29.4 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

सुमती शतकम् సుమతీ శతకం

Post Date:

Sumathi Satakam In Hindi

सुमती शतकम्(Sumathi Satakam) तेलुगु साहित्य का एक प्रमुख और लोकप्रिय नैतिक ग्रंथ है। यह संस्कृत व तेलुगु के संयोग से बने उन ग्रंथों में से एक है, जिन्हें समाज में नैतिकता, आदर्श और सही आचरण के लिए प्रेरणा देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे 12वीं या 13वीं शताब्दी में रचित माना जाता है। सुमती शतकम् का मुख्य उद्देश्य जीवन के नैतिक मूल्यों और व्यवहारिक ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत करना है।

रचयिता का परिचय

सुमती शतकम् के रचयिता भद्देन कवि (भद्रराजू) हैं। भद्देन कवि तेलुगु साहित्य के प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं और उन्हें “शतक काव्य” की परंपरा का प्रारंभ करने वालों में गिना जाता है। उनके द्वारा रचित यह शतक तेलुगु भाषी लोगों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। सुमती शतकम् में 100 दोहों (श्लोकों) का संग्रह है। प्रत्येक श्लोक में नैतिकता, सदाचार और जीवन के व्यवहारिक अनुभवों को सरल एवं सारगर्भित शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। यह शतक काव्य तेलुगु भाषा के “मकरंद” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसमें समाज और व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन के रूप में गहन ज्ञान समाहित है।

साहित्यिक महत्व

सुमती शतकम् का साहित्यिक महत्व अत्यंत उच्च है। यह तेलुगु साहित्य का पहला नैतिक ग्रंथ है, जिसे सभी वर्गों ने स्वीकार किया। इसकी सरल भाषा और गहरी विचारधारा ने इसे जन-जन तक पहुंचाया। आज भी यह नैतिकता और समाज में सदाचार को बढ़ावा देने के लिए पढ़ाया और प्रचारित किया जाता है।

सुमती शतकम् Sumathi Satakam సుమతీ శతకం

श्री रामुनि दयचेतनु
नारूढिग सकल जनुलु नौरा यनगा
धारालमैन नीतुलु
नोरूरग जवुलु पुट्ट नुडिवॆद सुमती ॥ १ ॥

अक्करकु रानि चुट्टमु,
म्रॊक्किन वरमीनि वेल्पु, मॊहरमुन दा
नॆक्किन बारनि गुर्रमु
ग्रक्कुन विडवङ्गवलयु गदरा सुमती ॥ २ ॥

अडिगिन जीतम्बिय्यनि
मिडिमेलपु दॊरनु गॊल्चि मिडुकुट कण्टॆन्
वडिगल यॆद्दुल गट्टुक
मडि दुन्नुकु ब्रतुक वच्चु महिलो सुमती ॥ ३ ॥

अडियास कॊलुवु गॊलुवकु,
गुडि मणियमु सेयबोकु, कुजनुल तोडन्
विडुवक कूरिमि सेयकु,
मडविनि दोडरकॊण्टि नरुगकु सुमती ॥ ४ ॥

अधरमु गदलियु, गदलक
मधुरमुलगु भाष लुडुगि मौन व्रतुडौ
अधिकार रोग पूरित
बधिरान्धक शवमु जूड बापमु सुमती ॥ ५ ॥

अप्पु कॊनि चेयु विभवमु,
मुप्पुन बृआयम्पुटालु, मूर्खुनि तपमुन्,
दप्परयनि नृपु राज्यमु
दॆप्परमै मीद गीडु दॆच्चुर सुमती ॥ ६ ॥

अप्पिच्चुवाडु, वैद्युडु
नॆप्पुडु नॆडतॆगक पारु नेरुनु, द्विजुडुन्
जॊप्पडिन यूर नुण्डुमु
चॊप्पडकुन्नट्टि यूरु चॊरकुमु सुमती ॥ ७ ॥

अल्लुनि मञ्चितनम्बु,
गॊल्लनि साहित्य विद्य, कोमलि निजमुन्,
बॊल्लुन दञ्चिन बिय्यमु,
दॆल्लनि काकुलुनु लेवु तॆलियुमु सुमती ॥ ८ ॥

आकॊन्न कूडॆ यमृतमु,
ताकॊञ्चक निच्चुवाङ्डॆ दात धरित्रिन्,
सोकोर्चुवाडॆ मनुजुडु,
तेकुव गलवाडॆ वंश तिलकुडु सुमती ॥ ९ ॥

आकलि युडुगनि कडुपुनु,
वेकटियगु लञ्ज पडुपु विडुवनि ब्रतुकुन्,
ब्राकॊन्न नूति युदकमु,
मेकल पाडियुनु रोत मेदिनि सुमती ॥ १० ॥

इच्चुनदे विद्य, रणमुन
जॊच्चुनदे मगतनम्बु, सुकवीश्वरुलुन्
मॆच्चुनदे नेर्चु, वदुकु
वच्चुनदे कीडु सुम्मु वसुधनु सुमती ॥ ११ ॥

इम्मुग जदुवनि नोरुनु,
नम्मा यनि बिलिचि यन्न मडुगनि नोरुन्,
दम्मुल बिलुवनि नोरुनु
गुम्मरि मनु द्रव्विनट्टि गुण्टर सुमती ॥ १२ ॥

उडुमुण्डदॆ नूरेण्ड्लुनु,
बडियुण्डदॆ पेर्मि बामु पदिनूरेण्ड्लुन्,
मडुवुन गॊक्कॆर युण्डदॆ,
कडु निल बुरुषार्थ परुडु गावलॆ सुमती ॥ १३ ॥

उत्तमगुणमुलु नीचुन
कॆत्तॆऱगुन गलुग नेर्चु; नॆय्यॆडलं दा
नॆत्तिच्चि करगि पोसिन
नित्तडि बङ्गारमगुनॆ यिललो सुमती? ॥ १४ ॥

उदकमु द्रावॆडु हयमुनु,
मदमुन नुप्पॊङ्गुचुण्डु मत्तेभम्बुन्,
मॊदवु कड नुन्न वृषभमु,
जदुवनि यानीचु गडकु जनकुर सुमती ॥ १५ ॥

उपकारिकि नुपकारमु
विपरीतमु गादु सेय विवरिम्पङ्गा;
नपकारिकि नुपकारमु
नॆपमॆन्नक सेयुवाडु नेर्परि सुमती ॥ १६ ॥

उपमिम्प मॊदलु तिय्यन
कपटं बॆडनॆडनु जॆऱकु कै वडिने पो
नॆपमुलु वॆदकुनु गडपट
गपटपु दुर्जाति पॊन्दु गदरा सुमती ॥ १७ ॥

ऎप्पटि कॆय्यदि प्रस्तुत
मप्पटिका माटलाडि, यन्युल मनमुल्
नॊप्पिञ्चक, ता नॊव्वक,
तप्पिञ्चुक तिरुगुवाडु धन्युडु सुमती ॥ १८ ॥

ऎप्पुडु दप्पुलु वॆदकॆडु
नप्पुरुषुनि गॊल्वगूड ददि यॆट्लन्नन्
सर्पम्बु पडग नीडनु
गप्प वसिञ्चिन विधम्बु गदरा सुमती ॥ १९ ॥

ऎप्पुडु सम्पद कलिगिन
नप्पुडु बन्धुवुलु वत्तु रदि यॆट्लन्नन्
तॆप्पलुग जॆऱुवु निण्डिन
गप्पलु पदिवेलु चेरु गदरा सुमती ॥ २० ॥

