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मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

राम भजो राम भजो माई Ram Bhajo Ram Bhajo Mai

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राम राम राम भजो राम भजो माई

Ram Ram Ram Bhajo Ram Bhajo Mai

( Ram Bhajo Ram Bhajo Mai )

राम राम राम भजो, राम भजो, माई ।

राम भजन-हीन जनम सदा दुःखदाई ॥

अति दुरलभ मनुजदेह सहजहीमें पाई ।

मूरख रह्यो राम भूल विषयन मन लाई ।।

बालकपन दुख अनेक भोगत ही बिताई ।

स्त्री-सुत-धनकी अपार चिंता तरुनाई ।।

रात-दिवस पसुकी ज्यों इत उत रहयो धाई।

तृसनाकी बेलि बढ़ी पाप-बारि पाई ।।

बात-पित्त-कफहु बढ्यो, दुखद जरा आई ।

इंद्रिनकी शक्ति घटी, सिर धुनि पछिताई ।।

इतनेहिमें कठिन काल घेरि लियो आई ।

मृत्यु निकट देखि-देखि अति ही भय पाई ।।

सोच करत मन-ही-मन अतिसै पछिताई ।

हाय मैं न भज्यो राम, कहा करयो माई ! |

मृत्यु प्रान हरन करत कुटुबर्ते छुड़ाई ।

महादुःख रह्यो छ।य, विफल सब उपाई ।।

पापनके फलस्वरूप बुरी जोनि पाई ।

दुःख-भोग करत पुनि नरकनमहँ जाई ।।

बार-बार जनम-मृत्यु, व्याधि अरु बुढ़ाई ।

झेलत अति कठिन कष्ट, शांति नाँहिं पाई ।।

यहि बिधि भवदुख अपार बरने नहिं जाई ।

भव-भेषज राम-नाम, सुति-पुरान गाई ||

राम नाम जपत त्रिविध ताप जग नसाई ।

राम-नाम मंगलकरन सब विधि सुखदाई ।।

प्रेममगन मनतें, सकल कामना बिहाई ।

जोइ जपत राम-नाम सोइ मुर्कात पाई ।।

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