्तोत्र है, जो भगवान श्रीकृष्ण के दामोदर रूप की महिमा का वर्णन करता है। इसे श्री सत्यव्रत मुनि ने रचाया है और यह श्रीमद्भागवत पुराण से प्रेरित है। इसका पाठ विशेष रूप से कार्तिक मास में किया जाता है।
दामोदर अष्टकम का पाठ कब और क्यों किया जाता है?
दामोदर अष्टकम का पाठ कार्तिक मास के दौरान, विशेषकर दीपावली और पूर्णिमा के समय, अत्यंत शुभ माना जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और इसे पढ़ने से भक्त को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दामोदर अष्टकम के मुख्य विषय क्या हैं?
दामोदर अष्टकम में भगवान कृष्ण के दामोदर रूप का वर्णन है, जिसमें माता यशोदा द्वारा उन्हें उखल से बांधने की कथा प्रमुख है। यह उनकी दिव्य लीलाओं, करुणा, और भक्तों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
दामोदर अष्टकम का पाठ कैसे करना चाहिए?
दामोदर अष्टकम का पाठ शुद्ध मन और भक्ति-भाव से करना चाहिए। पाठ से पहले भगवान कृष्ण का ध्यान करें, दीप प्रज्वलित करें और तुलसी के पत्तों के साथ उनकी पूजा करें। इसे सुबह और शाम के समय गाया या पढ़ा जा सकता है।
दामोदर अष्टकम पढ़ने के लाभ क्या हैं?
दामोदर अष्टकम पढ़ने से भक्त को आध्यात्मिक शांति मिलती है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पापों का नाश करता है, जीवन में सुख-शांति लाता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।