एऱकुमी कसुगायलु,
दूऱकुमी बन्धुजनुल दोषमु सुम्मी,
पाऱकुमी रणमन्दुन,
मीऱकुमी गुरुवु नाज्ञ मेदिनि सुमती ॥ २१ ॥

ऒक यूरिकि नॊक करणमु,
नॊक तीर्परियैन गाक, नॊगि दऱुचैनन्,
गकविकलु गाक युण्डुनॆ
सकलम्बुनु गॊट्टुवडक सहजमु सुमती ॥ २२ ॥

ऒरु नात्म दलचु सति विडु,
मऱुमाटलु पलुकु सतुल मन्निम्पकुमी,
वॆऱ पॆऱुगनि भटुनेलकु,
तऱचुग सति गवय बोकु, तगदुर सुमती ॥ २३ ॥

ऒल्लनि सति नॊल्लनि पति,
नॊल्लनि चॆलिकानि विडुव नॊल्लनि वाडे
गॊल्लण्डु, काक धरलो
गॊल्लण्डुनु गॊल्लडौनॆ गुणमुन सुमती ॥ २४ ॥

ओडल बण्ड्लुनु वच्चुनु,
ओडलु नाबण्ड्लमीद नॊप्पुग वच्चुन्,
ओडलु बण्ड्लुनु वलने
वाडम्बडु गलिमि लेमि वसुधनु सुमती ॥ २५ ॥

कडु बलवन्तुडैननु
बुडमिनि ब्रायम्पुटालि बुट्टिन यिण्टन्
दडवुण्ड निच्चॆनेनियु
बडुपुग नङ्गडिकि दानॆ बम्पुट सुमती ॥ २६ ॥

कनकपु सिंहासनमुन
शुनकमु गूर्चुण्डबॆट्टि शुभ लग्नमुनं
दॊनरग बट्टमु गट्टिन
वॆनुकटि गुणमेल मानु विनरा सुमती ॥ २७ ॥

कप्पकु नॊरगालैननु,
सर्पमुनकु रोगमैन, सति तुलुवैनन्,
मुप्पुन दरिद्रुडैननु,
तप्पदु मऱि दुःख मगुट तथ्यमु सुमती ॥ २८ ॥

कमलमुलु नीट बासिन
कमलाप्तुनि रश्मि सोकि कमलिन भङ्गिन्
तम तम नॆलवुलु दप्पिन
तम मित्रुलु शत्रुलौट तथ्यमु सुमती ॥ २९ ॥

करणमु गरणमु नम्मिन
मरणान्तक मौनु गानि मनलेडु सुमी,
करणमु दन सरि करणमु
मऱि नम्मक मर्म मीक मनवलॆ सुमती ॥ ३० ॥

करणमुल ननुसरिम्पक
विरसम्बुन दिन्न तिण्डि विकटिञ्चु जुमी
यिरुसुन कन्दॆन बॆट्टक
परमेश्वरु बण्डि यैन बारदु सुमती ॥ ३१ ॥

करणमु सादैयुन्ननु,
गरि मद मुडिगिननु, बामु गऱवक युन्नन्,
धर देलु मीटकुन्ननु,
गर मरुदुग लॆक्क गॊनरु गदरा सुमती ॥ ३२ ॥

कसुगाय गऱचि चूचिन
मसलक पस यॊगरु राक मधुरम्बगुना,
पस गलुगु युवतुलुण्डग
पसि बालल बॊन्दुवाडु पशुवुर सुमती ॥ ३३ ॥

कवि कानि वानि व्रातयु,
नवरस भावमुलु लेनि नातुल वलपुन्,
दविलि चनु पन्दि नेयनि
विविधायुध कौशलम्बु वृधरा सुमती ॥ ३४ ॥

कादु सुमी दुस्सङ्गति,
पोदुसुमी “कीर्ति” कान्त पॊन्दिन पिदपन्,
वादु सुमी यप्पिच्चुट,
लेदु सुमी सतुल वलपु लेशमु सुमती ॥ ३५ ॥

कामुकुडु दनिसि विडिचिन
कोमलि बरविटुडु गवय गोरुट यॆल्लन्
ब्रेममुन जॆऱकु पिप्पिकि
चीमलु वॆस मूगिनट्लु सिद्धमु सुमती ॥ ३६ ॥

कारणमु लेनि नगवुनु,
बेरणमु लेनि लेम, पृथिवी स्थलिलो
बूरणमु लेनि बूरॆयु,
वीरणमु लेनि पॆण्ड्लि वृधरा सुमती ॥ ३७ ॥

कुलकान्त तोड नॆप्पुडु
गलहिम्पकु, वट्टि तप्पु घटियिम्पकुमी,
कलकण्ठि कण्ट कन्नी
रॊलिकिन सिरि यिण्ट नुण्ड नॊल्लदु सुमती ॥ ३८ ॥

कूरिमि गल दिनमुललो
नेरमु लॆन्नडुनु गलुग नेरवु मऱि या
कूरिमि विरसम्बैननु
नेरमुले तोचु चुण्डु निक्कमु सुमती ॥ ३९ ॥

कॊञ्चॆपु नरु सङ्गतिचे
नञ्चितमुग गीडु वच्चु नदि यॆट्लन्नन्
गिञ्चित्तु नल्लि कुट्टिन
मञ्चमुनकु जेटु वच्चु महिलो सुमती ॥ ४० ॥

कॊक्कोकमॆल्ल जदिविन,
चक्कनिवाडैन, राज चन्द्रुण्डैनन्,
मिक्किलि रॊक्कमु लिय्यक,
चिक्कदुरा वारकान्त सिद्धमु सुमती ॥ ४१ ॥

कॊऱ गानि कॊडुकु बुट्टिन
कॊऱ गामियॆ कादु, तण्ड्रि गुणमुल जॆऱचुन्
चॆऱकु तुद वॆन्नु बुट्टिन
जॆऱकुन तीपॆल्ल जॆऱचु सिद्धमु सुमती ॥ ४२ ॥

कोमलि विश्वासम्बुनु,
बामुलतो जॆलिमि, यन्य भामल वलपुन्,
वेमुल तिय्यदनम्बुनु,
भूमीशुल नम्मिकलुनु बॊङ्कुर सुमती ॥ ४३ ॥

गडन गल मगनि जूचिन
नडुगडुगुन मडुगु लिडुदु रतिवलु दमलो,
गड नुडुगु मगनि जूचिन
नड पीनुगु वच्चॆ नञ्चु नगुदुरु सुमती ॥ ४४ ॥

चिन्तिम्पकु कडचिन पनि,
किन्तुलु वलतुरनि नम्म कॆन्तयु मदिलो,
नन्तःपुर कान्तलतो
मन्तनमुल मानु मिदियॆ मतमुर सुमती ॥ ४५ ॥

चीमलु पॆट्टिन पुट्टलु
पामुल किरवैनयट्लु पामरुडु दगन्
हेमम्बु गूड बॆट्टिन
भूमीशुल पाल जेरु भुविलो सुमती ॥ ४६ ॥

चुट्टमुलु गानि वारलु
चुट्टमुलमु नीकटञ्चु सॊम्पु दलिर्पन्
नॆट्टुकॊनि याश्रयिन्तुरु
गट्टिग द्रव्यम्बु गलुग गदरा सुमती ॥ ४७ ॥

