श्री कूर्म स्तोत्रम् Sri Kurma Stotram Lyrics
नमामि ते देव पदारविन्दं प्रपन्नतापोपशमातपत्रम् ।
यन्मूलहेतौ यतयोऽञ्जसोरुसंसारदुःखं बहिरुत्क्षिपन्ति ॥१॥
धातर्यदस्मिन् भव ईश जीवास्तापत्रयेणोपहता न शर्म ।
आत्माल्लभन्ते भगवंस्तवाङ्घ्रिच्छायां सविद्यामरमाश्रयेम ॥२॥
मार्गन्ति यत्ते मुखपद्मनीडैः छन्दःसुपर्णैरृषयो विविक्ते ।
यस्याघमर्षोदसरिद्वरायाः पदे पदं तीर्थपदं प्रपन्नाः ॥३॥
यच्छ्रद्धया श्रुतवत्या च भक्त्या संसृज्यमाने हृदये विधाय ।
ज्ञानेन वैराग्यबलेन धीराः व्रजेम तत्तेङ्घ्रिसरोजपीठम् ॥४॥
विश्वस्य जन्मस्थितिसंयमार्थे कृतावतारस्य पदांबुजं ते ।
व्रजेम सर्वे शरणं यदीश! स्मृतं प्रयच्छत्यभयं स्वपुंसाम् ॥५॥
यस्य न बन्धेऽसति देहगेहे ममाहमित्यूढदुराग्रहाणाम् ।
पुंसां सुदूरं वसतो विपर्यां भजेम तत्ते भगवन् पदाब्जम् ॥६॥
पानेन ते देव कथासुधायाः प्रवृद्धभक्त्या विशदाशया ये ।
वैराग्यसारं प्रतिलभ्य बोधं यथाञ्जसान्वीयुरकुण्ठधिष्ण्यम् ॥७॥
तथापरे चात्मसमाधियोगबलेन जित्वा प्रकृतिं बलिष्ठां ।
त्वमेव धीराः पुरुषा विशन्ति तेषां श्रमः स्यान्न तु सेवया ते ॥८॥
तत्ते वयं लोकसिसृक्षयाद्य त्वयानुसृष्टास्त्रिभिरात्मभिः स्म ।
सर्वे वियुक्ताः स्वविहारतन्त्रं न शक्नुमस्तत् प्रतिहर्तवे ते ॥९॥
यावद्बलिं तेज हराम काले यथा वयञ्चान्नमदाम यत्र ।
तथोभयेषांत इमे हि लोका बलिं हरन्तोन्नमदन्त्यनूहाः ॥१०॥
त्वं नः सुराणामसि सान्वयानां कूटस्थ आद्यः पुरुषः पुराणः ।
त्वं देवशक्त्यां गुणकर्मयोनौ रेतस्त्वजायां कविरादधेऽजः ॥११॥
ततो वयं सत्प्रमुखा यदर्थे बभूविमात्मन् करवाम किं ते ।
त्वं नः स्वचक्षुः परिदेहि शक्त्या देवक्रियार्थे यदनुग्रहाणाम् ॥१२॥
Kurma Stotra Benefits
कूर्म मंत्र का जप हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंत्र भगवान विष्णु के कूर्म (कछुआ) अवतार को समर्पित है, और इसके कई लाभ बताए गए हैं। कूर्म मंत्र के जाप से प्राप्त होने वाले लाभों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- धैर्य और स्थिरता में वृद्धि: कूर्म भगवान के अवतार का प्रतीक है, जो धैर्य और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति में धैर्य, सहनशीलता और मानसिक स्थिरता आती है, जो कठिन समय में आत्मविश्वास बढ़ाती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: कूर्म मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और अन्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यह व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: कूर्म मंत्र का नियमित जाप करने से आध्यात्मिक विकास होता है। यह मंत्र व्यक्ति के मन को शुद्ध करता है और उसे ध्यान और साधना में गहराई से मदद करता है।
- संकटों से मुक्ति: कूर्म भगवान ने समुद्र मंथन के समय पर्वत को स्थिर रखने के लिए कछुआ अवतार लिया था। इसी प्रकार, कूर्म मंत्र का जाप जीवन के संकटों और समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: माना जाता है कि कूर्म मंत्र का जाप शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इससे मानसिक शांति और तनाव में कमी आती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- धन और समृद्धि का वर्धन: कूर्म भगवान के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है। यह मंत्र लक्ष्मी प्राप्ति में भी सहायक माना जाता है।
- दूसरे ग्रहों के दुष्प्रभाव से रक्षा: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कूर्म मंत्र का जाप शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचाव में मदद करता है। इससे कुंडली के दोषों को दूर करने में सहायता मिलती है।