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मंगलवार, मई 13, 2025

अंगारक कवचम् (कुज कवचम्)

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अंगारक कवचम्

अंगारक कवचम् भगवान मंगल (अंगारक) के स्तुति और संरक्षण के लिए ऋषि कश्यप द्वारा रचित एक पवित्र स्तोत्र है। यह कवच मुख्यतः भगवान मंगल की कृपा प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए पाठ किया जाता है। इसे ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह मंगल ग्रह से संबंधित दोषों को निवारण करने में सहायक है।

अंगारक (मंगल) कौन हैं?

भगवान मंगल, जिन्हें अंगारक भी कहा जाता है, नवग्रहों में से एक हैं और वे ऊर्जा, शक्ति, पराक्रम, भूमि, और साहस के कारक माने जाते हैं। इन्हें कुज (मंगल) भी कहते हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति में आत्मविश्वास, साहस और पराक्रम की वृद्धि होती है।
मंगल ग्रह यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में संघर्ष, दुर्घटनाएं, और मानसिक अशांति उत्पन्न हो सकती हैं।

कश्यप-ऋषि द्वारा रचित अंगारक कवच का महत्व

कश्यप-ऋषि, जो वैदिक ऋषि परंपरा में अत्यंत सम्मानित माने जाते हैं, ने अंगारक कवच की रचना की। इस कवच का पाठ करने से मंगल के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं और भक्त को मंगल ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। इसे नियमित रूप से करने पर शत्रु नाश, मानसिक शांति, और जीवन में प्रगति होती है।

अंगारक कवचम् का पाठ Angaraka Kavacham Path

अस्य श्री-अङ्गारककवचस्तोत्रमन्त्रस्य।
कश्यप-ऋषिः।अनुष्टुप् छन्दः। अङ्गारको देवता।

भौमप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।
रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत्।

धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः।
अङ्गारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः।

श्रवौ रक्ताम्बरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः।
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः।

भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा।
वक्षः पातु वराङ्गश्च हृदयं पातु रोहितः।

कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः।
जानुजङ्घे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा।

सर्वाण्यन्यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे मेषवाहनः।
य इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रुनिवारणम्।

भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्वसिद्धिदम्।
सर्वरोगहरं चैव सर्वसम्पत्प्रदं शुभम्।

भुक्तिमुक्तिप्रदं नॄणां सर्वसौभाग्यवर्धनम्।
रोगबन्धविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः।

|| इति श्री मार्कण्डेयपुराणे अङ्गारककवच संपूर्णम् ||

अंगारक कवच का पाठ कब और कैसे करें?

1.पाठ का समय:

  • मंगलवार का दिन और मंगल होरा इस कवच का पाठ करने के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  • इसे ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि के बाद किया जाना चाहिए।

2. सामग्री:

  • लाल वस्त्र पहनें।
  • भगवान मंगल की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  • गुड़ या लाल पुष्प चढ़ाएं।

3.पाठ विधि:

  • शांत चित्त होकर भगवान मंगल का ध्यान करें।
  • कवच का पाठ पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

अंगारक कवचम् का पाठ करने के लाभ Benifits of Angaraka Kavacham

1. मंगल दोष का निवारण:
यह कवच कुंडली में उपस्थित मांगलिक दोष और अन्य अशुभ प्रभावों को शांत करता है।

2. आत्मबल और साहस की वृद्धि:
कवच के नियमित पाठ से आत्मविश्वास, पराक्रम और साहस बढ़ता है।

3. शत्रु नाश और सुरक्षा:
यह कवच व्यक्ति को शत्रुओं के दुष्प्रभाव से बचाता है और सभी प्रकार के बाहरी संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है।

4.संपत्ति और भूमि से जुड़े कार्यों में सफलता:
मंगल भूमि और संपत्ति का कारक ग्रह है। इस कवच के पाठ से भूमि, घर, और संपत्ति से जुड़े विवाद समाप्त होते हैं।

5.स्वास्थ्य लाभ:
मंगल शरीर में रक्त और ऊर्जा का प्रतीक है। इस कवच का पाठ करने से रक्तचाप और रक्त-संबंधी विकारों में लाभ होता है।

अंगारक कवचम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न Angaraka Kavacham FAQs

अंगारक कवचम् क्या है?

अंगारक कवचम् एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है जो भगवान अंगारक (मंगल ग्रह) की स्तुति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए पढ़ा जाता है।

अंगारक कवचम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

अंगारक कवचम् का पाठ मंगलवार के दिन सुबह स्नान करके और लाल वस्त्र पहनकर करना शुभ माना जाता है। इसे शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर करना चाहिए। पाठ के दौरान दीपक जलाकर भगवान मंगल के चित्र या मूर्ति के सामने इस स्तोत्र का पाठ करें।

अंगारक कवचम् का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मंगल ग्रह के दोषों को दूर किया जा सकता है। यह विशेष रूप से मांगलिक दोष, क्रोध, संपत्ति से जुड़े विवाद, और शारीरिक व मानसिक समस्याओं को कम करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, यह आत्मविश्वास, ऊर्जा और धन की वृद्धि में भी सहायक होता है।

अंगारक कवचम् को पढ़ने के लिए कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

1.पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2.पाठ करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण करें।
3.पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
4.संभव हो तो पाठ के बाद दान करें, विशेषकर लाल रंग की वस्तुएं जैसे मसूर दाल, गुड़, या लाल वस्त्र।

क्या अंगारक कवचम् के साथ अन्य कोई मंत्र या पूजा करनी चाहिए?

अंगारक कवचम् के साथ “मंगल मंत्र” या “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप करना और हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यधिक फलदायक माना जाता है। मंगल ग्रह के उपायों के लिए हनुमान जी की पूजा भी शुभकारी होती है।

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