27.2 C
Gujarat
बुधवार, नवम्बर 5, 2025

ऊधौ सो मनमोहन रूप Udhau so Manamohan Roop

Post Date:

ऊधौ सो मनमोहन रूप

Udhau so Manamohan Roop

ऊधौ ! सो मनमोहन रूप । जो हम निरख्यो सदा नैन भरि, सुंदर अतुल, अनूप ।।

सिव-बिरंचि, सनकादिक, नारद, ब्रह्म, बिदित, जगजाने । सुरगुरु सुरपति जेहि देखन हित रहत सदा ललचाने ।।

बेद-बुद्धि कुंठित भइ बरनत, ‘नेति-नेति’ कहि गायो । सारद सेस सहसमुख निसिदिन गावत, पार न पायो ।।

जेहि लगि ध्यान-निरत जोगी मुनि, नित जप-तप व्रत-धारी तदपि सो स्याम त्रिभंग मुरलिधर सकत न नैन निहारी ।।

सोइ प्रभु दधि-माखन हित नित प्रति आँगन हमरे आये । तनिक-तनिक दधि-नवनी दै दै हम बहु नाच नचाये ।।

ऊधौ ! सोइ माधुरी मूरति अंतर दृगन समाई । ग्यान-बिराग तिहारो बोरौ कालिंदी महँ धाई ।।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!