Ayyappa Dhyana Ashtakam
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् भगवान अय्यप्पा की स्तुति में लिखा गया एक प्रार्थना काव्य है। यह आठ श्लोकों का संग्रह है जो भगवान अय्यप्पा की महिमा, उनकी शक्ति और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है। भगवान अय्यप्पा दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल राज्य में पूजनीय हैं। उन्हें हरिहरपुत्र कहा जाता है, क्योंकि वे भगवान शिव और भगवान विष्णु के अवतार मोहिनी के पुत्र माने जाते हैं।

Ayyappa Dhyana Ashtakam अय्यप्पा ध्यान अष्टकम्
नमामि धर्मशास्तारं योगपीठस्थितं विभुम्।
प्रसन्नं निर्मलं शान्तं सत्यधर्मव्रतं भजे।
आश्यामकोमलविशालतनुं विचित्र-
वासो वसानमरुणोत्पलवामहस्तम्।
उत्तुङ्गरत्नमुकुटं कुटिलाग्रकेशं
शास्तारमिष्टवरदं शरणं प्रपद्ये।
हरिहरशरीरजन्मा मरकतमणिभङ्गमेचकच्छायः।
विजयतु देवः शास्ता सकलजगच्चित्तमोहिनीमूर्तिः।
पार्श्वस्थापत्यदारं वटविटपितलन्यस्तसिंहासनस्थम्।
श्यामं कालाम्बरं च श्रितकरयुगलादर्शचिन्तामणिं च।
शस्त्री निस्त्रिंशबाणासनविशिखधृतं रक्तमाल्यानुलेपं
वन्दे शास्तारमीड्यं घनकुटिलबृहत्कुन्तलोदग्रमौलिम्।
स्निग्धारालविसारिकुन्तलभरं सिंहासनाध्यासिनं
स्फूर्जत्पत्रसुकॢप्तकुण्डलमथेष्विष्वासभृद्दोर्द्वयम्।
नीलक्षौमवसं नवीनजलदश्यामं प्रभासत्यक-
स्वायत्पार्श्वयुगं सुरक्तसकलाकल्पं स्मरेदार्यकम्।
कोदण्डं सशरं भुजेन भुजगेन्द्राभोगभासा वहन्
वामेन क्षुरिकां विपक्षदलने पक्षेण दक्षेण च।
कान्त्या निर्जितनीरदः पुरभिदः क्रीडत्किराताकृतेः
पुत्रोऽस्माकमनल्पनिर्मलयशाः निर्मातु शर्मानिशम्।
काळाम्भोदकलाभकोमलतनुं बालेन्दुचूडं विभुं
बालार्कायुतरोचिषं शरलसत्कोदण्डबाणान्वितम्।
वीरश्रीरमणं रणोत्सुकमिषद्रक्ताम्बुभूषाञ्जलिं
कालारातिसुतं किरातवपुषं वन्दे परं दैवतम्।
साध्यं स्वपार्श्वेन विबुद्ध्य गाढं
निपातयन्तं खलु साधकस्य।
पादाब्जयोर्मण्डधरं त्रिनेत्रं
भजेम शास्तारमभीष्टसिद्ध्यै।
अष्टकम् का भावार्थ Meaning of Ayyappa Dhyana Ashtakam
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् के प्रत्येक श्लोक में भगवान अय्यप्पा के स्वरूप, गुण, और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
- पहले श्लोक में भगवान अय्यप्पा को दिव्य तेज से युक्त, करुणामय और भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले के रूप में वर्णित किया गया है।
- दूसरे श्लोक में भगवान के आभूषण, उनके शरीर की दिव्यता और उनकी तपस्या को दर्शाया गया है।
- तीसरे श्लोक में भगवान अय्यप्पा के शरणागत वत्सल स्वरूप का उल्लेख किया गया है, जो सभी भक्तों को सुरक्षा और सुख प्रदान करते हैं।
- चौथे श्लोक में भगवान की कृपा से भक्तों के दुख और कष्ट दूर होने की बात कही गई है।
- पांचवे श्लोक में भगवान के त्रिगुणात्म स्वरूप – सत्व, रजस और तमस का वर्णन किया गया है।
- छठे श्लोक में भगवान के अज्ञानी और ज्ञानी भक्तों के प्रति समान दयालुता का उल्लेख है।
- सातवें श्लोक में भगवान के धैर्य और उनकी अजेय शक्ति का वर्णन है।
- आठवें श्लोक में भगवान अय्यप्पा के चरणों की महिमा का बखान किया गया है, जिन्हें छूने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् के लाभ Benifits of Ayyappa Dhyana Ashtakam
- अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है।
- यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह लाने में सहायक है।
- इसे नियमित पढ़ने से भगवान अय्यप्पा की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में आने वाले बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् का महत्व Importance of Ayyappa Dhyana Ashtakam
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम् भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण है। यह न केवल भगवान अय्यप्पा के प्रति प्रेम और समर्पण को बढ़ाता है, बल्कि व्यक्ति के भीतर छिपी आत्मिक शक्ति को जागृत करने में भी मदद करता है। दक्षिण भारत में, विशेष रूप से सबरीमाला तीर्थयात्रा के दौरान, भक्त इस अष्टकम् का जाप करते हैं और भगवान अय्यप्पा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम क्या है?
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम भगवान अय्यप्पा की स्तुति में एक महत्वपूर्ण पाठ है, जिसे भक्तिपूर्वक गाया जाता है। यह अष्टकश्लोकों का संग्रह है, जो अय्यप्पा की महानता और उनके गुणों का वर्णन करता है।
अय्यप्पा ध्यान अष्टकम का महत्व क्या है?
यह ध्यान अष्टकम भगवान अय्यप्पा के प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा देता है। इसके पाठ से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और संकटों से मुक्ति मिलती है।
अय्यप्पा भगवान कौन हैं?
भगवान अय्यप्पा शिव और मोहिनी का पुत्र हैं और उन्हें दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजा जाता है। वे विकास और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। उनके सबसे प्रसिद्ध मंदिर सबरिमाला में स्थित है, जहाँ लाखों तीर्थयात्री प्रतिवर्ष आते हैं
किस समय पर अय्यप्पा ध्यान अष्टकम का पाठ करना उचित है?
इसे किसी भी शुभ समय पर पाठ किया जा सकता है, विशेषकर धार्मिक अवसरों, त्योहारों या व्यक्तिगत संकट के समय। कई भक्त इसे प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर नियमित रूप से पाठ करते हैं।
क्या अय्यप्पा ध्यान अष्टकम का पाठ करने के लिए कोई विशेष सामग्री चाहिए?
पाठ के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है। बस एक शुद्ध मन और ध्यान की आवश्यकता होती है। आप इसे किसी शांत स्थान पर बैठकर भी पढ़ सकते हैं।
क्या अय्यप्पा ध्यान अष्टकम का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हाँ, यह पाठ समूह में भी किया जा सकता है। सामूहिक रूप से ध्यान करने से सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि अत्यंत लाभप्रद होता है।