चेतुलकु दॊडवु दानमु,
भूतलनाथुलकु दॊडवु बॊङ्कमि धरलो,
नीतियॆ तॊडवॆव्वारिकि,
नातिकि मानम्बु तॊडवु नयमुग सुमती ॥ ४८ ॥

तड वोर्वक, यॊड लोर्वक,
कडु वेगं बडिचि पडिन गार्यं बगुने,
तड वोर्चिन, नॊड लोर्चिन,
जॆडिपोयिन कार्यमॆल्ल जेकुऱु सुमती ॥ ४९ ॥

तन कोपमॆ तन शत्रुवु,
तन शान्तमॆ तनकु रक्ष, दय चुट्टम्बौ
तन सन्तोषमॆ स्वर्गमु,
तन दुःखमॆ नरक मण्ड्रु तथ्यमु सुमती ॥ ५० ॥

तन यूरि तपसि तपमुनु,
तन पुत्रुनि विद्य पॆम्पु, दन सति रूपुन्,
दन पॆरटि चॆट्टु मन्दुनु,
मनसुन वर्णिम्परॆट्टि मनुजुलु सुमती ॥ ५१ ॥

तन कलिमि यिन्द्र भोगमु,
तन लेमियॆ स्वर्गलोक दारिद्र्यम्बुन्,
दन चावु जल प्रलयमु,
तनु वलचिन यदियॆ रम्भ तथ्यमु सुमती ॥ ५२ ॥

तन वारु लेनि चोटनु,
जनमिञ्चुक लेनि चोट, जगडमु चोटन्,
अनुमानमैन चोटनु,
मनुजुनकुनु निलुव दगदु महिलो सुमती ॥ ५३ ॥

तमलमु वेयनि नोरुनु,
विमतुलतो चॆलिमि चेसि वॆतबडु तॆलिविन्,
गमलमुलु लेनि कॊलकुनु,
हिमधामुडु लेनि रात्रि हीनमु सुमती ॥ ५४ ॥

तलनुण्डु विषमु फणिकिनि,
वॆलयङ्गा दोक नुण्डु वृश्चिकमुनकुन्,
तल तोक यनक युण्डुनु
खलुनकु निलुवॆल्ल विषमु गदरा सुमती ॥ ५५ ॥

तलपॊडुगु धनमु पोसिन
वॆलयालिकि निजमु लेदु विवरिम्पङ्गा
दल दडिवि बास जेसिन
वॆलयालिनि नम्मरादु विनरा सुमती ॥ ५६ ॥

तल मासिन, नॊलु मासिन,
वलुवलु मासिननु ब्राण वल्लभुनैनन्
गुलकान्तलैन रोतुरु
तिलकिम्पग भूमिलोन दिरमुग सुमती ॥ ५७ ॥

तानु भुजिम्पनि यर्थमु
मानव पति जेरु गॊन्त मऱि भूगतमौ
गानल नीगलु गूर्चिन
तेनिय यॊरु जेरुनट्लु तिरमुग सुमती ॥ ५८ ॥

दग्गऱ कॊण्डॆमु सॆप्पॆडु
प्रॆग्गड पलुकुलकु राजु प्रियुडै मऱि दा
नॆग्गु ब्रज काचरिञ्चुट
बॊग्गुलकै कल्पतरुवु बॊडुचुट सुमती ॥ ५९ ॥

धनपति सखुडै युण्डिन
नॆनयङ्गा शिवुडु भिक्षमॆत्तग वलसॆन्,
दन वारि कॆन्त गलिगिन
दन भाग्यमॆ तनकु गाक तथ्यमु सुमती ॥ ६० ॥

धीरुलकु जेयु मेलदि
सारम्बगु नारिकेल सलिलमु भङ्गिन्
गौरवमुनु मऱि मीदट
भूरि सुखावहमु नगुनु भुविलो सुमती ॥ ६१ ॥

नडुवकुमी तॆरुवॊक्कट,
गुडुवकुमी शत्रु निण्ट गूरिमि तोडन्,
मुडुवकुमी परधनमुल,
नुडुवकुमी यॊरुल मनसु नॊव्वग सुमती ॥ ६२ ॥

नम्मकु सुङ्करि, जूदरि,
नम्मकु मॊगसाल वानि, नटु वॆलयालिन्,
नम्मकु मङ्गडि वानिनि,
नम्मकु मी वाम हस्तु नवनिनि सुमती ॥ ६३ ॥

नयमुन बालुं द्रावरु,
भयमुननु विषम्मुनैन भक्षिन्तुरुगा,
नयमॆन्त दोषकारियॊ,
भयमे जूपङ्ग वलयु बागुग सुमती ॥ ६४ ॥

नरपतुलु मेऱ दप्पिन,
दिरमॊप्पग विधव यिण्ट दीर्परि यैनन्,
गरणमु वैदिकुडैननु,
मरणान्तक मौनुगानि मानदु सुमती ॥ ६५ ॥

नवरस भावालङ्कृत
कविता गोष्टियुनु, मधुर गानम्बुनु दा
नविवेकि कॆन्त जॆप्पिन
जॆविटिकि शङ्खूदिनट्लु सिद्धमु सुमती ॥ ६६ ॥

नव्वकुमी सभ लोपल,
नव्वकुमी तल्लि, दण्ड्रि, नाथुल तोडन्,
नव्वकुमी परसतितो,
नव्वकुमी विप्रवरुल नयमिदि सुमती ॥ ६७ ॥

नीरे प्राणाधारमु
नोरे रसभरितमैन नुडुवुल कॆल्लन्
नारियॆ नरुलकु रत्नमु
चीरयॆ शृङ्गारमण्ड्रु सिद्धमु सुमती ॥ ६८ ॥

पगवल दॆव्वरि तोडनु,
वगवङ्गा वलदु लेमि वच्चिन पिदपन्,
दॆग नाड वलदु सभलनु
मगुवकु मनसिय्य वलदु महिलो सुमती ॥ ६९ ॥

पतिकडकु, दन्नु गूरिन
सतिकडकुनु, वेल्पु कडकु, सद्गुरु कडकुन्,
सुतुकडकु रित्तचेतुल
मतिमन्तुलु चनरु नीति मार्गमु सुमती ॥ ७० ॥

पनिचेयुनॆडल दासियु,
ननुभवमुन रम्भ, मन्त्रि यालोचनलन्,
दनभुक्ति यॆडल दल्लियु,
नन् दन कुलकान्त युण्डु नगुरा सुमती ॥ ७१ ॥

परनारी सोदरुडै,
परधनमुल कासपडक, परुलकु हितुडै,
परुलु दनु बॊगड नॆगडक,
परु ललिगिन नलुग नतडु परमुडु सुमती ॥ ७२ ॥

परसति कूटमि गोरकु,
परधनमुल कासपडकु, बरुनॆञ्चकुमी,
सरिगानि गोष्टि सेयकु,
सिरिचॆडि चुट्टम्बु कडकु जेरकु सुमती ॥ ७३ ॥

परसतुल गोष्ठि नुण्डिन
पुरुषुडु गाङ्गेयुडैन भुवि निन्द पडुन्,
बरसति सुशीलयैननु
बरुसङ्गति नुन्न निन्द पालगु सुमती ॥ ७४ ॥

परुलकु निष्टमु सॆप्पकु,
पॊरुगिण्ड्लकु बनुलु लेक पोवकु मॆपुडुन्,
बरु गदिसिन सति गवयकु,
मॆऱिगियु बिरुसैन हयमु लॆक्ककु सुमती ॥ ७५ ॥

