31.1 C
Gujarat
शनिवार, मई 24, 2025

श्री शिव चालीसा

Post Date:

Shri Shiv Chalisa

श्री शिव चालीसा हिंदू धर्म में भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने वाला एक भक्ति भरा भजन है। यह चालीस छंदों (चालीसा) का एक संग्रह है, जो भगवान शिव के गुणों, उनकी शक्ति, दया और महानता को वर्णन करता है। यह भक्तों के लिए एक प्रार्थना का साधन है, जिसके माध्यम से वे भगवान शिव से आशीर्वाद, शक्ति और शांति की कामना करते हैं। इस लेख में हम श्री शिव चालीसा के महत्व, इसके अर्थ और इसके छंदों की व्याख्या पर प्रकाश डालेंगे।

श्री शिव चालीसा की रचना संस्कृत और अवधी जैसी भाषाओं में प्रचलित भक्ति काव्य की परंपरा में हुई है। इसे सामान्यतः भक्तों द्वारा हिंदी या उसकी बोलचाल में लिखा और गाया जाता है। यह चालीसा भगवान शिव के विभिन्न रूपों जैसे महादेव, शंकर, भोलेनाथ, नीलकंठ आदि का वर्णन करती है। इसके साथ ही यह उनके परिवार – माता पार्वती, गणेश, और कार्तिकेय – का भी उल्लेख करती है।

शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, भय का नाश और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से श्रावण मास, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान किया जाता है।

श्री शिवमहापुराण द्वितीयोऽध्यायः
श्री शिव चालीसा Shiv Chalisa

श्री शिव चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरजापति दीनदयाला,
सदा करत सन्तन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके,
कानन कुण्डल नागफनी के।

अंग गौर शिर गंग बहाये,
मुण्डमाल तन छार लगाये।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे,
छवि को देख नाग मुनि मोहे।

मैना मातु कि हवे दुलारी,
वाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी,
करत सदा शत्रुन क्षयकारी।

नन्दि गणेश सोहैं तहँ कैसे,
सागर मध्य कमल हैं जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ,
या छवि को कहि जात न काऊ।

देवन जबहीं जाय पुकारा,
तबहीं दुःखं प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी,
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ।

तुरत पडानन आप पठायउ,
लव निमेष महँ मारि गिरायऊ।
आप जलंधर असुर संहारा,
सुयश तुम्हार विदित संसारा।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई,
सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी,
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।

दानिन महँ तुम सम कोई नाहिं,
सेवक अस्तुति करत सदाहीं ।
वेद नाम महिमा तव गाई,
अकथ अनादि भेद नहिं पाई।

प्रगटी उदधि मंथन में ज्वाला,
जरे सुरासुर भये विहाला।
कीन्हीं दया तहँ करी सहाई,
नीलकण्ठ तब नाम कहाई।

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा,
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ।
सहस कमल में हो रहे धारी,
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।

एक कमल प्रभु राखे जोई,
कमल नयन पूजन चहँ सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर,
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर।

जै जै जै अनन्त अविनासी,
करत कृपा सबकी घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै,
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो,
यहि अवसर मोहि आन उबारों।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो,
संकट से मोहि आन उबारो।

मातु पिता भ्राता सब कोई,
संकट में पूछत नहीं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी,
आय हरहु मम संकट भारी।

धन निर्धन को देत सदाहीं,
जो कोई जाँचे वो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करों तिहारी,
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ।

शंकर हो संकट के नाशन,
मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगि यति मुनि ध्यान लगावैं,
नारद शारद शीश नवावें।

नमो नमो जय नमो शिवाये,
सुर ब्रह्मादिक पार न पाए।
जो यह पाठ करे मन लाई,
तापर होत हैं शम्भु सहाई ।

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी,
पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्रहीन इच्छा कर कोई,
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।

पंडित त्रयोदशी को लावे,
ध्यान पूर्वक होम करावे ।
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा,
तन नहिं ताके रहे कलेशा।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे,
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे.
अन्त वास शिवपुर में पावे।

कहै अयोध्या आस तुम्हारी,
जानि सकल दुःख हरहु हमारी।

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत् चौंसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

श्री शिव चालीसा का महत्व

  1. आध्यात्मिक शक्ति: शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से मन में शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह भक्तों को नकारात्मकता और भय से मुक्ति दिलाता है।
  2. संकट निवारण: ऐसा माना जाता है कि यह चालीसा संकटों से रक्षा करती है, विशेष रूप से जब कोई व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा हो।
  3. शिव की भक्ति: यह भक्तों को भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम प्रदान करता है।
  4. सार्वभौमिक संदेश: चालीसा में शिव के गुणों के साथ-साथ जीवन के मूल्यों जैसे दया, त्याग और संतोष का भी संदेश छिपा है।

शिव चालीसा का पाठ कैसे करें?

  • समय: सुबह या शाम का समय इसके लिए उत्तम माना जाता है।
  • शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • स्थान: किसी शांत स्थान पर शिवलिंग या शिव की मूर्ति के सामने बैठें।
  • सामग्री: धूप, दीप, फूल और जल अर्पित करें।
  • श्रद्धा: पूरे मन और भाव से चालीसा का पाठ करें।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 13 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 13

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 13 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 12 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 12

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 12 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 11 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 11

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 11 | Rashmirathi...

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 9 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 9

रश्मिरथी - षष्ठ सर्ग - भाग 9 | Rashmirathi...
error: Content is protected !!