Aparna Stotram
अपर्णा स्तोत्र एक अत्यंत पवित्र एवं शक्तिशाली स्तोत्र है जो माँ पार्वती (अर्थात अपर्णा देवी) को समर्पित है। यह स्तोत्र माँ की तपश्चर्या, त्याग, और शक्ति की महिमा का गुणगान करता है। ‘अपर्णा’ का शाब्दिक अर्थ है – “जिसने पत्ते तक का सेवन नहीं किया”। यह नाम माता पार्वती को उस समय मिला जब उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने हेतु घोर तपस्या करते हुए अन्न-जल तो दूर, पत्ते तक नहीं खाए थे।
अपर्णा स्तोत्र
रक्तामरीमुकुटमुक्ताफल- प्रकरपृक्ताङ्घ्रिपङ्कजयुगां
व्यक्तावदानसृत- सूक्तामृताकलन- सक्तामसीमसुषमाम्।
युक्तागमप्रथनशक्तात्मवाद- परिषिक्ताणिमादिलतिकां
भक्ताश्रयां श्रय विविक्तात्मना घनघृणाक्तामगेन्द्रतनयाम्।
आद्यामुदग्रगुण- हृद्याभवन्निगमपद्यावरूढ- सुलभां
गद्यावलीवलित- पद्यावभासभर- विद्याप्रदानकुशलाम्।
विद्याधरीविहित- पाद्यादिकां भृशमविद्यावसादनकृते
हृद्याशु धेहि निरवद्याकृतिं मनननेद्यां महेशमहिलाम्।
हेलालुलत्सुरभिदोलाधिक- क्रमणखेलावशीर्णघटना-
लोलालकग्रथितमाला- गलत्कुसुमजालाव- भासिततनुम्।
लीलाश्रयां श्रवणमूलावतंसित- रसालाभिरामकलिकां
कालावधीरण-करालाकृतिं, कलय शूलायुधप्रणयिनीम्।
खेदातुरःकिमिति भेदाकुले निगमवादान्तरे परिचिति-
क्षोदाय ताम्यसि वृथादाय भक्तिमयमोदामृतैकसरितम्।
पादावनीविवृतिवेदावली- स्तवननादामुदित्वरविप-
च्छादापहामचलमादायिनीं भज विषादात्ययाय जननीम्।
एकामपि त्रिगुण-सेकाश्रयात्पुनरनेकाभिधामुपगतां
पङ्कापनोदगत- तङ्काभिषङ्गमुनि- शङ्कानिरासकुशलाम्।
अङ्कापवर्जित- शशाङ्काभिरामरुचि- सङ्काशवक्त्रकमलां
मूकानपि प्रचुरवाकानहो विदधतीं कालिकां स्मर मनः।
वामां गतेप्रकृतिरामां स्मिते चटुलदामाञ्चलां कुचतटे
श्यामां वयस्यमितभामां वपुष्युदितकामां मृगाङ्कमुकुटे।
मीमांसिकां दुरितसीमान्तिकां बहलभीमां भयापहरणे
नामाङ्कितां द्रुतमुमां मातरं जप निकामांहसां निहतये।
सापायकांस्तिमिरकूपानिवाशु वसुधापान् भुजङ्गसुहृदो
हापास्य मूढ बहुजापावसक्तमुहुरापाद्य वन्द्यसरणिम्।
तापापहां द्विषदकूपारशोषणकरीं पालिनीं त्रिजगतां
पापाहितां भृशदुरापामयोगिभिरुमां पावनीं परिचर।
स्फारीभवत्कृतिसुधारीतिदां भविकपारीमुदर्करचना-
कारीश्वरीं कुमतिवारीमृषि- प्रकरभूरीडितां भगवतीम्।
चारीविलासपरिचारी भवद्गगनचारी हितार्पणचणां
मारीभिदे गिरिशनारीममूं प्रणम पारीन्द्रपृष्ठनिलयाम्।
ज्ञानेन जातेऽप्यपराधजाते विलोकयन्ती करुणार्द्र-दृष्ट्या।
अपूर्वकारुण्यकलां वहन्ती सा हन्तु मन्तून् जननी हसन्ती।
अपर्णा स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें?
पाठ का समय:
- प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या
- संध्याकाल (शाम के समय)
- विशेष रूप से नवरात्रि, सोमवार, या शिवरात्रि पर पाठ का महत्व अधिक होता है।
पाठ विधि:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ दुर्गा या पार्वती की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- रोली, चावल, पुष्प आदि से पूजा करें।
- शांत चित्त से Aparna Stotram का पाठ करें।
- अंत में आरती और प्रार्थना करें।
अपर्णा स्तोत्र से संबंधित अन्य तथ्य:
- कई पुराणों जैसे शिवपुराण, स्कन्दपुराण आदि में अपर्णा देवी की तपस्या का वर्णन मिलता है।
- अपर्णा स्तोत्र का जप करने से कठिन व्रतों को सफलता पूर्वक पूरा करने की शक्ति मिलती है।
- यह स्तोत्र विशेष रूप से कुमारियों, गृहिणियों और साधकों के लिए फलदायी है।