पर्वमुल सतुल गवयकु,
मुर्वीश्वरु करुण नम्मि युब्बकु मदिलो,
गर्विम्प नालि बॆम्पकु,
निर्वहणमु लेनि चोट निलुवकु सुमती ॥ ७६ ॥

पलु दोमि सेयु विडियमु,
तलगडिगिन नाटि निद्र, तरुणुलयॆडलन्
बॊल यलुक नाटि कूटमि
वॆल यिन्तनि चॆप्परादु विनरा सुमती ॥ ७७ ॥

पाटॆऱुगनि पति कॊलुवुनु,
गूटम्बुन कॆऱुकपडनि कोमलि रतियुन्,
बेटॆत्त जेयु चॆलिमियु,
नेटिकि नॆदुरीदिनट्टु लॆन्नग सुमती ॥ ७८ ॥

पालनु गलसिन जलमुनु
पाल विधम्बुननॆ युण्डु बरिकिम्पङ्गा
पाल चवि जॆऱचु गावुन
पालसुडगु वानि पॊन्दु वलदुर सुमती ॥ ७९ ॥

पालसुनकैन यापद
जालिम्बडि तीर्प दगदु सर्वज्ञुनकुन्
तेलग्नि बडग बट्टिन
मेलॆऱुगुनॆ मीटु गाक मेदिनि सुमती ॥ ८० ॥

पिलुवनि पनुलकु बोवुट,
गलयनि सति गतियु, राजु गाननि कॊलुवुं,
बिलुवनि पेरण्टम्बुनु,
वलुवनि चॆलिमियुनु जेय वलदुर सुमती ॥ ८१ ॥

पुत्रोत्साहमु तण्ड्रिकि
पुत्रुडु जन्मिञ्चिनपुडॆ पुट्टदु, जनुला
पुत्रुनि कनुगॊनि बॊगडग
पुत्रोत्साहम्बु नाडु पॊन्दुर सुमती ॥ ८२ ॥

पुरिकिनि प्राणमु गोमटि,
वरिकिनि प्राणम्बु नीरु वसुमति लोनन्,
गरिकिनि प्राणमु तॊण्डमु,
सिरिकिनि प्राणम्बु मगुव सिद्धमु सुमती ॥ ८३ ॥

पुलि पालु दॆच्चि यिच्चिन,
नलवडगा गुण्डॆ गोसि यऱचे निडिनन्,
दलपॊडुगु धनमु बोसिन,
वॆलयालिकि गूर्मि लेदु विनरा सुमती ॥ ८४ ॥

पॆट्टिन दिनमुल लोपल
नट्टडवुलनैन वच्चु नानार्थमुलुन्,
बॆट्टनि दिनमुल गनकपु
गट्टॆक्किन नेमि लेदु गदरा सुमती ॥ ८५ ॥

पॊरुगुन बगवाडुण्डिन,
निरवॊन्दक व्रातकाडॆ येलिक यैनन्,
धर गापु कॊण्डॆमाडिन,
गरणालकु ब्रदुकु लेदु गदरा सुमती ॥ ८६ ॥

बङ्गारु कुदुव बॆट्टकु,
सङ्गरमुन बाऱिपोकु सरसुडवैते,
नङ्गडि वॆच्चमु वाडकु,
वॆङ्गलितो जॆलिमि वलदु विनरा सुमती ॥ ८७ ॥

बलवन्तुड नाकेमनि
पलुवुरतो निग्रहिञ्चि पलुकुट मेला,
बलवन्त मैन सर्पमु
चलि चीमल चेत जिक्कि चावदॆ सुमती ॥ ८८ ॥

मदिनॊकनि वलचि युण्डग
मदिचॆडि यॊक क्रूर विटुडु मानक तिरुगुन्
बदि चिलुक पिल्लि पट्टिन
जदुवुनॆ यापञ्जरमुन जगतिनि सुमती ॥ ८९ ॥

मण्डल पति समुखम्बुन
मॆण्डैन प्रधानि लेक मॆलगुट यॆल्लन्
गॊण्डन्त मदपु टेनुगु
तॊण्डमु लेकुण्डिनट्लु दोचुर सुमती ॥ ९० ॥

मन्त्रिगलवानि राज्यमु
तन्त्रमु सॆडकुण्ड निलुचु दऱचुग धरलो
मन्त्रि विहीनुनि राज्यमु
जन्त्रपु गीलूडिनट्लु जरुगदु सुमती ॥ ९१ ॥

माटकु ब्राणमु सत्यमु,
कोटकु ब्राणम्बु सुभट कोटि, धरित्रिन्
बोटिकि ब्राणमु मानमु,
चीटिकि ब्राणम्बु व्रालु सिद्धमु सुमती ॥ ९२ ॥

मानधनु डात्मधृति चॆडि
हीनुण्डगु वानि नाश्रयिञ्चुट यॆल्लन्
मानॆडु जलमुल लोपल
नेनुगु मॆयि दाचिनट्टु लॆऱुगुमु सुमती ॥ ९३ ॥

मेलॆञ्चनि मालिन्युनि,
मालनु, मॊगसालॆवानि, मङ्गलि हितुगा
नेलिन नरपति राज्यमु
नेल गलसि पोवुगानि नॆगडदु सुमती ॥ ९४ ॥

रापॊम्मनि पिलुवनि या
भूपालुनि गॊल्व भुक्ति मुक्तुलु गलवे
दीपम्बु लेनि यिण्टनु
जेपुन कील्लाडिनट्लु सिद्धमु सुमती ॥ ९५ ॥

रूपिञ्चि पलिकि बॊङ्ककु,
प्रापगु चुट्टम्बु नॆग्गु पलुककु मदिलो,
गोपिञ्चु राजु गॊल्वकु,
पापपु देशम्बु सॊऱकु पदिलमु सुमती ॥ ९६ ॥

लाविगलवानि कण्टॆनु
भाविम्पग नीतिपरुडु बलवन्तुण्डौ
ग्रानम्बन्त गजम्बुनु
मावटिवाडॆक्किनट्लु महिलो सुमती ॥ ९७ ॥

वऱदैन चेनु दुन्नकु,
कऱवैननु बन्धुजनुल कड केगकुमी,
परुलकु मर्ममु चॆप्पकु,
पिरिकिकि दलवायि तनमु पॆट्टकु सुमती ॥ ९८ ॥

वरिपण्ट लेनि यूरुनु,
दॊर युण्डनि यूरु, तोडु दॊरकनि तॆरुवुन्,
धरनु पति लेनि गृहमुनु
नरयङ्गा रुद्रभूमि यनदगु सुमती ॥ ९९ ॥

विनदगु नॆव्वरु जॆप्पिन
विनिनन्तनॆ वेग पडक विवरिम्प दगुन्
कनि कल्ल निजमु दॆलिसिन
मनुजुडॆ पो नीति परुडु महिलो सुमती ॥ १०० ॥

वीडॆमु सेयनि नोरुनु,
जेडॆल यधरामृतम्बु सेयनि नोरुन्,
पाडङ्गरानि नोरुनु
बूडिद किरवैन पाडु बॊन्दर सुमती ॥ १०१ ॥

वॆलयालि वलन गूरिमि
गलगदु, मऱि गलिगॆनेनि कडतेऱदुगा,
बलुवुरु नडचॆडु तॆरुवुन
मॊलवदु पुवु, मॊलिचॆनेनि पॊदलदु सुमती ॥ १०२ ॥

