श्री सूर्याष्टकम(Suryashtakam) एक प्राचीन स्तोत्र है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से संस्कृत भाषा में रचा गया है और इसमें सूर्यदेव के महत्त्व, उनकी कृपा और उनके दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। सूर्य को वैदिक परंपरा में आदित्य, भास्कर, मार्तंड, दिवाकर और रवि जैसे अनेक नामों से पुकारा गया है। वे न केवल सृष्टि को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि आयु, स्वास्थ्य, शक्ति और सफलता के प्रतीक भी माने जाते हैं।
सूर्याष्टकम् Suryashtakam
नीचे श्री सूर्याष्टकम के श्लोक दिए गए हैं:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मभास्कर
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते
सप्ताश्व रध मारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजं
श्वेत पद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
लोहितं रधमारूढं सर्व लोक पितामहं
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्म विष्णु महेश्वरं
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
बृंहितं तेजसां पुञ्जं [तेजपूज्यं च] वायु माकाश मेव च
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
बन्धूक पुष्पसङ्काशं हार कुण्डल भूषितं
एक चक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
विश्वेशं विश्व कर्तारं महातेजः प्रदीपनं
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
तं सूर्यं जगतां नाधं ज्नान विज्नान मोक्षदं
महा पाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहं
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनं
अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान् भवेत्
आमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्धिने
सप्त जन्म भवेद्रोगी जन्म कर्म दरिद्रता
स्त्री तैल मधु मांसानि हस्त्यजेत्तु रवेर्धिने
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्यलोकं स गच्छति
इति श्री शिवप्रोक्तं श्री सूर्याष्टकं सम्पूर्णं
श्री सूर्याष्टकम की रचना और महत्व Suryashtakam Importance
श्री सूर्याष्टकम आठ श्लोकों का संग्रह है। संस्कृत में ‘अष्टकम’ का अर्थ होता है, आठ पदों का समूह। यह स्तोत्र सूर्यदेव की उपासना के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है। इसे पढ़ने और श्रद्धापूर्वक स्मरण करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
यह स्तोत्र इस बात को भी उजागर करता है कि सूर्यदेव न केवल सृष्टि के पोषणकर्ता हैं, बल्कि धर्म, ज्ञान और चेतना के प्रदाता भी हैं। वे अज्ञानता का नाश करते हैं और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।
श्री सूर्याष्टकम का लाभ Suryashtakam Benifits
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
- स्वास्थ्य में सुधार: सूर्यदेव को स्वास्थ्य का अधिष्ठाता माना गया है। इसलिए इसका पाठ रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: श्री सूर्याष्टकम का नियमित पाठ जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करता है।
- कार्य में सफलता: यह स्तोत्र व्यक्ति के कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और उसे सफलता प्रदान करता है।
पाठ का समय और विधि
- श्री सूर्याष्टकम का पाठ प्रातःकाल सूर्य उदय के समय करना अधिक प्रभावी माना गया है।
- पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
- लाल फूल, अक्षत और गुड़ अर्पित करते हुए श्री सूर्याष्टकम का पाठ करें।
सूर्याष्टकम पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर
सूर्याष्टकम का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
सूर्याष्टकम का पाठ स्वास्थ्य, ऊर्जा, और आत्मबल में वृद्धि के लिए किया जाता है। यह सूर्य देव की कृपा पाने का एक प्रभावशाली स्तोत्र है।
सूर्याष्टकम का पाठ किस समय करना सबसे उत्तम होता है?
A2: सूर्याष्टकम का पाठ प्रातःकाल सूर्य उदय के समय या संध्या के समय सूर्यास्त के पहले करना शुभ माना जाता है।
क्या सूर्याष्टकम का पाठ किसी विशेष स्थिति में करना चाहिए?
सूर्याष्टकम का पाठ करते समय पवित्र स्थान पर बैठें, साफ वस्त्र पहनें, और मन को शांत रखते हुए सूर्य देव का ध्यान करें।
सूर्याष्टकम का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
सूर्याष्टकम का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, और बाधाओं का निवारण होता है।
सूर्याष्टकम पाठ में किस प्रकार की सावधानियां रखनी चाहिए?
पाठ के दौरान पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें, अशुद्ध या शोरगुल वाले स्थान पर पाठ न करें, और इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।