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मंगलवार, नवम्बर 19, 2024

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् Shanaischara Dwadasa Nama Stotram

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शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् Shanaischara Dwadasa Nama Stotram

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् परिचय:


शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम्, शनिदेव को समर्पित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। शनिदेव, जिन्हें शनि या शनिचर के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख ग्रह देवता हैं। वे न्याय और कर्म के देवता माने जाते हैं और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अनेक परिवर्तन ला सकता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और ग्रहों के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् महत्व:


इस स्तोत्र का महत्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो शनि की दशा या शनि की महादशा से प्रभावित हैं। यह स्तोत्र संकटों को दूर करने, मानसिक शांति पाने और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए पढ़ा जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से शनि ग्रह की अशुभता समाप्त होती है और भक्तों को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् शास्त्र और स्रोत:


शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम्, भगवान शनिदेव के 12 नामों का संग्रह है। इसे विशेष रूप से भक्तों द्वारा उनके 12 नामों का उच्चारण करके पाठ किया जाता है। ये नाम विभिन्न पुराणों में उल्लेखित हैं और इनका महत्व शास्त्रों में बताया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने में सहायक है।

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् के पाठ विधि:

पाठ के अंत में शांति पाठ और प्रार्थना करें।

इस स्तोत्र का पाठ किसी पवित्र स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए।

श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव का ध्यान करें।

12 नामों का उच्चारण क्रम से करें।

शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ

नित्यं नीलाञ्जनप्रख्यं नीलवर्णसमस्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।


नमोऽर्कपुत्राय शनैश्चराय नीहारवर्णाञ्जनमेचकाय।
श्रुत्वा रहस्यं भवकामदश्च फलप्रदो मे भव सूर्यपुत्र।

नमोऽस्तु प्रेतराजाय कृष्णदेहाय वै नमः।
शनैश्चराय क्रूराय शुद्धबुद्धिप्रदायिने।

य एभिर्नामभिः स्तौति तस्य तुष्टो भवाम्यहम्।
मदीयं तु भयं तस्य स्वप्नेऽपि न भविष्यति।


शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Shanaischara Dwadasa Nama Stotram

1.शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् क्या है?

उत्तर: शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शनिदेव की आराधना के लिए विशेष रूप से लिखा गया है। यह स्तोत्र उनके बारह नामों का उल्लेख करता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और विभिन्न समस्याओं का समाधान होता है।

2.शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् के नाम कौन-कौन से हैं?

उत्तर: शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् में भगवान शनिदेव के बारह नाम शामिल हैं। ये नाम हैं:
शनैश्चर, काल, शान्ति, मयू, भैरव,गदाधर,दण्डधर,जयंती,घण्टाकर्ण,धनपति,कालसर्प,चन्द्रिका
इन नामों का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

3.शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ क्या हैं?

उत्तर: शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं, जैसे:
शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
जीवन में कठिनाइयों और दुखों का निवारण होता है।
धन, स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
शनि ग्रह की खराब स्थिति के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

4. शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ कैसे किया जाना चाहिए?

उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए, भक्त को शुद्धता और ध्यान के साथ इसे पढ़ना चाहिए। इसे निम्नलिखित विधि से किया जा सकता है:
स्वच्छ स्थान पर बैठें।
शनिदेव की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
ध्यान से इस स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ के बाद भगवान से प्रार्थना करें और उनका आशीर्वाद मांगें। इस विधि से पाठ करने से अधिक फलदायी परिणाम मिलते हैं।

5.क्या शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का जाप किसी विशेष दिन पर करना चाहिए?

उत्तर: हां, शनैश्चर द्वादश नाम स्तोत्रम् का जाप विशेष रूप से शनिवार के दिन करना सबसे लाभदायक माना जाता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है, और इस दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से उनकी कृपा अधिक प्राप्त होती है। इसके अलावा, किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए भी इसे किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है।

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