वॆलयालु चेयु बासलु,
वॆलयग मॊगसाल बॊन्दु वॆलमल चॆलिमिन्,
गललोन गन्न कलिमियु
विलसितमुग नम्मरादु विनरा सुमती ॥ १०३ ॥

वेसरपु जाति गानी,
वीसमु दा जेयनट्टि वीरिडि गानी,
दासि कॊडुकैन गानी,
कासुलु गल वाडॆ राजु गदरा सुमती ॥ १०४ ॥

शुभमुल पॊन्दनि चदुवुनु,
नभिनयमुग रागरसमु नन्दनि पाटल्,
गुभ गुभलु लेनि कूटमि,
सभ मॆच्चनि माटलॆल्ल जप्पन सुमती ॥ १०५ ॥

सरसमु विरसमु कॊऱके,
परिपूर्ण सुखम्बु लधिक बाधल कॊऱके,
पॆरुगुट विरुगुट कॊऱके,
धर तग्गुट हॆच्चु कॊऱकॆ तथ्यमु सुमती ॥ १०६ ॥

सिरि ता वच्चिन वच्चुनु
सललितमुग नारिकेल सलिलमु भङ्गिन्,
सिरि ता बोयिन बोवुनु
करि म्रिङ्गिन वॆलग पण्डु करणिनि सुमती ॥ १०७ ॥

स्त्रील यॆड वादुलाडकु,
बालुरतो जॆलिमिचेसि भाषिम्पकुमी,
मेलैन गुणमु विडुवकु,
मेलिन पति निन्द सेय कॆन्नडु सुमती ॥ १०८ ॥


సుమతీ శతకం

శ్రీ రాముని దయచేతను
నారూఢిగ సకల జనులు నౌరా యనగా
ధారాళమైన నీతులు
నోరూరగ జవులు పుట్ట నుడివెద సుమతీ ॥ 1 ॥

అక్కరకు రాని చుట్టము,
మ్రొక్కిన వరమీని వేల్పు, మొహరమున దా
నెక్కిన బారని గుర్రము
గ్రక్కున విడవంగవలయు గదరా సుమతీ ॥ 2 ॥

అడిగిన జీతంబియ్యని
మిడిమేలపు దొరను గొల్చి మిడుకుట కంటెన్
వడిగల యెద్దుల గట్టుక
మడి దున్నుకు బ్రతుక వచ్చు మహిలో సుమతీ ॥ 3 ॥

అడియాస కొలువు గొలువకు,
గుడి మణియము సేయబోకు, కుజనుల తోడన్
విడువక కూరిమి సేయకు,
మడవిని దోడరకొంటి నరుగకు సుమతీ ॥ 4 ॥

అధరము గదలియు, గదలక
మధురములగు భాష లుడుగి మౌన వ్రతుడౌ
అధికార రోగ పూరిత
బధిరాంధక శవము జూడ బాపము సుమతీ ॥ 5 ॥

అప్పు కొని చేయు విభవము,
ముప్పున బృఆయంపుటాలు, మూర్ఖుని తపమున్,
దప్పరయని నృపు రాజ్యము
దెప్పరమై మీద గీడు దెచ్చుర సుమతీ ॥ 6 ॥

అప్పిచ్చువాడు, వైద్యుడు
నెప్పుడు నెడతెగక పారు నేరును, ద్విజుడున్
జొప్పడిన యూర నుండుము
చొప్పడకున్నట్టి యూరు చొరకుము సుమతీ ॥ 7 ॥

అల్లుని మంచితనంబు,
గొల్లని సాహిత్య విద్య, కోమలి నిజమున్,
బొల్లున దంచిన బియ్యము,
దెల్లని కాకులును లేవు తెలియుము సుమతీ ॥ 8 ॥

ఆకొన్న కూడె యమృతము,
తాకొంచక నిచ్చువా~ండె దాత ధరిత్రిన్,
సోకోర్చువాడె మనుజుడు,
తేకువ గలవాడె వంశ తిలకుడు సుమతీ ॥ 9 ॥

ఆకలి యుడుగని కడుపును,
వేకటియగు లంజ పడుపు విడువని బ్రతుకున్,
బ్రాకొన్న నూతి యుదకము,
మేకల పాడియును రోత మేదిని సుమతీ ॥ 10 ॥

ఇచ్చునదే విద్య, రణమున
జొచ్చునదే మగతనంబు, సుకవీశ్వరులున్
మెచ్చునదే నేర్చు, వదుకు
వచ్చునదే కీడు సుమ్ము వసుధను సుమతీ ॥ 11 ॥

ఇమ్ముగ జదువని నోరును,
నమ్మా యని బిలిచి యన్న మడుగని నోరున్,
దమ్ముల బిలువని నోరును
గుమ్మరి మను ద్రవ్వినట్టి గుంటర సుమతీ ॥ 12 ॥

ఉడుముండదె నూరేండ్లును,
బడియుండదె పేర్మి బాము పదినూరేండ్లున్,
మడువున గొక్కెర యుండదె,
కడు నిల బురుషార్థ పరుడు గావలె సుమతీ ॥ 13 ॥

ఉత్తమగుణములు నీచున
కెత్తెఱగున గలుగ నేర్చు; నెయ్యెడలం దా
నెత్తిచ్చి కరగి పోసిన
నిత్తడి బంగారమగునె యిలలో సుమతీ? ॥ 14 ॥

ఉదకము ద్రావెడు హయమును,
మదమున నుప్పొంగుచుండు మత్తేభంబున్,
మొదవు కడ నున్న వృషభము,
జదువని యానీచు గడకు జనకుర సుమతీ ॥ 15 ॥

ఉపకారికి నుపకారము
విపరీతము గాదు సేయ వివరింపంగా;
నపకారికి నుపకారము
నెపమెన్నక సేయువాడు నేర్పరి సుమతీ ॥ 16 ॥

ఉపమింప మొదలు తియ్యన
కపటం బెడనెడను జెఱకు కై వడినే పో
నెపములు వెదకును గడపట
గపటపు దుర్జాతి పొందు గదరా సుమతీ ॥ 17 ॥

ఎప్పటి కెయ్యది ప్రస్తుత
మప్పటికా మాటలాడి, యన్యుల మనముల్
నొప్పించక, తా నొవ్వక,
తప్పించుక తిరుగువాడు ధన్యుడు సుమతీ ॥ 18 ॥

ఎప్పుడు దప్పులు వెదకెడు
నప్పురుషుని గొల్వగూడ దది యెట్లన్నన్
సర్పంబు పడగ నీడను
గప్ప వసించిన విధంబు గదరా సుమతీ ॥ 19 ॥

ఎప్పుడు సంపద కలిగిన
నప్పుడు బంధువులు వత్తు రది యెట్లన్నన్
తెప్పలుగ జెఱువు నిండిన
గప్పలు పదివేలు చేరు గదరా సుమతీ ॥ 20 ॥

ఏఱకుమీ కసుగాయలు,
దూఱకుమీ బంధుజనుల దోషము సుమ్మీ,
పాఱకుమీ రణమందున,
మీఱకుమీ గురువు నాజ్ఞ మేదిని సుమతీ ॥ 21 ॥

ఒక యూరికి నొక కరణము,
నొక తీర్పరియైన గాక, నొగి దఱుచైనన్,
గకవికలు గాక యుండునె
సకలంబును గొట్టువడక సహజము సుమతీ ॥ 22 ॥

