25.1 C
Gujarat
मंगलवार, मार्च 25, 2025

सकल जग हरिको रूप निहार

Post Date:

Sakal Jag Hariko Roop Nihar

सकल जग हरिको रूप निहार ।

हरि बिनु विश्व कतहुँ कोउ नाहीं, मिथ्या भ्रम संसार ।।

अलख निरंजन, सब जग व्यापक, सब जगको आधार ।

नहिं आधार, नाहिं कोउ हरिमहँ, केवल हरि-विस्तार ।।

अति समीप, अति दूर, अनोखे, जगमहूँ, जगतें पार ।

पय-घृत, पावक-काष्ठ, बीजमहँ, तरु-फल पल्लव-डार ।।

तिमि हरि व्यापक अखिल विश्वमहँ, आनंद पूर्ण अपार ।

एहि बिधि एक बार निरखत ही, भव-बारिधि हो पार ।।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

मार्कण्डेयपुराण

Markandey Puranमार्कण्डेय पुराण(Markandey Puran) हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों...

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam In Hindi and Sanskrit

Shodasha Bahu Narasimha Ashtakam (श्री षोडश बाहु नृसिंह अष्टकम)श्री...

श्री गङ्गाष्टकम्

Ganga Ashtakam In Hindiश्री गङ्गाष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र...

गोविन्दाष्टकम

https://youtu.be/YEiOXNodAEQ?si=Wn_JC_oWNZ3v7TvEगोविन्दाष्टकमश्री गोविन्दाष्टकम(Govindashtakam) एक प्रसिद्ध वैष्णव स्तोत्र है, जिसमें भगवान...