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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

साधन नाम सम नहि आन – Saadhan Naam Sam Nahi Aan

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साधन नाम सम नहि आन

Saadhan Naam Sam Nahi Aan

साधन नाम-सम नहि आन ।

जपत सिव-सनकादि, सारद-नारदादि सुजान ॥

नामके बल मिटत भीषन असुभ भाग्य-विधान ।

नाम-बल मानव लहत सुख सहज मन-अनुमान ॥

नाम टेरत टरत दारुन विपति सोक महान ।

आर्त्त करि, नर-नारि, ध्रुव सब रहे सुचि सहिदान ।।

नामके परतापतें जलपर तरे पाषान ।

नाम-चल सागर उलाँध्यो सहज ही हनुमान ||

नाम-बल संभव सकल जे कछु असंभव जान ।

धन्य ते नर ! रहत जिनके नाम-रटकी बान ।।

पाप-पुंज प्रजारिचे हित प्रबल पावक-खान ।

होत छिनमें छार, निकसत नाम जान-अजान ॥

नाम-सुरसरिमें निरंतर करत जे जन न्हान ।

मिटत तीनों ताप, मुख नहिं होत कबहुँ मलान ॥

नाम-आश्रित जननके मन बसत नित भगवान ।

जरत खरत कुबासना सब तुरत लज्जा मान ॥

नाम जीवन, नाम अमरित, नाम सुखको थान ।

नाम-रत जे नाम-पर, ते पुरुष अति मतिमान ॥

नाम नित आनंद-निरझर, अति पुनीत पुरान ।

मुक्त सत्वर होत जे जन करत सादर पान ॥

नाम जपत सुसिद्ध जोगी बनत समरथवान ।

नामतें उपजत सुभगति, विराग सुभ बलवान ॥

नामके परताप दीखत प्रकृति-दीप बुझान ।

नाम-बल ऊगत प्रभामय भानु तत्त्वज्ञान ।।

नामकी महिमा अमित, को सकै करि गुनगान ।

रामतें बड़ नाम, जेहि बल बिकत श्रीभगवान ॥

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