ఒరు నాత్మ దలచు సతి విడు,
మఱుమాటలు పలుకు సతుల మన్నింపకుమీ,
వెఱ పెఱుగని భటునేలకు,
తఱచుగ సతి గవయ బోకు, తగదుర సుమతీ ॥ 23 ॥

ఒల్లని సతి నొల్లని పతి,
నొల్లని చెలికాని విడువ నొల్లని వాడే
గొల్లండు, కాక ధరలో
గొల్లండును గొల్లడౌనె గుణమున సుమతీ ॥ 24 ॥

ఓడల బండ్లును వచ్చును,
ఓడలు నాబండ్లమీద నొప్పుగ వచ్చున్,
ఓడలు బండ్లును వలనే
వాడంబడు గలిమి లేమి వసుధను సుమతీ ॥ 25 ॥

కడు బలవంతుడైనను
బుడమిని బ్రాయంపుటాలి బుట్టిన యింటన్
దడవుండ నిచ్చెనేనియు
బడుపుగ నంగడికి దానె బంపుట సుమతీ ॥ 26 ॥

కనకపు సింహాసనమున
శునకము గూర్చుండబెట్టి శుభ లగ్నమునం
దొనరగ బట్టము గట్టిన
వెనుకటి గుణమేల మాను వినరా సుమతీ ॥ 27 ॥

కప్పకు నొరగాలైనను,
సర్పమునకు రోగమైన, సతి తులువైనన్,
ముప్పున దరిద్రుడైనను,
తప్పదు మఱి దుఃఖ మగుట తథ్యము సుమతీ ॥ 28 ॥

కమలములు నీట బాసిన
కమలాప్తుని రశ్మి సోకి కమలిన భంగిన్
తమ తమ నెలవులు దప్పిన
తమ మిత్రులు శత్రులౌట తథ్యము సుమతీ ॥ 29 ॥

కరణము గరణము నమ్మిన
మరణాంతక మౌను గాని మనలేడు సుమీ,
కరణము దన సరి కరణము
మఱి నమ్మక మర్మ మీక మనవలె సుమతీ ॥ 30 ॥

కరణముల ననుసరింపక
విరసంబున దిన్న తిండి వికటించు జుమీ
యిరుసున కందెన బెట్టక
పరమేశ్వరు బండి యైన బారదు సుమతీ ॥ 31 ॥

కరణము సాదైయున్నను,
గరి మద ముడిగినను, బాము గఱవక యున్నన్,
ధర దేలు మీటకున్నను,
గర మరుదుగ లెక్క గొనరు గదరా సుమతీ ॥ 32 ॥

కసుగాయ గఱచి చూచిన
మసలక పస యొగరు రాక మధురంబగునా,
పస గలుగు యువతులుండగ
పసి బాలల బొందువాడు పశువుర సుమతీ ॥ 33 ॥

కవి కాని వాని వ్రాతయు,
నవరస భావములు లేని నాతుల వలపున్,
దవిలి చను పంది నేయని
వివిధాయుధ కౌశలంబు వృధరా సుమతీ ॥ 34 ॥

కాదు సుమీ దుస్సంగతి,
పోదుసుమీ “కీర్తి” కాంత పొందిన పిదపన్,
వాదు సుమీ యప్పిచ్చుట,
లేదు సుమీ సతుల వలపు లేశము సుమతీ ॥ 35 ॥

కాముకుడు దనిసి విడిచిన
కోమలి బరవిటుడు గవయ గోరుట యెల్లన్
బ్రేమమున జెఱకు పిప్పికి
చీమలు వెస మూగినట్లు సిద్ధము సుమతీ ॥ 36 ॥

కారణము లేని నగవును,
బేరణము లేని లేమ, పృథివీ స్థలిలో
బూరణము లేని బూరెయు,
వీరణము లేని పెండ్లి వృధరా సుమతీ ॥ 37 ॥

కులకాంత తోడ నెప్పుడు
గలహింపకు, వట్టి తప్పు ఘటియింపకుమీ,
కలకంఠి కంట కన్నీ
రొలికిన సిరి యింట నుండ నొల్లదు సుమతీ ॥ 38 ॥

కూరిమి గల దినములలో
నేరము లెన్నడును గలుగ నేరవు మఱి యా
కూరిమి విరసంబైనను
నేరములే తోచు చుండు నిక్కము సుమతీ ॥ 39 ॥

కొంచెపు నరు సంగతిచే
నంచితముగ గీడు వచ్చు నది యెట్లన్నన్
గించిత్తు నల్లి కుట్టిన
మంచమునకు జేటు వచ్చు మహిలో సుమతీ ॥ 40 ॥

కొక్కోకమెల్ల జదివిన,
చక్కనివాడైన, రాజ చంద్రుండైనన్,
మిక్కిలి రొక్కము లియ్యక,
చిక్కదురా వారకాంత సిద్ధము సుమతీ ॥ 41 ॥

కొఱ గాని కొడుకు బుట్టిన
కొఱ గామియె కాదు, తండ్రి గుణముల జెఱచున్
చెఱకు తుద వెన్ను బుట్టిన
జెఱకున తీపెల్ల జెఱచు సిద్ధము సుమతీ ॥ 42 ॥

కోమలి విశ్వాసంబును,
బాములతో జెలిమి, యన్య భామల వలపున్,
వేముల తియ్యదనంబును,
భూమీశుల నమ్మికలును బొంకుర సుమతీ ॥ 43 ॥

గడన గల మగని జూచిన
నడుగడుగున మడుగు లిడుదు రతివలు దమలో,
గడ నుడుగు మగని జూచిన
నడ పీనుగు వచ్చె నంచు నగుదురు సుమతీ ॥ 44 ॥

చింతింపకు కడచిన పని,
కింతులు వలతురని నమ్మ కెంతయు మదిలో,
నంతఃపుర కాంతలతో
మంతనముల మాను మిదియె మతముర సుమతీ ॥ 45 ॥

చీమలు పెట్టిన పుట్టలు
పాముల కిరవైనయట్లు పామరుడు దగన్
హేమంబు గూడ బెట్టిన
భూమీశుల పాల జేరు భువిలో సుమతీ ॥ 46 ॥

చుట్టములు గాని వారలు
చుట్టములము నీకటంచు సొంపు దలిర్పన్
నెట్టుకొని యాశ్రయింతురు
గట్టిగ ద్రవ్యంబు గలుగ గదరా సుమతీ ॥ 47 ॥

చేతులకు దొడవు దానము,
భూతలనాథులకు దొడవు బొంకమి ధరలో,
నీతియె తొడవెవ్వారికి,
నాతికి మానంబు తొడవు నయముగ సుమతీ ॥ 48 ॥

తడ వోర్వక, యొడ లోర్వక,
కడు వేగం బడిచి పడిన గార్యం బగునే,
తడ వోర్చిన, నొడ లోర్చిన,
జెడిపోయిన కార్యమెల్ల జేకుఱు సుమతీ ॥ 49 ॥

తన కోపమె తన శత్రువు,
తన శాంతమె తనకు రక్ష, దయ చుట్టంబౌ
తన సంతోషమె స్వర్గము,
తన దుఃఖమె నరక మండ్రు తథ్యము సుమతీ ॥ 50 ॥

తన యూరి తపసి తపమును,
తన పుత్రుని విద్య పెంపు, దన సతి రూపున్,
దన పెరటి చెట్టు మందును,
మనసున వర్ణింపరెట్టి మనుజులు సుమతీ ॥ 51 ॥

తన కలిమి యింద్ర భోగము,
తన లేమియె స్వర్గలోక దారిద్ర్యంబున్,
దన చావు జల ప్రళయము,
తను వలచిన యదియె రంభ తథ్యము సుమతీ ॥ 52 ॥

తన వారు లేని చోటను,
జనమించుక లేని చోట, జగడము చోటన్,
అనుమానమైన చోటను,
మనుజునకును నిలువ దగదు మహిలో సుమతీ ॥ 53 ॥

తమలము వేయని నోరును,
విమతులతో చెలిమి చేసి వెతబడు తెలివిన్,
గమలములు లేని కొలకును,
హిమధాముడు లేని రాత్రి హీనము సుమతీ ॥ 54 ॥

తలనుండు విషము ఫణికిని,
వెలయంగా దోక నుండు వృశ్చికమునకున్,
తల తోక యనక యుండును
ఖలునకు నిలువెల్ల విషము గదరా సుమతీ ॥ 55 ॥

తలపొడుగు ధనము పోసిన
వెలయాలికి నిజము లేదు వివరింపంగా
దల దడివి బాస జేసిన
వెలయాలిని నమ్మరాదు వినరా సుమతీ ॥ 56 ॥

తల మాసిన, నొలు మాసిన,
వలువలు మాసినను బ్రాణ వల్లభునైనన్
గులకాంతలైన రోతురు
తిలకింపగ భూమిలోన దిరముగ సుమతీ ॥ 57 ॥

తాను భుజింపని యర్థము
మానవ పతి జేరు గొంత మఱి భూగతమౌ
గానల నీగలు గూర్చిన
తేనియ యొరు జేరునట్లు తిరముగ సుమతీ ॥ 58 ॥

దగ్గఱ కొండెము సెప్పెడు
ప్రెగ్గడ పలుకులకు రాజు ప్రియుడై మఱి దా
నెగ్గు బ్రజ కాచరించుట
బొగ్గులకై కల్పతరువు బొడుచుట సుమతీ ॥ 59 ॥

ధనపతి సఖుడై యుండిన
నెనయంగా శివుడు భిక్షమెత్తగ వలసెన్,
దన వారి కెంత గలిగిన
దన భాగ్యమె తనకు గాక తథ్యము సుమతీ ॥ 60 ॥

ధీరులకు జేయు మేలది
సారంబగు నారికేళ సలిలము భంగిన్
గౌరవమును మఱి మీదట
భూరి సుఖావహము నగును భువిలో సుమతీ ॥ 61 ॥

నడువకుమీ తెరువొక్కట,
గుడువకుమీ శత్రు నింట గూరిమి తోడన్,
ముడువకుమీ పరధనముల,
నుడువకుమీ యొరుల మనసు నొవ్వగ సుమతీ ॥ 62 ॥

నమ్మకు సుంకరి, జూదరి,
నమ్మకు మొగసాల వాని, నటు వెలయాలిన్,
నమ్మకు మంగడి వానిని,
నమ్మకు మీ వామ హస్తు నవనిని సుమతీ ॥ 63 ॥

నయమున బాలుం ద్రావరు,
భయమునను విషమ్మునైన భక్షింతురుగా,
నయమెంత దోషకారియొ,
భయమే జూపంగ వలయు బాగుగ సుమతీ ॥ 64 ॥

నరపతులు మేఱ దప్పిన,
దిరమొప్పగ విధవ యింట దీర్పరి యైనన్,
గరణము వైదికుడైనను,
మరణాంతక మౌనుగాని మానదు సుమతీ ॥ 65 ॥

నవరస భావాలంకృత
కవితా గోష్టియును, మధుర గానంబును దా
నవివేకి కెంత జెప్పిన
జెవిటికి శంఖూదినట్లు సిద్ధము సుమతీ ॥ 66 ॥

నవ్వకుమీ సభ లోపల,
నవ్వకుమీ తల్లి, దండ్రి, నాథుల తోడన్,
నవ్వకుమీ పరసతితో,
నవ్వకుమీ విప్రవరుల నయమిది సుమతీ ॥ 67 ॥

నీరే ప్రాణాధారము
నోరే రసభరితమైన నుడువుల కెల్లన్
నారియె నరులకు రత్నము
చీరయె శృంగారమండ్రు సిద్ధము సుమతీ ॥ 68 ॥

పగవల దెవ్వరి తోడను,
వగవంగా వలదు లేమి వచ్చిన పిదపన్,
దెగ నాడ వలదు సభలను
మగువకు మనసియ్య వలదు మహిలో సుమతీ ॥ 69 ॥

పతికడకు, దన్ను గూరిన
సతికడకును, వేల్పు కడకు, సద్గురు కడకున్,
సుతుకడకు రిత్తచేతుల
మతిమంతులు చనరు నీతి మార్గము సుమతీ ॥ 70 ॥

పనిచేయునెడల దాసియు,
ననుభవమున రంభ, మంత్రి యాలోచనలన్,
దనభుక్తి యెడల దల్లియు,
నన్ దన కులకాంత యుండు నగురా సుమతీ ॥ 71 ॥

పరనారీ సోదరుడై,
పరధనముల కాసపడక, పరులకు హితుడై,
పరులు దను బొగడ నెగడక,
పరు లలిగిన నలుగ నతడు పరముడు సుమతీ ॥ 72 ॥

పరసతి కూటమి గోరకు,
పరధనముల కాసపడకు, బరునెంచకుమీ,
సరిగాని గోష్టి సేయకు,
సిరిచెడి చుట్టంబు కడకు జేరకు సుమతీ ॥ 73 ॥

పరసతుల గోష్ఠి నుండిన
పురుషుడు గాంగేయుడైన భువి నింద పడున్,
బరసతి సుశీలయైనను
బరుసంగతి నున్న నింద పాలగు సుమతీ ॥ 74 ॥

పరులకు నిష్టము సెప్పకు,
పొరుగిండ్లకు బనులు లేక పోవకు మెపుడున్,
బరు గదిసిన సతి గవయకు,
మెఱిగియు బిరుసైన హయము లెక్కకు సుమతీ ॥ 75 ॥

పర్వముల సతుల గవయకు,
ముర్వీశ్వరు కరుణ నమ్మి యుబ్బకు మదిలో,
గర్వింప నాలి బెంపకు,
నిర్వహణము లేని చోట నిలువకు సుమతీ ॥ 76 ॥

పలు దోమి సేయు విడియము,
తలగడిగిన నాటి నిద్ర, తరుణులయెడలన్
బొల యలుక నాటి కూటమి
వెల యింతని చెప్పరాదు వినరా సుమతీ ॥ 77 ॥

పాటెఱుగని పతి కొలువును,
గూటంబున కెఱుకపడని కోమలి రతియున్,
బేటెత్త జేయు చెలిమియు,
నేటికి నెదురీదినట్టు లెన్నగ సుమతీ ॥ 78 ॥

పాలను గలసిన జలమును
పాల విధంబుననె యుండు బరికింపంగా
పాల చవి జెఱచు గావున
పాలసుడగు వాని పొందు వలదుర సుమతీ ॥ 79 ॥

పాలసునకైన యాపద
జాలింబడి తీర్ప దగదు సర్వజ్ఞునకున్
తేలగ్ని బడగ బట్టిన
మేలెఱుగునె మీటు గాక మేదిని సుమతీ ॥ 80 ॥

పిలువని పనులకు బోవుట,
గలయని సతి గతియు, రాజు గానని కొలువుం,
బిలువని పేరంటంబును,
వలువని చెలిమియును జేయ వలదుర సుమతీ ॥ 81 ॥

పుత్రోత్సాహము తండ్రికి
పుత్రుడు జన్మించినపుడె పుట్టదు, జనులా
పుత్రుని కనుగొని బొగడగ
పుత్రోత్సాహంబు నాడు పొందుర సుమతీ ॥ 82 ॥

పురికిని ప్రాణము గోమటి,
వరికిని ప్రాణంబు నీరు వసుమతి లోనన్,
గరికిని ప్రాణము తొండము,
సిరికిని ప్రాణంబు మగువ సిద్ధము సుమతీ ॥ 83 ॥

పులి పాలు దెచ్చి యిచ్చిన,
నలవడగా గుండె గోసి యఱచే నిడినన్,
దలపొడుగు ధనము బోసిన,
వెలయాలికి గూర్మి లేదు వినరా సుమతీ ॥ 84 ॥

పెట్టిన దినముల లోపల
నట్టడవులనైన వచ్చు నానార్థములున్,
బెట్టని దినముల గనకపు
గట్టెక్కిన నేమి లేదు గదరా సుమతీ ॥ 85 ॥

పొరుగున బగవాడుండిన,
నిరవొందక వ్రాతకాడె యేలిక యైనన్,
ధర గాపు కొండెమాడిన,
గరణాలకు బ్రదుకు లేదు గదరా సుమతీ ॥ 86 ॥

బంగారు కుదువ బెట్టకు,
సంగరమున బాఱిపోకు సరసుడవైతే,
నంగడి వెచ్చము వాడకు,
వెంగలితో జెలిమి వలదు వినరా సుమతీ ॥ 87 ॥

బలవంతుడ నాకేమని
పలువురతో నిగ్రహించి పలుకుట మేలా,
బలవంత మైన సర్పము
చలి చీమల చేత జిక్కి చావదె సుమతీ ॥ 88 ॥

మదినొకని వలచి యుండగ
మదిచెడి యొక క్రూర విటుడు మానక తిరుగున్
బది చిలుక పిల్లి పట్టిన
జదువునె యాపంజరమున జగతిని సుమతీ ॥ 89 ॥

మండల పతి సముఖంబున
మెండైన ప్రధాని లేక మెలగుట యెల్లన్
గొండంత మదపు టేనుగు
తొండము లేకుండినట్లు దోచుర సుమతీ ॥ 90 ॥

మంత్రిగలవాని రాజ్యము
తంత్రము సెడకుండ నిలుచు దఱచుగ ధరలో
మంత్రి విహీనుని రాజ్యము
జంత్రపు గీలూడినట్లు జరుగదు సుమతీ ॥ 91 ॥

మాటకు బ్రాణము సత్యము,
కోటకు బ్రాణంబు సుభట కోటి, ధరిత్రిన్
బోటికి బ్రాణము మానము,
చీటికి బ్రాణంబు వ్రాలు సిద్ధము సుమతీ ॥ 92 ॥

మానధను డాత్మధృతి చెడి
హీనుండగు వాని నాశ్రయించుట యెల్లన్
మానెడు జలముల లోపల
నేనుగు మెయి దాచినట్టు లెఱుగుము సుమతీ ॥ 93 ॥

మేలెంచని మాలిన్యుని,
మాలను, మొగసాలెవాని, మంగలి హితుగా
నేలిన నరపతి రాజ్యము
నేల గలసి పోవుగాని నెగడదు సుమతీ ॥ 94 ॥

రాపొమ్మని పిలువని యా
భూపాలుని గొల్వ భుక్తి ముక్తులు గలవే
దీపంబు లేని యింటను
జేపున కీళ్ళాడినట్లు సిద్ధము సుమతీ ॥ 95 ॥

రూపించి పలికి బొంకకు,
ప్రాపగు చుట్టంబు నెగ్గు పలుకకు మదిలో,
గోపించు రాజు గొల్వకు,
పాపపు దేశంబు సొఱకు పదిలము సుమతీ ॥ 96 ॥

లావిగలవాని కంటెను
భావింపగ నీతిపరుడు బలవంతుండౌ
గ్రానంబంత గజంబును
మావటివాడెక్కినట్లు మహిలో సుమతీ ॥ 97 ॥

వఱదైన చేను దున్నకు,
కఱవైనను బంధుజనుల కడ కేగకుమీ,
పరులకు మర్మము చెప్పకు,
పిరికికి దళవాయి తనము పెట్టకు సుమతీ ॥ 98 ॥

వరిపంట లేని యూరును,
దొర యుండని యూరు, తోడు దొరకని తెరువున్,
ధరను పతి లేని గృహమును
నరయంగా రుద్రభూమి యనదగు సుమతీ ॥ 99 ॥

వినదగు నెవ్వరు జెప్పిన
వినినంతనె వేగ పడక వివరింప దగున్
కని కల్ల నిజము దెలిసిన
మనుజుడె పో నీతి పరుడు మహిలో సుమతీ ॥ 100 ॥

వీడెము సేయని నోరును,
జేడెల యధరామృతంబు సేయని నోరున్,
పాడంగరాని నోరును
బూడిద కిరవైన పాడు బొందర సుమతీ ॥ 101 ॥

వెలయాలి వలన గూరిమి
గలగదు, మఱి గలిగెనేని కడతేఱదుగా,
బలువురు నడచెడు తెరువున
మొలవదు పువు, మొలిచెనేని పొదలదు సుమతీ ॥ 102 ॥

వెలయాలు చేయు బాసలు,
వెలయగ మొగసాల బొందు వెలమల చెలిమిన్,
గలలోన గన్న కలిమియు
విలసితముగ నమ్మరాదు వినరా సుమతీ ॥ 103 ॥

వేసరపు జాతి గానీ,
వీసము దా జేయనట్టి వీరిడి గానీ,
దాసి కొడుకైన గానీ,
కాసులు గల వాడె రాజు గదరా సుమతీ ॥ 104 ॥

శుభముల పొందని చదువును,
నభినయముగ రాగరసము నందని పాటల్,
గుభ గుభలు లేని కూటమి,
సభ మెచ్చని మాటలెల్ల జప్పన సుమతీ ॥ 105 ॥

సరసము విరసము కొఱకే,
పరిపూర్ణ సుఖంబు లధిక బాధల కొఱకే,
పెరుగుట విరుగుట కొఱకే,
ధర తగ్గుట హెచ్చు కొఱకె తథ్యము సుమతీ ॥ 106 ॥

సిరి తా వచ్చిన వచ్చును
సలలితముగ నారికేళ సలిలము భంగిన్,
సిరి తా బోయిన బోవును
కరి మ్రింగిన వెలగ పండు కరణిని సుమతీ ॥ 107 ॥

స్త్రీల యెడ వాదులాడకు,
బాలురతో జెలిమిచేసి భాషింపకుమీ,
మేలైన గుణము విడువకు,
మేలిన పతి నింద సేయ కెన్నడు సుమతీ ॥ 108 ॥

सुमती शतकम् तेलुगु साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है। यह एक ऐसा ग्रंथ है, जो नैतिकता, समाज सेवा, और व्यवहारिक जीवन का सही मार्गदर्शन करता है। इसकी सरलता और सटीकता इसे हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी बनाती है। यह ग्रंथ न केवल साहित्यिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!